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भारत जोड़ो यात्रा: 'उत्तर प्रदेश में ठहराव और रूट लंबा होना चाहिए था'

Uttar Pradesh: जिस क्षेत्र से राहुल की यात्रा गुजरी है वहीं के किसानों ने किसान आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था.

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कांग्रेस (Congress) और राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के भारत जोड़ो यात्रा (Bharat Jodo Yatra) के उत्तर प्रदेश में दाखिल होते ही बढ़ रही राजनीतिक सरगर्मियों के बीच एक संकेत ये आ रहा है कि प्रदेश में सिमट रही कांग्रेस को संजीवनी जरूर मिल गई है. चाहे राजनीतिक दल अपनी शुभकामनाएं भेज रहे हों साधु और संत प्रशंसा कर रहे हों या फिर मुख्य विपक्षी दल आलोचना कर रही हो, इस यात्रा की वजह से कांग्रेस फिर चर्चाओं में है.

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यूपी में भारत जोड़ो यात्रा ने कांग्रेस को संजीवनी दी? 

चर्चाओं में शामिल यह बात भी थी कि उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में भारत जोड़ो यात्रा पश्चिमी छोर के दो तीन जिलों से होती हुई हरियाणा में दाखिल हो गई. कई लोगों का ऐसा मानना था कि राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण उत्तर प्रदेश इस यात्रा का ठहराव और रूट लंबा होना चाहिए था.

कांग्रेस के अगर सूत्रों की मानें तो आगे आने वाले समय में यह यात्रा पूरे राज्य में निकाली जा सकती है, लेकिन अभी जो ताजा स्थिति है उसमें पार्टी पूरे प्रदेश में एक बार फिर एकजुट होते हुए दिखी.

कई जिलों के वरिष्ठ नेता और कार्यकर्ता इस यात्रा से जुड़े हैं और अपने नेता के साथ कड़कड़ाती ठंड में कदमताल मिलाते हुए दिखे जिससे यह उम्मीद एक बार फिर जगी है कि कांग्रेस शायद अपने आप को राजनीतिक पतन से बचाने की पूरी कोशिश कर रही है.

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राहुल गांधी ने उत्तर प्रदेश के अधिकांश राजनीतिक दलों को यात्रा में जुड़ने का निमंत्रण भेजा था हालांकि किसी भी पार्टी का कोई बड़ा नेता इस यात्रा में शामिल नहीं हुआ. बागपत और शामली से गुजर रही इस यात्रा का हालांकि राष्ट्रीय लोक दल के स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं ने स्वागत किया. परोक्ष या अपरोक्ष रूप से किसान संगठनों का भी समर्थन मिलता हुआ दिख रहा है.

बीजेपी छोड़ अन्य पार्टियों का साथ मिला

जिस क्षेत्र से यह यात्रा उत्तर प्रदेश से गुजरी है, ये वही इलाका है, जहां के लोगों ने पूर्व में हुए किसान आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था और ऐसे में भारत जोड़ो यात्रा कई क्षेत्र से गुजरना पार्टी के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है.

राजनैतिक तौर पर शामली और बागपत आरएलडी का गढ़ माना जाता है, जहां पर पिछले कई सालों में बीजेपी ने भी अपनी पैठ बनाई है. ऐसे में कांग्रेस को अपना स्थाई जगह बनाना आसान नहीं होगा.

यात्रा के उत्तर प्रदेश में प्रवेश करते और बीजेपी छोड़कर बाकी दूसरे दलों के नेताओं ने राहुल गांधी को आमंत्रण के लिए अपना धन्यवाद दिया और यात्रा के लिए शुभकामनाएं भेजीं. बढ़ती राजनीतिक सरगर्मी के बीच गठबंधन के समीकरणों पर भी चर्चा शुरू हो गई. 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन किया था. अपेक्षित नतीजे नहीं आने के बाद दोनों के राह अलग हो गए थे. हालांकि पार्टियों के वरिष्ठ नेताओं ने साफ किया कि गठबंधन को लेकर कोई भी प्रस्ताव या निर्णय चुनाव से पहले ही लिया जाएगा.

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अयोध्या के साधु-संतों के समर्थन का क्या मतलब? 

राहुल गांधी और भारत जोड़ो यात्रा को उत्तर प्रदेश और खासकर अयोध्या के साधु-संतों से भी आशीर्वाद मिला. श्री राम जन्मभूमि मंदिर से जुड़े पुजारियों, साधु-संतों और ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने प्रशंसा करते हुए अपनी शुभकामनाएं दी. राजनीतिक रूप से यह बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण तो नहीं माना जा सकता, लेकिन पार्टी की हो रही चर्चाओं को और बल मिल गया.

लगातार हार और राजनीतिक शिथिलता की आलोचना का शिकार हो रही कांग्रेस को इस यात्रा से कितना राजनीतिक लाभ होता है, इसका आंकलन तो आने वाले चुनावों में ही हो पाएगा, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि चर्चाओं की इस "संजीवनी" को सार्थक परिणाम देखने को तभी मिलेंगे, जब जमीनी स्तर पर वरिष्ठ नेता और कार्यकर्ता भी संघर्ष करें.

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