ADVERTISEMENTREMOVE AD

सुनिए अंदरूनी कश्मीर की आवाज : ‘हमसे तो पूछो क्यों नहीं देते वोट’

लोकसभा इलेक्शन 2019: बारामूला के युवा इस बार किस मुद्दे पर देंगे वोट? कश्मीर से क्विंट की स्पेशल कवरेज

छोटा
मध्यम
बड़ा

वीडियो एडिटर: विशाल कुमार

वीडियो प्रोड्यूसर: मौसमी सिंह

ADVERTISEMENTREMOVE AD

नॉर्थ कश्मीर के बारामूला का नाम आप नेशनल मीडिया में ज्यादातर तभी पढ़ते होंगे, जब फौजियों और आतंकियों के बीच कोई एनकाउंटर होता है. लेकिन लोकसभा इलेक्शन से पहले क्विंट की टीम पहुंची है यहां के यंग वोटर से उसके असली मुद्दे पूछने. आखिर वो इन इलेक्शंस के जरिए चाहते क्या हैं?

जो वोट करता है, उसका मतलब ये नहीं है कि इस लैंड को डिस्प्यूट नहीं मानता है. वो अपने प्रॉब्लम के लिए वोट करता है. किसी का पानी का मुद्दा है, किसी का इलेक्ट्रिसिटी का मुद्दा है. जो नेशनल मीडिया है, वो उस परसेंटेज को उसी हिसाब से देखता है. वो इंडिया के लिए वोट करते हैं. उनके अपने मसले हैं, तभी वो वोट करते हैं.  
आमिर चिश्ती, छात्र
ADVERTISEMENTREMOVE AD

बारामूला के युवा आखिर किस बात से सबसे ज्यादा खफा हैं. उनके अंदर किस बात की नाराजगी है? जब हमने इस सवाल का जवाब जानना चाहा, तो स्टूडेंट का कहना था:

पॉलिटकल सिस्टम में समस्या है. पॉलिटिकल सिस्टम में हमें घुटन होती है. इससे हमें निराशा होती है. इसलिए सिस्टम बदलने की जरूरत है. सिस्टम को हमसे पूछने की जरूरत है कि हम क्या चाहते हैं?  
तलब जफर,छात्रा
ADVERTISEMENTREMOVE AD

हाल-फिलहाल कश्मीरियों पर हमले की खबर भी सुर्खियों में रहीं. पुलवामा हमले के बाद से कश्मीरी छात्रों को कई जगह पीटने की खबर आई. वहीं यूपी में कश्मीरी व्यापारी को भी पीटा गया. इस बात को लेकर भी युवा काफी खफा हैं.

कश्मीर के छात्रों पर हमले हो रहे हैं. बहुत से ऐसे लोग हैं, जो कश्मीरियों से अच्छा व्यवहार करते हैं, लेकिन कुछ कश्मीरियों के विरोध भी करते हैं. कश्मीरी छात्रों को केंद्र में और मौका मिलना चाहिए. कश्मीर में बेरोजगारी दर अब तक में सबसे ज्यादा है.  
उबैद जरगार, छात्र
ADVERTISEMENTREMOVE AD

युवाओं की शिकायत है कि कोई भी उनकी सुध नहीं लेता. स्थानीय नेता विकास का कोई काम करते नहीं और केंद्र सरकार से उन्हें जितना महत्व मिलना चाहिए, वो मिलता नहीं. इसलिए वो हर मामले में पिछड़ रहे हैं. देश के अन्य हिस्से के लोग भी इनकी समस्याएं नहीं समझ रहे. लोग इन्हें समझने की कोशिश करेंगे, तभी समस्याओं का समाधान होगा.

आप हमें अपना कह रहे हैं, तो आपको दिल्ली से आना होगा. जैसे आप आए हमारे पास. आपको हमारे मुद्दे पता चले. जब आप हमारे साथ चाय की चुस्कियां लेंगे, तभी तो पता चलेगा कि हम क्या झेल रहे हैं? हमसे बात करनी होगी, इस मुद्दे को सुलझाना होगा.  
आरिफ, छात्र

बारामूला के इन युवाओं  को न तो नेताओं पर यकीन है, न ही इलेक्शन पर. इसके बावजूद देशभर में कश्मीरी छात्रों पर हो रहे हमले, घटता एजुकेशन लेवल, बढ़ती बेरोजगारी समेत कई मुद्दे हैं, जिनके साए में युवाओं को अपना भविष्य धुंधला नजर आता है. क्या दिल्ली सुन रही है?

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×