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फरीदाबाद में 1 लाख से ज्यादा लोग मुसीबत में

खोरी गांव के लोगों का कोर्ट से सवाल- छोटे-छोटे बच्चों को लेकर इस महामारी में कहां जाएं?

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वीडियो एडिटर: अभिषेक शर्मा/आशुतोष भारद्वाज

कैमरा: अथहर राथर

7 जून को सप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने फरीदाबाद के खोरी गांव (Khori Village, Faridabad) को हटाने के 2020 के निर्देश को सही ठहराया. दिल्ली - हरियाणा बॉर्डर (Delhi-Haryana) के करीब बसी इस बस्ती में लगभग 10,000 परिवार रहते हैं जिनकी आय बहुत कम है. कोर्ट ने माना कि ये बस्ती अरावली जंगल (Aravali Forest) की जमीन पर अतिक्रमण है.

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खोरी में बसे घरों को तोड़ने का काम शुरू हो चुका है, लेकिन अब भी इसके लिए कोई प्लान नहीं बनाया गया कि यहां बसने वाले 1 लाख लोग कहां जाएंगे.

क्विंट खोरी बस्ती पहुंचा जहां लोग मदद की गुहार लगा रहे हैं, लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं है.

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‘डीलरों ने किया धोखा’

खोरी बस्ती में रहने वाली 36 साल की शकीला बेगम का कहना है कि उनके परिवार ने अपनी सारी जमा पूंजी गांव में जमीन खरीदने में लगा दी. वो कहती हैं-

डीलर ने हमें कहा कि ये जगह बिलकुल सुरक्षित है, यहां जमीन ली जा सकती है, जो विवादित जमीन है वो जंगल के दूसरी तरफ है. हमें डीलर ने ठगा है, सरकार उन्हें क्यों नहीं पकड़ती, जिन्होंने हमें ये जमीन बेची? ये हमारी गलती नहीं है, हमने जो कुछ भी थोड़ा बहुत कमाया है वो सब इस जमीन को खरीदने में लगा दिया, हमारे पास 10-12 लाख रुपये नहीं हैं जमीन खरीदने के लिए.
शकीला बेगम, स्थानीय, खोरी गांव, फरीदाबाद
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सिर्फ शकीला ही नहीं, गांव में रहने वाले कई लोगों का कहना है कि उनके साथ डीलरों ने धोखा किया है. उन्हें पावर ऑफ अटॉर्नी के जरिए जमीन बेची गई है

‘महामारी में बेघर हो गए, कहां जाएंगे?’

खोरी गांव के स्थानीय लोगों ने क्विंट को बताया कि गांव में रहने वाले कई लोग दिल्ली-NCR में मजदूरी करते हैं, दिहाड़ी मजदूर हैं. लेकिन महामारी के कारण उनका काम भी बंद हो गया, कई लोग बेरोजगार हो गए हैं.

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खोरी गांव में रहने वाले 24 साल के पवन कुमार एक एचआर प्रोफेशनल हैं, वो बताते हैं कि महामारी की वजह से उनकी नौकरी चली गई, और अब घर खाली करने का आदेश आ गया.

सुप्रीम कोर्ट ने ये देख लिया कि यहां कंक्रीट के घर बने हैं, लेकिन उन्होंने ये नहीं देखा कि उन घरों में लोग रह रहे हैं. क्या उन्हें पता है कि हम पहले से ही बहुत कर्ज में जी रहे हैं? अगर आप हमसे हमारा घर भी छीन लेंगे तो हम कहां जाएंगे?
पवन कुमार, स्थानीय, खोरी गांव, फरीदाबाद
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एक तरफ लोगों को अपने घर छीन जाने का डर दिन-रात सता रहा है तो दूसरी तरफ हरियाणा सरकार ने कहा है कि वो खोरी गांव में बसे लोगों के लिए पुनर्वास का इंतजाम कर रही है. इसमें वो लोग नहीं होंगे जो हरियाणा के रहने वाले नहीं हैं और जिनके पास पहचान पत्र नहीं है.

ये एक समस्या खोरी गांव में रहने वाली सितारा खातून जैसे और भी लोगों के लिए हैं. खातून के परिवार में 7 लोग हैं, 7 लोगों में उनके पति अकेले कमाने वाले हैं जिन्होंने पूरी पूंजी गांव में बनाए घर में लगा दी है. खातून के पास सारे कागजात हरियाणा के हैं लेकिन उनके पति दिल्ली के वोटर हैं.

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