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UP:चौपाल में किसान बोले-RLD को छोड़ BJP को दिया वोट,लेकिन मिली चोट

साल 2017-18 में योगी सरकार ने गन्ने की कीमत में सिर्फ 10 रुपए प्रति कुंतल की मामूली बढ़ोतरी की थी.

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वीडियो एडिटर- आशुतोष भारद्वाज

वीडियो प्रोड्यूसर: कनिष्क दांगी

गन्ने से लदा हुआ ट्रॉली, सड़क पर दौड़ता ट्रैक्टर, आस-पास के इलाके में गुड़ के बनने की खुशबू आ रही थी. हम मुजफ्फरनगर (Muzaffarnagar) इलाके में थे. शाम हो चुकी थी और दिल्ली वापस लौटना था, तब ही रास्ते में किसी ने बताया कि रास्ते में ही भैंसी गांव है और वहां आहलावत खाप के लोग रहते हैं. जो हमसे मिलना चाहते हैं.

दरअसल, किसान आंदोलन (Farmers Protest) को लेकर हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश में अलग-अलग खाप समाज की पंचायते हो रही हैं, इसलिए हमने भी इन लोगों से मिलने का फैसला किया. जब हम भैंसी गांव पहुंचे तो एक दरवाजे पर गांव के लोग जमे हुए थे. फिर क्या था हमने भी क्विंट की चौपाल लगाई और इन लोगों के मन की बात सुननी शुरू कर दी.

चौपाल में मौजूद किसान सतेंद्र अहलावत कहते हैं,

“पंजाब से किसान आए तो वो खालिस्तानी हो गए, हरियाणा के किसानों ने बोला तो उन्हें भी पंजाब में जोड़ दिया, पश्चिमी उत्तर प्रदेश का किसान विरोध में आया तो कहा गया जाटों का विरोध है बस, लेकिन इस बात को दिमाग से निकाल दीजिए कि ये जाट हैं, ये आंदोलन किसानों का है और हर कोई नाराज है.”

"गन्ना उगाना मजबूरी"

वहीं पास में बैठे नकुल अहलावत कहते हैं कि नाराजगी मीडिया नहीं दिखाती है, लेकिन हर घर में लोग नाराज हैं. नकुल गन्ना की खेती करते हैं, लेकिन पिछले साल उन्होंने सरसों की खेती की थी. नकुल कहते हैं, "गन्ना की खेती में कम से कम इतना है कि पैसा देर से ही सही आता तो है, गन्ने का पता है कि वो मिल में चला जाएगास लेकिन किसी और खेती के लिए रास्ता नहीं है. पिछले साल सरसों की खेती की थी, लेकिन आधे रेट पर बेचना पड़ा."

वहीं गन्ना किसान अजय पाल कहते हैं कि 3 साल में एक पैसा नहीं बढ़ी गन्ने की कीमत. फिर कहां से आय दोगुनी होगी.

बता दें कि साल 2017-18 में योगी सरकार ने गन्ने की कीमत में सिर्फ 10 रुपए प्रति कुंतल की मामूली बढ़ोतरी की थी. अगैती प्रजाति (अर्ली वैरायटी) के लिए 325, सामान्य प्रजाति के लिए 315 और अनुपयुक्त प्रजाति के लिए 310 रुपए प्रति कुंतल गन्ना मूल्य निर्धारित किया गया था.

RLD कार्यकर्ता, लेकिन BJP को किया वोट

किसानों में तीन कृषि कानूनों के अलावा भी नाराजगी देखने को मिली. खुद को राष्ट्रिय लोकदल का कार्यकर्ता बताने वाले राहुल अहलावत कहते हैं कि उन्होंने 2014 और 2019 में बीजेपी को वोट दिया था. यहां तक की अपनी पार्टी को इसका नुकसान हुआ.

राहुल कहते हैं, "सरकार कहती है कि स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश लागू करेंगे, दोगुना दाम तो दूर MSP नहीं दे पाई, सिस्टम में कमी है. हिंदू-मुस्लिम कर चुनाव तो जीत लिया लेकिन अब इस भूल में न रहें."

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