ट्रिपल तलाक को गैर जमानती अपराध बनाने के लिए ‘मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण’ विधेयक लोकसभा में पास हो गया है. राज्यसभा में भी पारित होने के बाद एकसाथ तीन तलाक पर एक ठोस कानून आ जाएगा.
देश की ज्यादातर मुस्लिम आबादी इस बिल के समर्थन में है, लेकिन कुछ मुस्लिम महिलाओं के मन में सवाल भी है कि पति को जेल की सजा होने के बाद उनका खर्च कौन उठाएगा. पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी भी इस मुद्दे पर सियासी नफा-नुकसान का हिसाब लगाने में जुट गई हैं.
पश्चिम बंगाल की एक मुस्लिम महिला जेबा प्रवीण ने कहा:
ट्रिपल तलाक देने के आरोप में अगर पति जेल चला जाता है, तो पत्नी और बच्चे का खर्च कौन उठाएगा? क्या ससुराल वाले उठाएंगे खर्च? बिल्कुल नहीं, क्योंकि उनका बेटा तो जेल में है. इसके बारे में कानून में कुछ साफ नहीं है.
लेकिन कानून के जानकारों के मुताबिक, पीड़ितों की मदद के लिए कई उपाय हैं. वकील नाजिया इलाही ने कहा कि ऐसे लाखों केस देखने को मिलते हैं, जहां तलाक के समय गुजारे-भत्ते की मांग होती है.
इसके समाधान के लिए सेक्शन 125 को थोड़ा आसान बनाया जाना चाहिए. पीड़िता को कम से कम में समय के भीतर गुजारा भत्ता दिलाया जाना चाहिए.नाजिया इलाही, वकील
मुस्लिम महिलाओं को कानून की कुछ धाराओं को लेकर संदेह है. साथ ही उन्हें कानून के गलत इस्तेमाल का डर है. कोलकाता के एक टीचर मोहम्मद आसिफ का कहना है कि जो बिल लोकसभा में पास हुआ है, उसके गलत इस्तेमाल की पूरी आशंका है.
ये गैरजमानती अपराध है, इसलिए पुलिस भी नाजायज फायदा उठा सकती है. पहले भी कुछ मामलों में ऐसा हो चुका है. अगर पति जेल जाता है, तो महिला को गुजारा-भत्ता कौन देगा?मोहम्मद आसिफ, टीचर, कोलकाता
ट्रिपल तलाक के मुद्दे पर लोकसभा में पश्चिम बंगाल की पार्टी टीएमसी ने चुप्पी साध रखी है. राजनीतिक विशेषज्ञ एसपी बसु के मुताबिक, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपने मुस्लिम वोट नहीं खोना चाहती. साथ ही उन्हें हिंदू वोट खोने का भी डर है. इसलिए वे इस मुद्दे पर चुप हैं.
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