असम की लवलीना (Lovlina Borgohain) ने जब देश को ओलंपिक (Tokyo Olympic) में मेडल दिलाया तो एक खबर आई कि असम सरकार उनके स्वागत में उनके गांव तक पक्की सड़क बना रही है. खबर सही है. लेकिन खबर का मतलब ये भी है कि लवलीना को अपने गांव तक पक्की सड़क पाने के लिए टोक्यो जाकर जंग जीतनी पड़ी. क्विंट ने लवलीना के गांव बारोमुखिया (Baromukhia, Assam) में जाकर देखा कि देश को मेडल देने वाली इस लड़की के घर गांव को देश ने क्या दिया है? जो नेता आज लवलीना पर प्यार लुटा रहे हैं, उन्होंने धोखे के सवा कुछ नहीं दिया.
गांव में खेलकूद की कोई सुविधा नहीं है. कोई किक बॉक्सिंग ट्रेनिंग फैसिलिटी नहीं है. उपकरण और अन्य बुनियादी सुविधाओं के साथ कोई अच्छा जिम नहीं हैमितुल गोहेन, लवलीना के पड़ोसी
लवलीना के मेडल जीतने के बाद सरकारी ऐलान हुआ और बारोमुखिया में अब सड़क बन रही है लेकिन गांव वालों का कहना है कि गांव में अब तक विकास के नाम पर कुछ नहीं हुआ. हमारे कैमरे में भी जो कैद हुआ वो थीं- टूटी सड़कें, कीचड़ भरे रास्ते, पेयजल की आपूर्ति नहीं, इंटरनेट कनेक्शन नहीं, मोबाइल नेटवर्क तक नहीं आता ठीक से.
यहां मोबाइल नेटवर्क बहुत खराब है इंटरनेट कनेक्टिविटी नहीं होने के कारण हम अपनी ऑनलाइन क्लासेस नहीं कर पा रहे हैं. बहुत पिछड़ा गांव है यहां कोई विधायक या मंत्री कभी नहीं आता.
लवलीना की कामयाबी लूटने के लिए उनके साथ अपने आदम कद पोस्टर और कटआउट लगवा रहे नेताओं को जवाब देना चाहिए कि ओलंपिक मेडल से ही नींद क्यों खुली है? ये लवलीना के प्रति आभार है, भूल सुधार है या सिर्फ प्रचार है.
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