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SSC विवाद: इस मुल्क में नौकरी का सपना देखना क्या गुनाह हो गया है?

SSC के परे प्रतियोगी परीक्षाओं की अंधेरी दुनिया की हकीकत

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आपको लगता होगा कि SSC पर बीते कुछ दिनों में आपने सब देख लिया, जान लिया या समझ लिया? आप उस दर्द से वाबस्ता हो गए जो हजारों छात्र दिल्ली की चमचमाती सड़कों पर सह रहे थे. लेकिन क्या ये सच है? सच पूछिए तो सच से कोसों दूर.

  • SSC CGL यानी कंबाइड ग्रेजुएट लेवल एग्जाम, आवेदन करने वाले करीब 30 लाख, वैकेंसी महज 8 हजार
  • SSC MTS यानी मल्टी टास्किंग स्टाफ एग्जाम, आवेदन करने वाले करीब 70 लाख, वैकेंसी सिर्फ 8 हजार

हर नौकरी में यही हालत!

SSC  के परे प्रतियोगी परीक्षाओं की अंधेरी दुनिया की हकीकत
(फोटो: शादाब मोइज़ी)

अप्लाई करने वालों और पोस्ट की संख्या में ये फर्क देख रहे हैं आप? तो क्यों ना SSC को स्टाफ सेलेक्शन कमीशन की जगह...स्टाफ एलिमिनेशन कमीशन कहा जाए...जहां ज्यादातर कैंडिडेट को लेने नहीं बल्कि छोड़ने की, छांटने की लड़ाई है. सिर्फ SSC एग्जाम्स का ये हाल नहीं है. सरकारी नौकरियों के सिकुड़ते दायरे और बढ़ती बेरोजगारी की वजह से हर नौकरी यहां तक एडमिशन में भी यही मारामारी है. एक अदद नौकरी जैसे चांद हो गई जिसे उचककर छूना मुमकिन नहीं.

इस बड़े पैमाने पर छंटनी का सबसे बड़ा नतीजा है हर एग्जाम में सामने आने वाली धांधलियां. जब नौकरियां ऐसी गलाकाट प्रतियोगिताओं के बाद ही मिल रही हैं तो अलग-अलग तरह के जुगाड़ भिड़ाए जा रहे हैं. कभी ये जुगाड़ देशभर में चल रही कोचिंग संस्थाएं करती हैं तो कभी इसे सिस्टम के साथ ही मिलकर अंजाम दिया जाता है.
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SSC के खिलाफ धरने पर क्यों बैठे छात्र

बाकी की बात अभी छोड़िए, इस SSC को ही समझ लीजिए. स्टाफ सेलेक्शन कमीशन का काम है केंद्र सरकार और दूसरे विभागों के लिए ग्रुप B और ग्रुप C के कर्मचारियों का सेलेक्शन करना. यानी UPSC के एग्जाम को छोड़ दें तो बाकी के ज्यादातर एग्जाम और सेलेक्शन यही बोर्ड कराता है. खास तौर से CGL यानी कंबाइंड ग्रेजुएट लेवल, CHSL यानी कंबाइंड हायर सेकेंडरी लेवल, Central Police Officer और Multi Tasking Staff(MTS) की परीक्षाएं ये आयोग कराता है.

CGL के लिए साल 2017 में करीब 30 लाख छात्रों ने रजिस्ट्रेशन कराया था. वैकेंसी थी करीब 8 हजार. पहले प्री हुआ. प्री को पार कर निकले कुल जमा करीब 1 लाख 90 हजार छात्रों के लिए 17 से 22 फरवरी तक ऑनलाइन मोड में कुछ पेपर हुए. परीक्षा में बैठने वाले छात्र कह रहे हैं ऑनलाइन एग्जाम शुरू भी नहीं हुआ था कि 15 मिनट पहले क्वेश्चन पेपर और आंसर शीट ऑनलाइन तैरने लगे.

SSC  के परे प्रतियोगी परीक्षाओं की अंधेरी दुनिया की हकीकत
(फोटो: शादाब मोइज़ी)

तकनीकी खामी कहकर परीक्षा हड़बड़ी में रुकवाई गई और इसी दिन करीब सवा 12 बजे इसे रिशेड्यूल किया गया. जब छात्र परीक्षा देकर वापस आए तो पता चला ये पेपर भी लीक हो चुका है. ऐसा एग्जाम देने वाले छात्र कह रहे है. उनका कहना है कि पैसे लेकर कुछ छात्रों को फायदा पहुंचाया गया. उनके पेपर्स को रिमोट लोकेशन यानी किसी दूसरी जगह बैठकर सॉल्व किया गया.

इतनी बड़ी धांधली बिना SSC के मिलीभगत के कैसे हो सकती है? ये सवाल है प्रदर्शन करने वाले छात्रों का.

और बस भविष्य में पलीता लगाने वालों के खिलाफ छात्र सड़कों पर आ गए.

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इस मुल्क में एक नौकरी का सपना देखना क्या गुनाह हो गया है?

अगर नौकरशाहों को लगता है, सरकार को लगता है, इस पूरे सिस्टम को लगता है कि काले कांच, पर्दे और एसी वाले दफ्तरों के बाहर की सड़कों पर उमड़ा हुजूम चुप बैठेगा तो वो गलत हैं. बिल्कुल गलत. इन तख्तियों पर लिखी इबारत सिर्फ वो नहीं जो दिखाई देती है. वो इससे कहीं ज्यादा है. सरकारों को इस इबारत से डरना चाहिए.
सपना डिजिटल इंडिया का और तैयारी पाषाण काल की भी नहीं. ये खिलवाड़ आखिर कब तक चलेगा?

  • इस मुल्क में एक नौकरी का सपना देखना क्या गुनाह हो गया है?
  • क्या साफ सुथरा भ्रष्टाचार मुक्त सिस्टम की चाह रखना गुनाह है?
  • या गुनाह उन सरकारों को चुनना है जो हर बार युवाओं के नाम पर आती हैं और युवाओं को ही छलती हैं.

(लड़कियों, वो कौन सी चीज है जो तुम्हें हंसाती है? क्या तुम लड़कियों को लेकर हो रहे भेदभाव पर हंसती हो, पुरुषों के दबदबे वाले समाज पर, महिलाओं को लेकर हो रहे खराब व्यवहार पर या वही घिसी-पिटी 'संस्कारी' सोच पर. इस महिला दिवस पर जुड़िए क्विंट के 'अब नारी हंसेगी' कैंपेन से. खाइए, पीजिए, खिलखिलाइए, मुस्कुराइए, कुल मिलाकर खूब मौज करिए और ऐसी ही हंसती हुई तस्वीरें हमें भेज दीजिए buriladki@thequint.com पर.)

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

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