वीडियो एडिटर और प्रोड्यूसर: वरुण शर्मा
कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए 24 मार्च को देशभर में लॉकडाउन के ऐलान के बाद, हजारों की संख्या में प्रवासी मजदूर पैदल ही अपने घरों के लिए निकलने के मजबूर हो गए. हरियाणा के सोनीपत में सैंडल का सोल बनाने वाली एक फैक्ट्री में काम करने वाले 25 साल के नितिन ने भी पैदल ही अपने घर निकलने का फैसला किया.
अपने भाई पंकज के साथ, नितिन 225 किलोमीटर दूर उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले में अपने गांव लालपुर के लिए पैदल निकल गए.
28 मार्च को, सफर के दूसरे दिन, नितिन की एक रोड एक्सीडेंट में मौत हो गई. मुरादाबाद में एक प्राइवेट बस ने नितिन को टक्कर मार दी और इस हादसे ने उनकी जान ले ली. मौके से फरार ड्राइवर पर एफआईआर दर्ज की गई है, लेकिन अब तक इस मामले में कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है.
नितिन के भाई पंकज ने क्विंट को बताया कि कैसे लॉकडाउन के बाद वो हरियाणा छोड़ने को मजबूर हो गए थे. नितिन और पंकज एक ही फैक्ट्री में काम करते थे.
“वहां खाने को कुछ नहीं था. हमने 26 मार्च को पैदल ही चलना शुरू किया. हम पैदल ही चल रहे थे जब मेरे भाई का एक्सीडेंट हो गया.”पंकज, नितिन के भाई
जिस दिन नितिन का एक्सीडेंट हुआ, उसी दिन उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रवासी मजदूरों को घर छोड़ने के लिए गाजियाबाद-दिल्ली बॉर्डर से 1,000 बसों का ऐलान किया. लेकिन इस परिवार के लिए तब तक काफी देर हो चुकी थी.
रामपुर के डीएम, अंजनेय कुमार सिंह ने क्विंट को बताया कि आर्थिक सहायता प्रक्रिया में है.
लॉकडाउन के दौरान पैदल घरों के लिए निकले प्रवासी मजदूरों में से देशभर में अब तक 20 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.
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