''मैं वह बलात्कार पीड़िता जिसको उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा पीड़िता नहीं चरित्रहीन साबित किया गया, तरह तरह से... सिर्फ एक हिस्ट्रीशीटर सांसद अतुल राय को बचाने के लिए''
यह आखिरी चंद शब्द थे उस रेप सर्वाइवर के जिसकी न्याय की सबसे बड़ी चौखट पर आत्मदाह के बाद मौत हो गई. और साथ में उसके दोस्त सत्यम राय की भी.
इसे खुदकुशी मानना चाहिए या कत्ल? जिन हालात में इस रेप सर्वाइवर और उनके दोस्त ने ये कदम उठाया था, उन्हें जान लीजिए फिर खुद तय कीजिए.
मामला बहुजन समाज पार्टी के सांसद अतुल राय से जुड़ा हुआ है जिसके ऊपर 2019 में एक रेप का मुकदमा दर्ज हुआ था.
घोसी लोकसभा सीट पर अतुल राय के नामांकन के एक हफ्ते बाद बलिया की रहने वाली 23 वर्षीय एक युवती ने अतुल राय पर रेप का मुकदमा बनारस के लंका थाने में दर्ज कराया। मुकदमे के तुरंत बाद गिरफ्तारी के डर से अतुल राय अंडर ग्राउंड हो गया. फरारी के बावजूद अतुल राय घोसी लोकसभा सीट से तकरीबन एक लाख से ज्यादा मतों से जीत गया. इलाहाबाद हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट में कोई रिलीफ ना मिलने के बाद सांसद अतुल राय ने बनारस की एक निचली अदालत में जून 2019 में सरेंडर कर दिया जहां से उसे जेल भेज दिया गया.
नवंबर 2020 में कोर्ट के आदेश के बाद सांसद अतुल राय के भाई पवन कुमार सिंह की तहरीर पर जालसाजी और हनी ट्रैप के आरोप में युवती और उसके साथी सत्यम राय के खिलाफ बनारस के कैंट थाने में मामला दर्ज किया गया. पुलिस पकड़ न पाई तो जांच अफसर की अर्जी पर दोनों को कोर्ट ने भगोड़ा घोषित कर दिया. कोर्ट ने गैर जमानती वारंट जारी करने का आदेश भी दिया.
इसी बीच 16 अगस्त 2021 को युवती और उनके मित्र सत्यम राय ने सुप्रीम कोर्ट के सामने खुद को आग के हवाले कर दिया था. इलाज के दौरान 21 अगस्त को सत्यम की और 24 अगस्त को युवती की मौत हो गई. आत्मदाह करने से पहले एक वीडियो सामने आया है जिसमें युवती अपनी आपबीती लोगों के सामने रख रही है.
तकरीबन 9 मिनट के इस वीडियो में युवती और उसके मित्र सत्यम राय ने अपने ऊपर पेट्रोल छिड़ककर आग लगाने से पहले दोनों ने सीनियर पुलिस अधिकारी जिसमें बनारस के पूर्व कप्तान अमित पाठक, रिटायर्ड आईजी अमिताभ ठाकुर समेत कई पुलिसकर्मियों के खिलाफ कुछ बेहद संगीन आरोप लगाए हैं.
इस घटना के तुरंत बाद एक जांच कमेटी गठित हुई है। बनारस के पूर्व कप्तान अमित पाठक को इस घटना के तुरंत बाद शंट करते हुए लखनऊ बुला लिया गया। पाठक अभी गाजियाबाद के एसएसपी थे. रिटायर्ड आईजी अमिताभ ठाकुर को भी जांच में शामिल होने के लिए तलब कर लिया गया है.
क्या जांच में यह पता चल पाएगा कि किस परिस्थिति में रेप सर्वाइवर और उसके दोस्त को मजबूर होकर भारत के सर्वोच्च न्यायालय के सामने आत्मदाह जैसा कदम उठाना पड़ा? इस पूरे मामले में कुछ अहम सवाल हैं.
रेप सर्वाइवर आरोप था कि अतुल राय के कहने पर उनके खिलाफ बनारस और बलिया में फर्जी मुकदमे दर्ज किए जा रहे हैं. क्या वाकई ऐसा हुआ?
रेप सर्वाइवर पर FIR क्या अतुल राय के ऊपर दर्ज रेप के मुकदमे को कमजोर करने के लिए किए जा रहे थे?
रेप सर्वाइवर को उचित सुरक्षा क्यों नहीं मुहैया कराई गई?
आखिर यूपी पुलिस के पास कुलदीप सेंगर केस की नजीर भी तो थी. जिसमें एक विधायक कुलदीप सेंगर पर रेप का आरोप लगाने वाली बिटिया के पिता को हत्या कर दी गई, फिर हादसे में पीड़िता की मौसी, चाची और वकील की मौत हो गई. खुद पीड़िता भी बुरी तरह जख्मी थी, जो किसी तरह बच गई.
रेप सर्वाइवर और उस केस के अहम गवाह सत्यम राय की मृत्यु हो चुकी है और अतुल राय के खिलाफ मुकदमा लड़ने का पूरा दारोमदार अब मृतिका के गरीब परिवार पर है। दूसरी तरफ रसूखदार और मालदार सांसद. क्या हम उम्मीद कर सकते हैं कि पीड़ितों को इंसाफ मिलेगा? मिलेगा भी तो इतनी देर से कि देखने के लिए उसे मांगने वाला ही नहीं बचा है. एक आखिरी सवाल--क्या उसकी मौत का जिम्मेदार एक शख्स ही है या पूरा सिस्टम?
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