ADVERTISEMENTREMOVE AD

Sanjay Raut Interview: 'शरद पवार MVA के साथ हैं, बीजेपी के साथ नही जाएंगे'

'Badi Badi Batien' में, शिवसेना (UBT) सांसद संजय राउत ने महाराष्ट्र, मणिपुर में बीजेपी की विफलता और राहुल गांधी पर बात की.

Published
छोटा
मध्यम
बड़ा

"महाराष्ट्र में कोई सरकार नहीं है, माफियाओं का एक भ्रष्ट गिरोह है. कुछ ऐसे हैं, जो जेल जाने वाले हैं, कुछ ऐसे हैं जो जमानत पर बाहर हैं. ऐसे लोग कैसे सरकार चला सकते हैं? वे जैसे सरकार चला रहे हैं, उस तरह माफिया ऐसा करते हैं.'' राज्यसभा सांसद संजय राउत (Sanjay Raut) ने पिछले कुछ सालों से महाराष्ट्र (Maharashtra) की राजनीति में मिली अराजकता के बारे में बोलते हुए कहा.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

राज्य सरकार में अब शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) दोनों का टूटा हुआ गुट शामिल है, जिसमें सबसे बड़े नेता एकनाथ शिंदे और अजीत पवार ने अपनी-अपनी पार्टियों को तोड़ दिया है और भारतीय जनता पार्टी (BJP) से हाथ मिला लिया है.

जबकि शिवसेना के विभाजन का चुनाव आयोग के समक्ष है. एनसीपी गुटों को 17 अगस्त को चुनाव आयोग के सामने मामला रखना है.

महा विकास अघाड़ी (MVA) गठबंधन अब काफी कमजोर है. लोकसभा चुनाव में एक साल से भी कम और विधानसभा चुनाव में एक साल से थोड़ा ज्यादा वक्त बचा है. ऐसे में एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार द्वारा अपने भतीजे की मांगों के आगे झुकने की अटकलें तेज हो गई हैं. हालांकि, संजय राऊत कुछ और ही सोचते हैं.

'बड़ी बड़ी बातें!' में द क्विंट के साथ बातचीत के दौरान संजय राउत ने महाराष्ट्र की राजनीति, 2019 के चुनावों के बाद की घटनाओं, I.N.D.I.A. गठबंधन और कांग्रेस नेता राहुल गांधी के लिए उनके बदले हुए नजरिए के बारे में तफ्सील से बात की.

क्विंट हिंदी में आपका स्वागत है. 'बड़ी बड़ी बातें' में आपका स्वागत है! इस शब्द की कई तरह से व्याख्या की जा सकती है. बड़े-बड़े विकास हो रहे हैं और बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हैं. आप इस शब्द को राजनीतिक रूप से कैसे देखते हैं?

हम बड़े-बड़े दावे करने वालों में से नहीं हैं. हम दावा छोटा करते हैं और काम बड़ी चीजों के लिए करते हैं. बड़े-बड़े दावे करने वाले इस वक्त देश की सत्ता में बैठे हैं. जो लोग सत्ता में बैठते हैं उन्हें बड़े-बड़े दावे करना बंद करना चाहिए और वास्तव में कुछ करना चाहिए. जैसे डॉ. मनमोहन सिंह, लाल बहादुर शास्त्री, पीवी नरसिम्हा राव और पंडित जवाहरलाल नेहरू...बहुत कम बात करते थे लेकिन बहुत बड़ा काम करते थे.

करीब 10 साल से जो सत्ता में लोग हैं, इनको बड़े लोगों से सीखना चाहिए. लेकिन यह ठीक है, सबका अपना स्वभाव होता है. जब 2024 में हमारी सरकार सत्ता में आएगी तो हमारा मंत्र होगा कम बातें और ज्यादा काम करें.

तो क्या आपको भरोसा है कि 2024 में केंद्र की बीजेपी सरकार गिर जाएगी?

यह गिरने के बारे में नहीं है. सरकारें काम करते वक्त ऐसे ही नहीं गिर जातीं. हम लोकतांत्रिक तरीके से उन्हें चुनाव में हराएंगे. INDIA गठबंधन का बन चुका है. हमें भारत की लोकतांत्रिक आत्मा पर भरोसा है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

शिवसेना पर हिंदुत्व विचारधारा को छोड़ने का आरोप लगता है. बेंगलुरु में जब INDIA गठबंधन की मीटिंग हुई तो दिल्ली में भी एनडीए की बैठक हुई. उसमें पीएम नरेंद्र मोदी ने बाला साहेब ठाकरे को एनडीए के सबसे बड़े नेताओं में से एक बताया था.

बिल्कुल...हम हिंदुत्व का चेहरा थे. हम बीजेपी से अलग हुए, हिंदुत्व से नहीं. अगर बीजेपी सोचती है कि वह हिंदुत्व पर एकाधिकार का दावा कर सकती है, तो वह गलत है. हमारी विचारधारा हमारे साथ है. हिंदुत्व का मतलब मणिपुर और हरियाणा में दंगे करना और चुनाव से पहले लोगों को भड़काना और उनकी हत्या करना नहीं है. यह हिंदुत्व का हमारा विचार नहीं है.

क्या आपको लगता है कि यह बीजेपी द्वारा बाल ठाकरे की विरासत पर दावा करने की एक कोशिश है?

कोई भी इस तरह की विरासत का दावा नहीं कर सकता. बीजेपी तो अटल बिहारी वाजपेई की विरासत पर भी दावा नहीं कर सकी, बाला साहेब की विरासत पर कैसे दावा करेगी?

महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फड़णवीस ने हाल ही में एक इंटरव्यू में कई दावे किए. उन्होंने कहा कि 2019 में जब बीजेपी के साथ गठबंधन टूटा तो शिवसेना नेताओं ने उनका फोन नहीं उठाया. उन्होंने कहा कि उन्हें आधिकारिक तौर पर यह नहीं बताया गया कि गठबंधन टूट गया है. 2019 में क्या हुआ, इसे लेकर कई दावे किए जाते हैं. क्या आप बताना चाहेंगे कि तब क्या हुआ था?

बीजेपी 2014 से ही गठबंधन तोड़ना चाहती थी. 2014 में उन्हें लगा था कि बिना गठबंधन के शिवसेना खत्म हो जाएगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ. जैसा कि दावा किया जा रहा था, नरेंद्र मोदी की 'लहर' के बावजूद, शिवसेना को 64 सीटें मिलीं. फिर हमने चुनाव के बाद गठबंधन बनाया. 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने प्रस्ताव दिया कि हम साथ मिलकर चुनाव लड़ें. अमित शाह और कई अन्य बीजेपी नेताओं ने मातोश्री में उद्धव ठाकरे और अन्य शिवसेना नेताओं से मुलाकात की थी.

बातचीत के बाद वर्ली के होटल ब्लू सी में प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई. वह प्रेस कॉन्फ्रेंस यूट्यूब पर मिल जाएगी.

अमित शाह की मौजूदगी में देवेंद्र फड़णवीस ने कहा कि सभी चुनाव गठबंधन में लड़े जाएंगे. चाहे विधानसभा हो या कोई अन्य चुनाव, हमसे 50-50 सत्ता साझेदारी फार्मूले का वादा किया गया था. इसका क्या मतलब है? लेकिन जब चुनाव खत्म हुए तो बीजेपी ने ऐसे किसी भी वादे से इनकार कर दिया और उन्होंने हमारे दावों का खंडन करना शुरू कर दिया. उन्होंने उद्धव जी पर झूठ बोलने का आरोप लगाया और दावा किया कि ऐसी कोई बातचीत नहीं हुई. हम क्या कर सकते थे? अगर वे हमें इस तरह से धोखा देने जा रहे थे, तो हमारे पास कोई और विकल्प नहीं था.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

उनका कहना है कि आपने जनादेश की अवहेलना की है.

जनता का जनादेश क्या था?

बीजेपी-शिवसेना गठबंधन को जनादेश.

बीजेपी के द्वारा जनादेश की बात करना हास्यास्पद है. मध्य प्रदेश में क्या हुआ? क्या बीजेपी के पास जनता का जनादेश था? जिस तरह से ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके वफादार बीजेपी में शामिल हुए, क्या वह जनता का जनादेश था? उससे ठीक चार दिन पहले आपने एनसीपी नेताओं को कैबिनेट में शामिल किया, जिन्हें आपने 'स्वाभाविक रूप से भ्रष्ट' कहा था. क्या यही जनता का जनादेश है? अगर आप राजनीति कर सकते हैं, तो हम भी कर सकते हैं.

आपने एनसीपी के विभाजन की बात कही. रिपोर्टों से पता चलता है कि दोनों गुट आखिर में विलय कर सकते हैं. जयंत पाटिल के अजित पवार के गुट में शामिल होने की भी खबरें हैं. अगर ऐसा होता है, तो आप एमवीए का भविष्य कैसे देखते हैं?

पार्टियों को तोड़ना, परिवारों को तोड़ना, विधायकों पर दबाव डालना, उन्हें केंद्रीय एजेंसियों से धमकाना...यही बीजेपी की राजनीति का सार है. मैं भी इसका शिकार हो चुका हूं. तो, उन्हें अपनी पूरी ताकत लगाने दीजिए.

आपने शरद पवार के विधायकों को तोड़ा, यह आपके लिए अच्छा है. आपने शिवसेना के विधायकों को तोड़ा, मैं आपको बधाई देता हूं. लेकिन शरद पवार और उद्धव ठाकरे अभी भी इतने मजबूत हैं कि सड़कों पर उतरकर पार्टियों को फिर से खड़ा कर सकते हैं और 2024 में महाराष्ट्र और दिल्ली पर कब्जा कर सकते हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

तो, क्या आपको यकीन है कि शरद पवार MVA के साथ रहेंगे?

बिल्कुल, मैं इसके बारे में पूरी तरह से आश्वस्त हूं.

शिवसेना को भी फूट का सामना करना पड़ा. कई रिपोर्ट्स में एकनाथ शिंदे की पार्टी के विधायकों के अंदर असंतोष का दावा किया जा रहा है...

चाहे वे असंतुष्ट हों या नहीं, हमारे दरवाजे उनके लिए बंद हैं.

क्या किसी ने आपसे संपर्क किया है?

बहुत लोगों के पास है लेकिन हम उन्हें वापस नहीं लेंगे. उन्हें वापस लेने का मतलब महाराष्ट्र के लोगों के साथ विश्वासघात होगा.

जब शिवसेना में बंटवारा हुआ, तो हमने उद्धव ठाकरे को सुना, जिन्होंने कहा था कि वह पार्टी का पुनर्जन्म करेंगे. इसके लिए काफी कोशिशें की जा रही हैं...

कोशिशें जारी हैं और यह वास्तव में पुनर्जन्म नही है. पार्टी जमीन पर है. कुछ विधायक और कुछ सांसद चले गए हैं. वे पार्टी नही हैं, पार्टी जमीन पर है. पार्टी वह नही है, जो कागज पर है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

क्या कैडर और पार्टी के पुनर्निर्माण में चुनौतियां हैं?

वो तो हैं ही. शिव सेना हमेशा संघर्ष की उपज रही है. हम इस तरह की चुनौती पहली बार नहीं देख रहे हैं. हर पार्टी को उस संघर्ष से गुजरना पड़ता है.

पिछले कुछ महीनों में महाराष्ट्र में कई सांप्रदायिक दंगे हुए हैं- अकोला, औरंगाबाद, कोल्हापुर, आदि. बहुत सारी दक्षिणपंथी रैलियां हुई हैं. ऐसी ही एक रैली मुंबई में बीजेपी नेताओं की मौजूदगी में हुई. क्या आपको लगता है कि महाराष्ट्र के सामाजिक ताने-बाने को बदलने की कोशिश की जा रही है?

यकीनन...कोशिश तो है लेकिन सफल नहीं होगी. हमने ऐसे बहुत से प्रयास देखे हैं लेकिन लोग अब उन्हें देखते हैं और सब कुछ समझते हैं. ये प्रयास सफल नहीं होंगे.

आप महाराष्ट्र की शिंदे-फडणवीस-पवार सरकार को क्या रेटिंग देंगे?

महाराष्ट्र में कोई सरकार नहीं है, माफियाओं का भ्रष्ट गिरोह है. कुछ ऐसे हैं, जो जेल जाने वाले हैं, कुछ ऐसे हैं जो जमानत पर बाहर हैं. ऐसे लोग सरकार कैसे चलायेंगे?

वे माफियाओं की तरह सरकार चला रहे हैं. वे सिर्फ पैसा बांटना और इकट्ठा करना चाहते हैं और उस पैसे से अपनी सरकार को मजबूत करना चाहते हैं.

INDIA गठबंधन की बात करें तो इसमें कांग्रेस, IUML जैसे शिवसेना के कई पूर्व प्रतिद्वंद्वी हैं. क्या सभी दल वैचारिक समझौता करने को तैयार हैं?

सभी को समझौता करना होगा. देश में चल रही तानाशाही को हराना है, तो सभी को समझौता करना होगा. हमने उन्हें बनाया है, कांग्रेस, एनसीपी, हर किसी को बनाना होगा, तभी बनेगा भारत.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

शिवसेना (UBT) मुंबई में INDIA गठबंधन की एक बैठक की मेजबानी कर रही है. आपकी इससे क्या उम्मीदें हैं?

मुंबई का राजनीतिक महत्व है और उद्धव ठाकरे इसकी मेजबानी करेंगे.

एजेंडे में कुछ चीजें हैं...जैसे कि INDIA गठबंधन का संयोजक कौन होगा. न्यूनतम साझा कार्यक्रम और भविष्य की रणनीति...ये तीन प्रमुख एजेंडे हैं. हम सीट शेयरिंग फॉर्मूले पर भी चर्चा कर सकते हैं.

राहुल गांधी हाल ही में संसद लौटे हैं. आपने उन्हें विपक्ष में देखा और अब आप उन्हें गठबंधन में देख रहे हैं. क्या पिछले कुछ सालों में आपका नजरिया उनके प्रति बदल गया है?

2014 से पहले ही राहुल गांधी की छवि खराब करने की कोशिश की जा रही थी. उन्होंने धारणा बदलने की कोशिश की है. जब उन्होंने भारत जोड़ो यात्रा शुरू की तो लोगों ने सवाल किया कि क्या वह 4,000 किलोमीटर यात्रा कर पाएंगे. लेकिन राहुल गांधी ने कन्याकुमारी से कश्मीर तक मार्च किया. राहुल ने देश को देखा और देश ने राहुल को. राहुल थके नहीं, हार नहीं मानी. मुझे लगता है कि भारत जोड़ो यात्रा से देश के नए नेता के रूप में राहुल का पुनर्जन्म हुआ है. ये राहुल गांधी 2024 में मोदी सरकार को हराने में अहम भूमिका निभाएंगे.

लोग आज राहुल गांधी को सुनना चाहते हैं. जब वह बोलते हैं तो वे टीवी चैनल नहीं बदलते. अब, जब पीएम मोदी बोलते हैं तो वे चैनल बदल लेते हैं. लोग 'राहुल की बात' सुनते हैं. देश ये बदलाव देखेगा.

एक सांसद के रूप में, आपके मुताबिक मणिपुर संकट का समाधान क्या है?

क्या प्रधानमंत्री और सरकार मणिपुर का समाधान चाहते हैं? अगर वे ऐसा करते, तो प्रधानमंत्री कम से कम दो दिन का दौरा करते, गृहमंत्री समय पर कार्रवाई करते और मुख्यमंत्री को बर्खास्त कर दिया गया होता.

उन्होंने सरकार को बर्खास्त कर दिया होता और कानून-व्यवस्था बहाल करने के लिए राष्ट्रपति शासन लगा दिया होता. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ और एक असफल मुख्यमंत्री को बचाया जा रहा है. इसी वजह से स्थिति और खराब हो गई.

2024 में महाराष्ट्र में बीजेपी सरकार को MVA किन मुद्दों पर चुनौती देने की योजना बना रही है?

मुद्दों को उठाने की कोई जरूरत नहीं है. मुद्दा सिर्फ एक होगा- जिस तरह से उन्होंने शिवसेना और एनसीपी के साथ व्यवहार किया. लोगों का गुस्सा आपको मतपेटियों और ईवीएम में दिखेगा.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

और INDIA गठबंधन के लिए?

इस तानाशाही को हटाना है. हर कोई भोजन, कपड़ा और घर का वादा करता है, लेकिन वास्तव में हमें क्या मिला? दंगे? हिंदू-मुस्लिम दुश्मनी? रोटी, कपड़ा और मकान देश के प्रमुख मुद्दे बने रहेंगे. सत्ता में आने वाली हर सरकार को इन्हें अपनाना होगा. सरकार कोई अहसान नहीं कर रही है. सरकार के तौर पर आपको इन समस्याओं से निपटना होगा और विपक्ष के तौर पर हमें इन्हें उठाना होगा.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×