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Uttarakhand पेपर लीक: बेरोजगारों को नौकरी नहीं देने का बहाना?

Uttarakhand Paper leak: 7 साल से उत्तराखंड के युवा पटवारी, लेखपाल बनने का इंतजार कर रहे हैं.

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दूध मांगोगे खीर देंगे

परीक्षा मांगो, पेपर लीक कर देंगे

नौकरी मांगो, लाठी-डंडे से पीट देंगे..

ये डायलॉग है फिल्म 'सरकार तुझे सलाम' का. ओह ओ आपने इस फिल्म का नाम नहीं सुना होगा शायद? तो सुनिए.. ये फिल्म फिलहाल उत्तराखंड की सड़कों पर चल रही है. हीरो पिट रहा है, पुलिस विलेन बनी बैठी है. और नेता डायलॉगबाजी कर रहे हैं. जब भी फिल्म की कहानी कमजोर पड़ती है. तब ही 'डायरेक्टर साहब' देशभक्ति, भगवा, घर वापसी, नाम बदलना जैसे किरदार को सीन में ले आते हैं. नेताओं को अपनी फिल्म हिट कराने के लिए धर्म का फॉर्मूला मिल गया है. और जनता यानी अभ्यर्थी एक अदद के लिए नौकरी के लिए तरस रहे हैं.

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अबतक जो आपने सुना वो फिल्मी रिव्यू नहीं बल्कि हकीकत है. उत्तराखंड में एक के बाद एक पेपर लीक हो रहे हैं. जिसकी वजह से अभ्यर्थी एग्जाम कराने वाली आयोगों में भ्रष्टाचार, धांधली, पेपर लीक, नौकरी में देरी के खिलाफ सड़क पर उतर गए हैं और पुलिस उन्हें पीट रही है. इसलिए हम पूछ रहे हैं जनाब ऐसे कैसे?

उत्तराखंड में पेपर लीक की कहानी बताने से पहले एक अहम बात. क्विंट पर हम लागातार बेरोजगारी से लेकर लोगों के जरूरू मुद्दे उठाते रहे हैं, आपकी आवाज सत्ता तक पहुंचे इसलिए हमें भी आपके साथ की जरूरत है. आप हमारा साथ क्विंट मेंबर बनकर दे सकते हैं. क्विंट मेंबर बनने के लिए लिंक पर क्लिक करें.

अब बात करते हैं, पेपर लीक की. 09 फरवरी 2023 को जब देश में कई लोग चॉकलेट डे मना रहे थे, तब उत्तराखंड के देहरादून में अलग-अलग विभागों में सरकारी नौकरी के लिए सालों से इंतजार कर रहे उम्मीदवारों को पुलिस लाठी डंडे से कड़वा जख्म दे रही थी. वो भी उनकी नहीं सरकार की गलती की वजह से.

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दरअसल, देहरादून की सड़कों पर परीक्षा पेपर लीक को लेकर छात्र प्रदर्शन कर रहे थे. प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया, जिसमें कई छात्र घायल हो गए. ये अभ्यर्थी एक दिन में अचानक यूं ही सड़कों पर नहीं आ गए थे. दरअसल, कई सरकारी विभाग में नौकरी के लिए अभ्यर्थी 6-7 साल से इंतजार कर रहे हैं. लेकिन पेपर लीक और धांधली से उनके सपने चूरचूर होते गए.

चलिए आपको पिछले कुछ वक्त में हुए पेपर लीक की जानकारी देते हैं.

पटवारी-लेखपाल पेपर लीक

8 जनवरी 2023 को पटवारी और लेखपाल के पद के लिए एग्जाम हुए थे. लेकिन एग्जाम के बाद पता चला कि इसका तो पेपर लीक हो चुका था. इस एग्जाम के लिए विज्ञापन 2021 में ही निकली थी. प्रदेश में पटवारी और लेखपाल के कुल 513 पदों के लिए Uttarakhand Subordinate Services Selection Commission ने 17 जून 2021 को विज्ञापन जारी किया था. इसके लिए फिजिकल टेस्ट नवंबर 2021 में प्रस्तावित थी. लेकिन, कोरोना की वजह से नहीं हो पाई.

लेकिन इसी बीच कई और पेपर लीक की वजह से UKSSSC सवालों के घेरे में आ गया. तो फिर सरकार ने इस भर्ती की जिम्मेदारी सितंबर 2022 से उत्तराखंड लोक सेवा आयोग (UKPSC) को सौंप दी थी. फिर दोबारा विज्ञापन 14 अक्तूबर 2022 को जारी किया गया. अबकी यह भर्ती 554 पदों के लिए निकाली गई थी. लेकिन, 8 जनवरी 2023 को आयोजित परीक्षा का पेपर लीक हो गया. इस एगजाम में एक लाख से ज्यादा अभ्यर्थी शामिल हुए थे. सरकार 12 फरवरी को परीक्षा कराना चाहती थी लेकिन अभ्यर्थियों की मांग है कि पहले पेपर लीक की सीबीआई जांच हो.

7 साल से उत्तराखंड के युवा पटवारी, लेखपाल बनने का इंतजार कर रहे हैं. प्रदेश में आखिरी पटवारी भर्ती के लिए 2015 में प्रक्रिया शुरू हुई थी. और 2018 में में ज्वाइनिंग मिल गई थी. इसके बाद से प्रदेश में पटवारी-लेखपाल की नई भर्ती नहीं हुई है.

JE-AE पेपर लीक

पटवारी भर्ती लिखित परीक्षा के साथ ही junior engineer (JE) और Assistant Engineer की भर्ती परीक्षा का प्रश्नपत्र भी लीक हो चुका है. AE और JE भर्ती परीक्षा के पेपर लीक मामले में 9 आरोपियों पर केस दर्ज किया गया.

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13 विभागों के एग्जाम पेपर लीक

इसके अलावा UKSSSC ने 13 अलग-अलग विभागों के 916 पोस्ट को भरने के लिए 4 और 5 दिसंबर 2021 को ग्रेजुएट लेवल एग्जाम कराया था. परीक्षा होने के बाद नकल और पेपर लीक के आरोप लगाए गए. जिसके बाद अभ्यर्थियों ने विरोध-प्रदर्शन किया, तो मामले की जांच शुरू हुई. मामले की जांच में पता चला कि करीब 36 लाख रुपये लेकर पेपर लीक कराया गया था.

वहीं पेपर लीक, नकल और धांधली की बात करें तो सेक्रेटेरिएट गार्ड भर्ती, junior assistant (judiciary), फॉरेस्ट गार्ड की परीक्षाएं के पेपर लीक होने की भी बात सामने आई थी. इन भर्ती घोटालों की जांच एसटीएफ को सौंपी गई थी.

जब छात्र सड़कों पर उतरे तो मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी कह रहे हैं कि उत्तराखंड में जल्द ही देश का सबसे सख्त नकलरोधी कानून लागू होने वाला है. इसमें नकल माफिया को उम्रकैद, 10 करोड़ तक जुर्माना और नकल माफिया से मिलकर नकल करने वाले अभ्यर्थियों को भी 10 साल तक की जेल का प्रावधान किया गया है.

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लेकिन सवाल ये है कि पेपर लीक से लेकर धांधली होता रहा फिर सरकार इतने सालों में इसे रोक क्यों नहीं पाई? पेपर लीक के बाद गिरफ्तारियां, जांच, कानून सब बनाए जा रहे हैं, लेकिन जिन छात्रों की मेहनत, वक्त, जिंदगी के अहम पल, उम्मीदें, उम्र तैयारी और इंतजार में बर्बाद हो गए उनका क्या? सवाल ये भी है कि UKSSSC के बाद UKPSC के द्वारा एग्जाम कराने पर भी जब पेपर लीक हो रहा है तो आखिर भर्तियों की परीक्षाएं कौन कराए? इसलिए हम पूछ रहे हैं जनाब ऐसे कैसे?

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