वीडियो एडिटर: आशुतोष भारद्वाज
राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि जिस तरीके से जल्दबाजी में लॉकडाउन लगाया गया उससे केंद्र की बड़ी बदनामी हुई, लेकिन जितना आसान लॉकडाउन करना था, उतना ही मुश्किल इसे खोलना है. गहलोत ने ये बात क्विंट के एडिटोरियल डायरेक्टर संजय पुगलिया से एक खास बातचीत में कही.
“चार घंटे के नोटिस पर लॉकडाउन करना आसान है, लेकिन खोलना मुश्किलजिस तरह से जल्दबाजी में किया, उससे मजदूर सड़कों पर आ गए. इससे बड़ी बदनामी हुई. अनलॉक करना सही है लेकिन शर्त ये है कि केंद्र राज्यों के साथ तालमेल के साथ काम करें.”अशोक गहलोत, मुख्यमंत्री, राजस्थान
कोरोना पर केंद्र बनाम राजस्थान में काम
गहलोत ने कहा कि ‘पीएम मोदी ने ताली भी बजाई, थाली भी बजाई और बैंड भी बजाया. लेकिन अर्थव्यवस्था की बैंड बज गई और बाकी क्षेत्रों में भी बैंड बज गया. राजस्थान में ऐसा नहीं हुआ, भीलवाड़ा मॉडल की तारीफ हुई, जयपुर में मामले बढ़े लेकिन अब वहां भी कंट्रोल में है. अब आगे की तैयारी कर रहे हैं जिला और गांव स्तर पर काम कर रहे हैं. कैसी भी स्थिति आएगी, हम तैयार रहेंगे.’
“शक्तियों के केंद्रीकरण से फायदा नहीं, नुकसान है. हमने लोकल प्रशासन को ताकत दी और उससे फायदा हुआ. भीलवाड़ा मॉडल की कामयाबी इसी का उदाहरण है. विपक्षी दलों से भी हमने बात की. सामाजिक संगठनों और डॉक्टरों से राय मांगी, उसका फायदा मिला. कोरोना कंट्रोल हुआ और कोई भूखा भी नहीं सोया. राजस्थान में किसी मजदूर को पैदल नहीं चलना पड़ा.”अशोक गहलोत, मुख्यमंत्री, राजस्थान
ट्रेन क्यों रास्ता भटकी, इसकी जांच हो
गहलोत ने कहा है कि मोदी सरकार दूसरे कार्यकाल के पहले साल पूरी तरह नाकाम रही. खासकर इकनॉमी और कोरोना के मोर्चे पर नाकाम रही. विपक्षी पार्टियों ने आगाह किया लेकिन उन्होंने एक बात नहीं सुनी. मजदूरों की परेशानी के पीछे रेलवे की बड़ी लापरवाही है. ट्रेन रास्ता भूल जा रही हैं. आखिर ये कैसे हुआ, इसकी जांच होनी चाहिए. ट्रेन में 80 लोगों की मौत हो गई. ट्रेन के लिए मजदूरों से पैसा लिया गया. जब कांग्रेस ने किराया देने का ऐलान किया तो इन्हें होश आया. हालांकि ये भी गलत दावा किया गया कि केंद्र सरकार 85% किराया दे रही है. बाद में पता चला कि ये तो रेगुलर खर्च है, कुछ एक्स्ट्रा नहीं कर रहे.
“मेरी मोदी जी को सलाह है कि पीयूष गोयल को बिना विभाग के मंत्री बनाएं, वो पार्टी के लिए वही काम कर सकते हैं जो पहले से करते आए हैं, पार्टी के लिए चंदा वसूली. उनसे रेल न चलवाएं.”अशोक गहलोत, मुख्यमंत्री, राजस्थान
बस पर बौखला गई यूपी सरकार-गहलोत
गहलोत ने कहा, “प्रियंका गांधी ने कहा कि हम मजदूरों के लिए बस देंगे. पहले अनुमति दी और फिर वापस ले ली. कुल मिलाकर यूपी सरकार बौखला गई. हमसे कहा कि सुबह 9 बजे तक बसें पहुंचा दीजिए. उसके साथ चालकों का लाइसेंस, फिटनेस सर्टिफिकेट भी मांगा. इतनी समस्या पैदा करने की जरूरत नहीं थी. हमने तो और भी राज्यों में भी बसें भेजीं.”
“भारत सरकार चाहती तो मजदूरों को इतनी दिक्कत नहीं होती. अगर सरकार सिर्फ ये कह देती कि NDMRF का फंड खर्च कीजिए लेकिन कोई मजदूर पैदल नहीं चलना चाहिए तो काम हो जाता. लेकिन ये नहीं हुआ और केंद्र की बड़ी बदनामी हुई.”अशोक गहलोत, मुख्यमंत्री, राजस्थान
राज्यों को हो रही आर्थिक किल्लत
गहलोत का मानना है कि असली लड़ाई राज्य लड़ रहे हैं, केंद्र तो सिर्फ निर्देश दे रहा है. लेकिन सिर्फ विपक्षी राज्यों को ही नहीं, सारे राज्यों को केंद्र से आर्थिक मदद नहीं मिल रही है. ग्रांट नहीं मिल रहा. कर्ज उठाने की सीमा बढ़ी तो उसमें शर्तें लगा दी गईं. ये असामान्य समय है तो देखना चाहिए कि किस राज्य की क्या जरूरत है, और उसी के हिसाब से उसे मदद देनी चाहिए. इस वक्त राज्यों को 30% राजस्व मुश्किल से आ रहा है और दो महीने से वो भी बंद है. राज्यों ने अपना काम कर दिया है अब गेंद केंद्र के पाले में है, उसे ये देखना है कि राज्यों की आर्थिक स्थिति खराब न हो.
“20 लाख करोड़ का जो आर्थिक पैकेज घोषित हुआ है वो दरअसल लोन का पैकेज है, लेकिन इस मुसीबत के समय कौन लोन लेगा? जब तक आम लोगों की जेब में पैसा नहीं आएगा, जब तक डिमांड नहीं बढ़ेगी, इकनॉमी नहीं चलेगी. लोन देने से काम नहीं चलेगा, डायरेक्ट पैसा देना पड़ेगा.”अशोक गहलोत, मुख्यमंत्री, राजस्थान
मजदूरों का शहरों में लौटना मुश्किल
अशोक गहलोत का मानना है कि मजदूरों के दिलों में ऐसा घाव पड़ा है कि वो शहरों में लौटना नहीं चाहेंगे. आज मजदूर ये सोच रहा है कि किसी भी हालत में अब गांव में ही रहना है. अगर उन्हें आराम से घर पहुंचाते या उन्हें घर लौटने के लिए तीन चार दिन का समय देते तो शायद मजदूर वापस लौटते.
गहलोत ने कहा कि कांग्रेस लगातार कह रही है कि हम सरकार को कोरोना पर पूरा सहयोग करने के लिए तैयार हैं, लेकिन सरकार को भी विपक्ष की सलाह सुननी और माननी चाहिए. आज हालत ये है कि अगर हम कोई सलाह देते हैं तो खराब टिप्पणियां होने लगती हैं. ये याद रखना चाहिए विपक्षी पार्टियां देश की दुश्मन नहीं हैं.
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