ADVERTISEMENTREMOVE AD

रामनवमी हिंसा: बंगाल, बिहार, झारखंड में उपद्रव के पीछे एक खास पैटर्न

लोकतांत्रिक राष्ट्र में हिंदू राष्ट्र का क्या काम?

छोटा
मध्यम
बड़ा
ADVERTISEMENTREMOVE AD

मर्यादा-पुरूषोत्तम श्री राम के जन्मदिन यानी रामनवमी (Rama Navami) के मौके पर उनके हिंदुस्तान में कहीं आगजनी, अधार्मिक नारे, पत्थरबाजी, मस्जिदों की मीनारों पर भगवा झंडे लगाए गए, मदरसे की लाइब्रेरी जलाई गई. बंगाल, बिहार, झारखंड, महाराष्ट्र, गुजरात जगह-जगह हिंसा. इस हिंसा के पीछे एक पैटर्न है, एक ट्रेंड है.

अहम सवाल है कि क्या ये हिंसा जानबूझकर कराई जा रही है? क्यों पुलिस हिंसा को रोक नहीं पा रही है? विश्वगुरू बनने की बात करने वाले भारत के नेता विश्व तो दूर अपने ही देश में हो रही हिंसा और बढ़ रही नफरत को क्यों नहीं रोक पा रहे हैं? या रोकना नहीं चाहते हैं? क्यों अचानक त्यौहार नफरत का बाजार बनता जा रहा है? इसलिए हम पूछ रहे हैं जनाब ऐसे कैसे?

लोकतांत्रिक राष्ट्र में हिंदू राष्ट्र का क्या काम?

आपको देश के हालात, हिंसा का पैटर्न बताने से पहले एक कहानी सुनाते हैं.. मेरे शहर दरभंगा में मगरिब की नमाज यानी शाम के वक्त की जो नमाज होती है उसके बाद मस्जिदों के बाहर हिंदू औरतें अपने बच्चों को लेकर आती हैं. और लोगों से दुआ करने, उन्हें दुआ पढ़कर फूंकने के लिए कहती हैं. यकीन है कि उनका बच्चा सेहतमंद रहेगा. ठीक इसी तरह रामनवमी पर मुसलमान हिंदुओं को पानी, जूस और शरबत पिलाते हैं.. हिंदू भी मुहर्रम के जुलूस में पानी और शरबत बांटते हैं. लेकिन हालात बदल रहे हैं.

हालात इतने बदले हैं कि उसी शहर में हिंदू नववर्ष पर सड़कों पर हिंदू राष्ट्र लिखा बड़ा-बड़ा बैनर लगाया जाता है. बैनर लगाने के आरोप में पुलिस जिसे गिरफ्तार करती है उसे छुड़ाने के लिए बजरंग दल, विश्व हिंदू परिषद के अलावा बीजेपी के नगर विधायक संजय सरावगी थाने पहुंच जाते हैं.

आखिर जब भारत एक लोकतांत्रिक राष्ट्र है तो फिर किसी धर्म के नाम पर राष्ट्र की बात कहां से सही है? क्या इसमें नफरत फैलाने का पैटर्न नहीं है?

हिंसा और नफरत फैलाने के अलग-अलग पैटर्न

हिन्दुओं के आराध्य श्री राम के जन्मोत्सव के तौर पर राम नवमी का त्योहार देशभर में मनाया जाता है.  शोभा यात्रा और जुलूस निकलते हैं. शहर-गांव में सद्भावना देखने को मिलती रही है. इसमें कुछ भी नया नहीं है. बस नया है- शोभा यात्रा और जुलूस के नाम पर दूसरे धर्म के धार्मिक स्थलों के बाहर पहुंचकर भड़काऊ नारे लगाना. डीजे पर दूसरे धर्म के लोगों के खिलाफ आपत्तिजनक गाने बजाना. फिर पत्थरबाजी होना. ये कहना कि मुसलमान मुहल्ले से जुलूस जाना गलत है.. क्यों गलत है? जब सब एक हैं, देश एक है तो गलत कैसे हो गया? और ये मुसलमान मोहल्ला क्या होता है? अगर ऐसा होता है कि हिंदू मोहल्ला क्यों नहीं कहते हैं? इसपर बात फिर कभी.

बंगाल में हिंसा

पश्चिम बंगाल के हावड़ा में रामनवमी के जश्न के दौरान सांप्रदायिक हिंसा हुई. उसके बाद हुगली जिले में 2 अप्रैल को साम्प्रदायिक झड़पें हुईं. झड़पों में पुलिसकर्मियों सहित कई लोग घायल हुए, 25 से अधिक वाहनों में तोड़फोड़ भी की गई. 2 अप्रैल को विश्व हिंदू परिषद और बीजेपी समेत 13 अन्य संगठनों द्वारा दो जुलूस आयोजित किए गए थे.

आरोप है कि बीजेपी नेता दिलीप घोष के नेतृत्व में निकाला गया जुलूस जब जामा मस्जिद के सामने से गुजर रहा था, तब जुलूस पर पत्थर बरसाए गए. जुलूस में शामिल स्थानीय बीजेपी नेता मोहन अदोक ने इसे संगठित अपराध करार दिया है. वहीं मस्जिद के मौलाना जाकिर हुसैन नूरी ने द क्विंट को बताया कि,

“मस्जिद समिति के सदस्य शाम 6 बजे के आसपास जुलूस का स्वागत कर रहे थे और बिल्कुल भी तनाव नहीं था. अचानक रैली में शामिल लोगों ने मस्जिद पर पत्थर फेंकना शुरू कर दिया."

नूरी ने आरोप लगाया कि भगवा झंडे लिए कुछ लोगों ने मस्जिद में घुसने की कोशिश की.

इसी तरह की एक हिंसा का एक वीडियो सामने आया है. वीडियो में एक युवक हवा में हथियार लहराता नजर आता है. खुद से पूछिए त्यौहार में खुशी मनाने निकले थे तो फिर हथियार की क्या जरूरत थी? हालांकि पिस्तौल लहराने वाले सुमित साव को पश्चिम बंगाल पुलिस ने बिहार के मुंगेर जिले से गिरफ्तार कर लिया है.

बिहार में आगजनी, मदरसा जलाया

बिहार के नालंदा और रोहतास जिले में भी हिंसा हुई. सेम पैटर्न. पत्थरबाजी की खबरें.. डीजे पर भड़काऊ गाने. मस्जिद की मीनारों पर भगवा झंडे लगाने की कोशिश. आरोप है कि नालांदा के बिहार शरीफ में उपद्रवियों ने 110 साल पुराने मदरसा की लाइब्रेरी जला दी. वहीं बिहार शरीफ में भड़की हिंसा में एक व्यक्ति की मौत तक हो गई. कई लोग घायल हुए. पुलिस ने 100 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार भी किया है.

बता दें कि ठीक एक साल पहले बिहार में रामनवमी के मौके पर ही मुजफ्फरपुर जिले के साहेबगंज विधानसभा क्षेत्र में डाक बंगला मस्जिद पर भगवा झंडा लहराने का वीडियो भी सामने आया था. फिर भी पुलिस और सरकारें कोई ठोस एक्शन नहीं ले रही हैं.

झारखंड

आरोप है कि झारखंड के हजारीबाग में इंद्रपुरी चौक स्थित मस्जिद पर रामनवमी की शोभा यात्रा में मौजूद लोगों ने हमला कर दिया. मस्जिद के गेट को तोड़ने की कोशिश की. इस हमले की वीडियो भी सामने है. यहां पत्थरबाजी वाला एंगल भी नहीं था. पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

गुजरात में हिंसा

गुजरात के वडोदरा में भी रामनवमी पर हिंसा की खबर आई. वहां भी 40 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है.

महाराष्ट्र में हिंसा होते-होते बचा

महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिसका नाम बदलकर अब छत्रपति संभाजीनगर कर दिया गया है, वहां से भी हिंसा की खबर आई. औरंगाबाद के किराडपुरा इलाके में 29 मार्च की रात उपद्रवियों ने पुलिस और कुछ अन्य निजी गाड़ियां को फूंक दिया. पुलिस के मुताबिक, दो गुटों के बीच पहले विवाद हुआ था. मंदिर पर हमले को लेकर अफवाह फैलाई गई. तब औरंगाबाद के सांसद इम्तियाज जलील ने किराडपुरा इलाके के मंदिर में जाकर वहां के कर्मचारियों के साथ दो वीडियो जारी कर स्पष्ट किया कि मंदिर को कोई नुकसान नहीं हुआ है.

अब सवाल है कि बार-बार अगर पत्थरबाजी की खबरें आ रही हैं, तो फिर पुलिस क्यों नहीं जुलूस के रास्ते पर पहले से पूरी तरह तैनात रहती है? क्यों नहीं सीसीटीवी, ड्रोन कैमरे लगाए जाते हैं? एक और सवाल उठता है कि क्यों बार-बार डीजे से भड़काऊ गाने बजाए जा रहे हैं? क्यों मस्जिद की मीनारों पर भगवा झंडे लगाने की कोशिश हो रही है?

क्यों नहीं ऐसा करने वालों पर UAPA, NSA लगाया जा रहा है? आप ही बताइए अगर जुलूस का मकसद भगवान को खुश करना है तो कौन सा भगवान नफरती और भड़काऊ गानों और नारों पर खुश होगा? त्यौहार का मतलब मोहब्बत है तो फिर हथियार लहराया क्यों जा रहा है? क्या ये एक खास तरह का पैटर्न नहीं है?

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×