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उत्तर प्रदेश में घोटालों का कुंभ? CAG रिपोर्ट के 5 बड़े खुलासे

युपी महाकुम्भ आयोजन में CAG ने कमियों को बारे में किया खुलासा

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यूपी सरकार अपनी उपलब्धियों में एक सबसे बड़ी उपलब्धि बताती है धर्म की रक्षा, धर्म से जुड़ी चीजों को प्राथमिकता. लेकिन अब सरकार धार्मिक कार्यों में हो रहे कथित घोटालों में ही घिरी हुई नजर आ रही है. ताजा मामला कैग रिपोर्ट का है जिसमें 2019 के महाकुंभ आयोजन के ऑडिट में कई तरीके की कमियां उजागर हुई हैं.

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उत्तर प्रदेश सरकार ने कुंभ आयोजन के लिए खर्च किये थे 4236 करोड़ रुपए

उत्तर प्रदेश सरकार ने 2019 में प्रयागराज के कुंभ के आयोजन के लिए 4236 करोड़ रुपए का आवंटन किया था. खर्च के लिहाज से यह सबसे बड़ा कुंभ आयोजन था. कुछ आलोचकों ने इस खर्च पर आपत्ति उठाते हुए उस समय कहा था कि यह बजट राज्य सरकार की स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च होने वाले 80% बजट के बराबर है.

लोकसभा चुनाव से पहले हुआ था आयोजन

2019 लोकसभा चुनाव से ठीक पहले आयोजित हुए इस कुंभ को सबसे बड़ा आयोजन और अपनी उपलब्धि बताकर राज्य सरकार ने अपनी पीठ थपथपाई थी. लेकिन कैग रिपोर्ट में हुए सवालों पर राज्य सरकार पूरी तरीके से घिरी हुई नजर आ रही है और उनकी तरफ से अभी कोई आधिकारिक वक्तव्य सामने नहीं आया है.

चलिए अब बात करते हैं एक-एक कर ऑडिट रिपोर्ट की खास बातों के बारे में बताते हैं

ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक नगर विकास विभाग ने कुंभ मेले के लिए 2744 करोड़ का बजट स्वीकृत किया था. जिसमें से जुलाई 2019 तक 2112 करोड़ खर्च हो चुका था. विभागों द्वारा आवंटन और खर्च की सूचना कुंभ मेला अधिकारी द्वारा उपलब्ध नहीं कराई गई. जिससे कई आवंटित धनराशि और खर्च की सही स्थिति नहीं पता लग सकी.

कुंभ मेले में भारत सरकार के दिशानिर्देशों का उल्लंघन करते हुए राज्य सरकार ने राज्य आपदा राहत कोष, जिसका उपयोग आपदा के समय बचाव और राहत कार्य के लिए किया जाता है, उससे 65.87 करोड़ कुंभ मेला में बचाव उपकरण खरीदने के लिए डायवर्ट किया गया.

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PWD ने बगैर वित्तीय स्वीकृति सड़कों की मरम्मत और सड़कों के किनारे पेड़ों पर पेंटिंग के लिए 1.69 करोड़ खर्च किए. इसके अलावा सूचना और जनसंपर्क विभाग ने इलेक्ट्रानिक और प्रिंट मीडिया के माध्यम से कुंभ मेले के प्रचार प्रसार के लिए आवंटित 14.67 करोड़ के बजाय 29.33 करोड़ रुपए खर्च कर दिए.

ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक कुंभ मेला अधिकारी द्वारा सही तरीके से निगरानी ना करने के कारण टेंट सामग्री देने वाले वेंडर ने सामान वापस न करने पर 21.75 करोड़ के मुआवजे ठोक दिया.

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इसके साथ ही कुंभ मेले के दौरान विभिन्न विभागों ने निर्धारित समय-सीमा का पालन नहीं किया. जिसके चलते 58 स्थायी और 11 अस्थाई तरीके के लगभग 15 प्रतिशत कार्य कुंभ मेला शुरू होने तक पूरे नहीं हुए थे.

इस ऑडिट रिपोर्ट में हुए खुलासों पर सरकार ने पक्ष अपना नहीं रखा है लेकिन विपक्ष ने हमले करने शुरू कर दिए हैं और सबसे पहले मोर्चा खोला है आम आदमी पार्टी के संजय सिंह ने.

"एक छोटा सा उदाहरण मैं देता हूं, उस आडिट में यह पकडा गया है कि 32 ट्रैक्टर खरीदे गए. जो ट्रैक्टर कार और स्कूटर के नम्बर पर हैं. इससे यह पता चलता है कि इस महाकुम्भ में कितना बड़ा घोटाला हुआ है."
संजय सिंह
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यूपी में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियां अभी से शुरू हो गई हैं और यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में विपक्ष का रूप कैसा होगा और कुंभ मेले में अनियमितताओं के गंभीर आरोपों से घिरी सरकार किस तरीके से अपने बचाव में सामने आती है.

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