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भीमा कोरेगांव केस: 3 साल बाद जेल से रिहा हुईं एक्टिविस्ट सुधा भारद्वाज

NIA ने जमानत पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था.

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(वीडियो एडिटर: अभिषेक शर्मा)

भीमा कोरेगांव केस में गिरफ्तार हुईं वकील-एक्टिविस्ट सुधा भारद्वाज (Sudha Bharadwaj) को तीन साल बाद जेल से रिहा कर दिया गया है. बॉम्बे हाईकोर्ट ने 1 दिसंबर को सुधा भारद्वाज को जमानत दी थी.

बॉम्बे हाईकोर्ट ने उनकी जमानत याचिका को स्वीकार करते हुए मामले में 8 अन्य आरोपियों द्वारा दायर इसी तरह की याचिकाओं को खारिज कर दिया था.

जमानत के खिलाफ NIA की याचिका खारिज

नेशनल इंवेस्टिगेटिंग एजेंसी (NIA) ने बॉम्बे हाईकोर्ट से मिली डिफॉल्ट बेल पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसे 7 दिसंबर को कोर्ट ने खारिज कर दिया. सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस रवींद्र भट और जस्टिस बेला त्रिवेदी की बेंच ने कहा कि बॉम्बे हाई कोर्ट के ऑर्डर में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं है.

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मजदूरों के अधिकारों के लिए लंबे समय से आवाज उठाने वाली कार्यकर्ता और आदिवासी अधिकार कार्यकर्ताओं की वकील सुधा भारद्वाज को 28 अगस्त 2018 को भीमा कोरेगांव मामले में कई अन्य कार्यकर्ताओं के साथ गिरफ्तार किया गया था. उन्हें माओवादी आतंकवादी संगठनों के साथ संबंध होने के आरोपों में गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत गिरफ्तार किया गया था.

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