कांग्रेस पार्टी ने तमाम अनुमानों को गलत साबित करते हुए राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में जीत हासिल की है. मोदी-शाह की लीडरशिप को ये अब तक का सबसे बड़ा झटका है. कुछ लोगों का अनुमान है कि ये जनादेश BJP की 'गाय और मंदिर' वाली पॉलिटिक्स को झटका है. कुछ का कहना है कि ये जनादेश राम मंदिर समर्थकों में नाराजगी का नतीजा है.
दरअसल, दोनों ही बातें सही हो सकती हैं. दोनों बातें BJP के खिलाफ जाती हैं. पिछले दिनों तक दिल्ली के रामलीला मैदान में जुटी किसानों की भीड़ भी सरकार के खिलाफ थी. ये राम मंदिर निर्माण की मांग करने वाली भीड़ भी.
अब BJP, हिंदुत्व और राम मंदिर की राजनीति के ऐसे दोराहे पर खड़ी है, जहां से उसे तय करना है कि इस राजनीति की ढलान पर उसे एक्सिलेटर दबाना है या ब्रेक लगाना है.
इस उलझन का सबूत ये है कि आपको ‘विकास नहीं मंदिर चाहिए’ के नारे लगाती राम भक्तों की भीड़ भले ही सुर्खियों में नजर आती हो, संघ प्रमुख मोहन भागवत राम मंदिर के लिए कानून लाने की बात कर रहे हों लेकिन अरुण जेटली और अमित शाह सरीखे बीजेपी नेता सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई का इंतजार करने की बात करते हैं.
तो अब होगा क्या? अब लोकसभा चुनाव के बचे 6 महीने में किसानों की नाराजगी, रोजगार, रूरल ड्रिस्ट्रेस या लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था जैसे मुद्दे तो हल होने से रहे. तो बीजेपी को वापस भगवान राम का ही सहारा लेना पड़ेगा. ये मत भूलिए कि मंदिर पॉलिटिक्स के दम पर ही 2 सीटों वाली पार्टी ने तकरीबन पूरे देश के नक्शे को भगवा रंग में रंग दिया था.
अभी जिन 3 राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में BJP हारी, वो राम मंदिर पॉलिटिक्स का प्ले ग्राउंड रहे हैं. हिंदी बेल्ट के इन तीनों ही राज्यों में मुस्लिम आबादी बेहद कम है और राम मंदिर मुद्दे पर वोट करने वालों की आबादी बेहद ज्यादा.
तो इस हार को राम भक्तों की नाराजगी मानकर अगर सरकार जल्द से जल्द कोई पोश्चरिंग करे, तो उसमें हैरानी नहीं होनी चाहिए. और वो पोश्चरिंग मंदिर निर्माण का अध्यादेश भी हो सकता है.
मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही है, लेकिन RSS, VHP, बजरंग दल जैसे संगठनों के कार्यकर्ता उसका इंतजार करने के मूड में नहीं दिखते. BJP की नाराज सहयोगी शिवसेना भी राम मंदिर न बनाने पर बीजेपी को ललकार रही है और राम मंदिर समर्थकों को BJP के खिलाफ बगावत के लिए उकसा रही है.
इस गरमाते माहौल और हराते चुनाव नतीजों के बीच BJP के लिए ये सबसे मुफीद वक्त है कि राम मंदिर मुद्दे को गर्म किया जाए. वैसे भी वोट की पॉलिटिक्स के लिए BJP को "राम मंदिर बन रहा है" ये माहौल बनाना है, राम मंदिर असल में थोड़े ही बनाना है.
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