राजस्थान (Rajasthan) में बीजेपी के बाद अब कांग्रेस पार्टी ने भी अपना घोषणा पत्र जारी कर दिया. बीजेपी ने जहां घोषणा पत्र को "मोदी की गारंटी" बताया तो सत्तारूढ़ दल ने जवाब में राजस्थान में "कांग्रेस की सात गारंटी" पेश किया.
आईये जानते हैं कि कांग्रेस के मेनिफेस्टो में क्या खास है? और बीजेपी से कितना अलग है कांग्रेस का घोषणा पत्र?
कांग्रेस के मेनिफेस्टो में क्या खास है?
कांग्रेस का घोषणा पत्र पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने जारी किया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस जो वादे करती हैं, उसे निभाती हैं. हमने पिछले चुनाव में किए 95 फीसदी वादे पूरे किए हैं." घोषणा पत्र को कांग्रेस ने साल 2030 का विजन बताया. घोषणा पत्र समिति के प्रमुख डॉ. सीपी जोशी ने कहा कि अब हम 2030 का विजन लेकर आगे बढ़ रहे हैं.
कांग्रेस ने राजस्थान के लिए सात गारंटी जारी की है, जिसको लागू करने की उसने अपनी प्रतिबद्धत जताई है. इसमें-
गृह लक्ष्मी गांरटी: हर घर की मुखिया महिला को 10 हजार रुपये सालाना
गौधन गारंटी: 2 रुपये प्रति किलो गोबर की सरकारी खरीद
मुफ्त लैपटॉप/टैबलेट की गारंटी: प्रत्येक विद्यार्थी को लैपटॉप की सुविधा
चिरंजीवी आपदा राहत बीमा की गारंटी: 15 लाख का फ्री बीमा कवर
अंग्रेजी माध्यम शिक्षा: हर इच्छुक बच्चे को मुफ्त में इंग्लिश मीडियम में पढ़ाई करने का मौका
500 रुपये में गैस सिलेंडर NFSA और BPL परिवार को गैस सिलेंडर देने का वादा. साथ में भविष्य में 400 रुपये का सिलेंडर देने का भी ऐलान किया है.
पुरानी पेंशन योजना (OPS) लागू करने का वादा
कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में सभी वर्गों के लिए कुछ न कुछ ऐलान किया है. लेकिन मुख्यता किसानों, युवाओं, महिलाओं, गरीबों, SC/ST, OBC, MBC और अल्पसंख्यक पर जोर दिया है. कांग्रेस ने सीएम गहलोत की घोषणा के मुताबिक, राजस्थान में भी जातीय जनगणना कराने का वादा किया है.
पार्टी ने मेनिफेस्टो को 12 वर्गों में विभाजित किया है. इसमें कांग्रेस की सात गारंटी, किसान कल्याण, सरकार की तात्काल प्राथमिकता, युवा शक्ति, महिला सशक्तिकरण, शिक्षा, स्वास्थ्य, आधारभूत संरचना, सामजिक कल्याण, प्रशासन और कला एवं संस्कृति शामिल है.
किसानों का कल्याण: स्वामीनाथन समिति की सिफारिश पर MSP के लिए कानून, सहकारी बैकों में सभी किसानों को 2 लाख रुपये का ब्याज मुक्त ऋण, कृषि बजट के अंदर 12 मिशनों का विस्तार कर दोगुना करने और पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना के क्रमबद्ध कार्यान्वयन के लिए एक विस्तृत योजना पेश करने का वादा किया है.
युवा एवं रोजगार पर फोकस: पार्टी ने आने वाले 5 साल में 10 लाख रोजगार के अवसर सृजित करने का वादा किया है, जिसमें 4 लाख सरकारी नौकरी शामिल है. पंचायत स्तर पर भर्ती के लिए एक नई योजना लाने और बेरोजगार युवाओं को रोजगार संबंधी समस्या के समाधान हेतु 'TOLL FREE CALL CENTER' के साथ-साथ 'e-Employment Exchange' की सुविधा आरंभ करने की भी बात कही है.
महिलाओं पर जोर: सरकारी रोडवेज बसों में महिलाओं को वर्तमान छूट के अतिरिक्त निःशुल्क यात्रा हेतु हर महीने एक फ्री कूपन, मुख्यमंत्री निःशुल्क चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना के अंतर्गत आने वाले परिवारों की महिला मुखिया को इंटरनेट कनेक्शन के साथ स्मार्टफोन देने का पार्टी ने वादा किया है. इसके अलावा महिला सशक्तिकरण और महिला सुरक्षा को लेकर भी कई ऐलान किये है.
दरअसल, राजस्थान में 85 लाख से अधिक किसान परिवार हैं, जबकि महिला वोटर्स की संख्या 2.5 करोड़ से अधिक है. ऐसे में कांग्रेस की निगाह इस बड़े वर्ग को आकर्षित करने की कोशिश की है.
इसके अलावा भी कांग्रेस ने कई ऐलान किये हैं, जैसे-
मुख्यमंत्री निःशुल्क चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा की राशि को बढ़ाकर 50 लाख रुपए वार्षिक
RTE के अंतर्गत कक्षा 12वीं तक शिक्षा की सुविधा होगी.
MNREGA के तहत 125 दिन की जगह पर 150 दिन का रोजगार मिलेगा.
इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना का विस्तार करते हुए प्रति वर्ष 125 दिन की जगह पर 150 दिन का रोजगार देंगे
किसान क्रेडिट कार्ड योजना की ही तरह व्यापारी क्रेडिट कार्ड योजना चालू होगी
ऐसे गांव/ ढाणियां जहां 100 व्यक्तियों से ज्यादा की आबादी हैं, उसे सड़क मार्ग से जोड़ा जाएगा.
कांग्रेस ने भौगोलिक विकास के साथ, उद्योग, व्यापार, पर्यटन और कला को लेकर भी कई घोषणाएं की है.
हालांकि, पेट्रोल-डीजल के दामों को लेकर कांग्रेस ने कोई बड़ा ऐलान नहीं किया है. लेकिन सत्ता में वापसी की कोशिश में लगी कांग्रेस ने शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्र के मतदाताओं को रिझाने की कोशिश की है.
बीजेपी से कितना अलग है कांग्रेस का घोषणा पत्र?
बीजेपी ने 16 नवंबर को 80 पेज का संकल्प पत्र जारी किया था, जबकि कांग्रेस ने 84 पेज का मेनिफेस्टो जारी कर राजस्थान की जनता के लिए खजाने का पिटारा खोला है. कांग्रेस ने भी बीजेपी की तरह किसानों, महिलाओं, युवाओं और बेरोजगारों पर फोकस किया है. लेकिन राजनीतिक जानकारों की मानें तोवोटर्स को रिझाने के लिए कांग्रेस का वादा बीजेपी से ज्यादा आकर्षित करने वाला है. हालांकि, दोनों ही दलों ने "फ्रीबीज" से भी वोटर्स को लुभाने की कोशिश की है.
लेकिन इन सबके बीच, सबसे अहम रहा घोषणा पत्र जारी होने के दौरान एक मंच पर सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट का दिखना. कांग्रेस ने एक मंच पर दोनों नेताओं को साथ लाकर साफ संकेत दिया कि अब राजस्थान में गहलोत-पायलट विवाद जैसा कुछ नहीं है. कुछ ऐसी ही तस्वीर बीजेपी के संकल्प पत्र जारी होने के दौरान दिखी थी, जिसमें सतीश पूनिया, गजेंद्र सिंह शेखावत, सीपी जोशी के साथ मंच पर वसुंधरा राजे सिंधिया मौजूद थी. यानी दोनों ही दल, पार्टी के भीतर सभी गुटबाजी को "द एंड" बताने का प्रयास कर रहे हैं.
हालांकि, मतदातओं की इस पर क्या प्रतिक्रिया होगी, जमीन पर क्या असर होगा और दोनों ही दलों में जनता किसके वादे पर मुहर लगाएगी, ये 3 दिसंबर को ही साफ होगा.
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