वीडियो एडिटर: आशुतोष भारद्वाज, विशाल कुमार
“सरकार या तो हमें समझती नहीं है या वे हमें अनदेखा कर रही है.”
सूरत में फेडरेशन ऑफ गुजरात वीवर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक जीरावला निराशा के साथ ये बात हमसे कहते हैं. इस साल अर्थव्यवस्था पर मंदी की मार ने दिवाली की चमक फीकी कर दी है. भारत में कपड़ा और हीरा दोनों के लिए सबसे बड़ा केंद्र सूरत, गंभीर मंदी का सामना कर रहा है, क्योंकि मांग में गिरावट आई है. इस बार दिवाली का मौसम पिछले सालों की तरह बम्पर बिक्री वाला मौसम नहीं है.
“इस साल की शुरुआत से- पोंगल, जो 14 जनवरी के आसपास आता है, उस समय से हमारे व्यापार में 50 प्रतिशत की गिरावट आई. उसके बाद शादी के मौसम में फिर से 50 प्रतिशत की गिरावट देखी गई. ईद, गौरी-गणेश पूजा, दुर्गा पूजा बाकी सभी त्योहार में व्यापारियों को घाटा ही सहना पड़ा है.”रगनाथ सारदा, अध्यक्ष, फेडरेशन ऑफ सूरत टेक्सटाइल ट्रेडर्स एसोसिएशन
द क्विंट ने शहर भर के व्यापारियों के साथ बातकर ये समझने की कोशिश की कि आखिर क्यों इस साल दिवाली की चमक फीकी पड़ गई, व्यापार में मंदी के क्या कारण रहे.
चीन सूरत के कपड़ा उद्योग के लिए एक संकट बना हुआ है.
अशोक जीरावला के मुताबिक, सरकार ने चीनी आयात पर 20 प्रतिशत एंटी-डंपिंग शुल्क लगाया, फिर भी चीन भारतीय कानूनों और टैक्स नियमों को दरकिनार करने में कामयाब रहा.
“श्रीलंका, नेपाल और बांग्लादेश के जरिये चीन अपने उत्पादों के साथ हमारे बाजारों में पहुंच रहा है. अगर इतनी मात्रा में चीन से उत्पाद बाजारों में आएगा तो हम कैसे प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं? भारत और चीन के बीच झगड़ा हमारे व्यापार को कम कर रहा है.”अशोक जीरावला, फेडरेशन ऑफ गुजरात वीवर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष
सूरत टेक्सटाइल ट्रेडर्स एसोसिएशन के जॉइंट सेक्रेटरी पुरुषोत्तम अग्रवाल कहते हैं, टेक्सटाइल इंडस्ट्री के सामने एक और प्रमुख मुद्दा लिक्विडिटी की कमी है क्योंकि भुगतान काफी देरी से हो रहा है.
“पहले हमें 60 दिनों में पेमेंट मिल जाता था अब 150 दिनों के बाद भी भुगतान नहीं हो रहा है. कई बार तो व्यापारी भुगतान करने में असमर्थता जाहिर करते हुए माल वापस कर रहे हैं.”पुरुषोत्तम अग्रवाल
इसके अलावा बिहार में बाढ़, जम्मू कश्मीर में शटडाउन और जीएसटी के कारण भी बाजार मंदा पड़ा हुआ है. देखिए पूरी वीडियो रिपोर्ट.
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