वीडियो एडिटर: पुनीत भाटिया
मेघालय के पश्चिमी खासी हिल्स के डॉम्माॅलिएह परियोंग गांव में सपने बुने जा रहें हैं. माउंट हर्मन हिनसिंह बासन वोकेशनल स्कूल 100 से अधिक बच्चों को मुफ्त शिक्षा प्रदान कर रहा है.
1995 में क्वींटिना देंगदोह ने अपनी सरकारी नौकरी छोड़कर अपने गांव में बच्चों को शिक्षा देने के लिए एक स्कूल खोला था.
जब मैं इस जगह पर वापस आई तो मैंने देखा कि यहां के लोग भोले भाले हैं. यहां पर बहुत से लोग अशिक्षित हैं. वो अभी भी अपने अंगूठे का इस्तेमाल करते हैं क्योंकि उन्हें लिखना पढ़ना नहीं आता है. मुझे यह देखकर दुख हुआ कि सरकार ने इस गांव को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया है. सरकार कभी यह भी देखने नहीं आई कि गांव को किसी तरह की सहायता चाहिए या नहीं सरकार ने कभी गांव में बिजली, पीने का पानी,स्कूल के हालातों की जांच करने की जहमत भी नहीं उठाई.क्वींटिना देंगदोह फाउंडर, MHHBV स्कूल
क्वींटिना बताती हैं कि हमने 1995 से 2002 तक बिना किसी के पैसों की मदद के काम किया. हमने अपनी जिंदगी त्याग दी ताकि हम गांव के बच्चों को पढ़ा लिखा सकें, उनका भविष्य संवार सकें.
स्कूल गरीब छात्रों को मुफ्त में खाना और रहने की सुविधा भी देता है. स्कूल में टीचर जॉर्ज देंगदोह बताते हैं कि अभी लोअर प्राइमरी स्कूल में 58 बच्चे और हायर प्रायमरी स्कूल में 45 बच्चे हैं. स्कूल में ज्यादातर छात्र गरीबी रेखा के नीचे वाले परिवार से हैं. स्कूल को चलाने में करीबन ₹80,000 प्रति महीने का खर्च है.
मुझे इन अनाथ बच्चों को खिलाने के लिए फंड्स चाहिए. विकलांग और अनाथ बच्चे यहां रहकर ही पढ़ाई करते हैं. पैसों की कमी के कारण, मैं उनकी देखभाल ठीक तरीके से नहीं कर पा रही हूं. इसलिए हमें जल्द से जल्द फंड्स की जरूरत है.क्वींटिना देंगदोह, फाउंडर, MHHBV स्कूल
पिछले साल तूफान की वजह से स्कूल को काफी नुकसान पहुंचा. यहां और भी बहुत सी समस्याएं हैं. लेकिन कभी-कभी ऐसे पल भी आते हैं जब इनकी कड़ी मेहनत सफल हो जाती है. स्कूल की छात्र पेट्रीशिया पेरियांग बताती हैं कि क्वींटिना बहुत ही अच्छी अध्यापिका है. वह सारे बच्चों को समझती हैं और वक्त आने पर उनकी मदद भी करती हैं. मैं उनके लिए प्रार्थना करता हूं कि उनके साथ सब अच्छा हो.
आप इस क्रिसमस, क्वींटिना और उनके बच्चों को शिक्षा का एक बहुत बड़ा तोहफा दे सकते हैं. उनकी मदद के लिए editor@thequint.com इस पते पर लिखें.
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