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शनिवार-रविवार की छुट्टी कैसे, कब और क्यों शुरू हुई?

वीकेंड की छुट्टी पर जो मजा आप लेते हैं, उस छुट्टी के लिए कुछ लोगों ने जान की क़ुर्बानी दी थी.

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क्या आपको पता है कि 19वीं शताब्दी में वीकेंड(Weekends) जैसा कुछ नहीं होता था. बल्कि वीकेंड शब्द ही नहीं था. लोग हर दिन काम करते थे. और सिर्फ क्रिसमस, ईद, होली या दीवाली जैसे त्योहारों पर छुट्टी लेते थे. सच में, ये कितना बुरा था!

लेकिन क्या आपने सोचा है कि वीकेंड का ये सिस्टम कैसे शुरू हुआ? किसने ये शुरू किया?

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18वीं-19वीं शताब्दी की दुनिया

इसके लिए हमें करीब 100-150 साल पीछे जाना होगा. औद्योगिक क्रांति(Industrial Revolution) के दौरान पारंपरिक खेती-किसानी छोड़ या उसके साथ-साथ लोगों ने जब फैक्ट्रियों में काम करना शुरू किया तो लोग रोज 10 से 16 घंटे काम करते थे, वो भी सप्ताह के सातों दिन. और इसका नतीजा था परेशान नाखुश मजदूर.

मजदूरों ने इसकी शिकायत करना शुरू किया और फैक्ट्री मालिकों से परिवार के साथ समय बिताने के लिए छुट्टी की मांग की. लेकिन उस समय आज की आधुनिक दुनिया की तरह लेबर लॉ नहीं बने थे. और आसानी से छुट्टी भी नहीं मिल पाती थी.

धीरे धीरे ये शिकायत लेबर यूनियन्स के आंदोलन में बदल गई. अमेरिका और यूरोप में लोगों ने फैक्ट्री मालिकों को संदेश देने के लिए हड़ताल की, लेकिन उन्हें पुलिस बल का भी सामना करना पड़ा. कुछ लोगों की जाने भी गईं, बहुत से लोग घायल भी हुए.

फिर लोग काम पर वापस लौटे, लेकिन वो खुश नहीं थे. चूंकि ज्यादातर फैक्ट्री मजदूर और कर्मचारी ईसाई या यहूदी थे और शनिवार या रविवार को प्रार्थना करने के लिए छुट्टी मांगते थे,. तो आखिर कुछ फैक्ट्रियों ने संडे को छुट्टी देना शुरू किया ताकि लोग चर्च जा सकें, परिवार के साथ कुछ समय बिता सकें.

लेकिन सिर्फ ऐसा नहीं है कि लेबर यूनियन, या फिर यहूदी और इसाई मजदूरों, या धर्म की वजह से ऐसा हो पाया. सप्ताह में 40 घंटे काम और वीकेंड को एक नियम बनाने में मुख्य भूमिका निभाई फोर्ड मोटर कार बनाने वाली कंपनी के फाउंडर हेनरी फोर्ड ने. वही फोर्ड कंपनी जो अब भारत छोड़ के जा चुकी है.

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वीकेंड की छुट्टी किसने शुरू की?

1926 में हेनरी फोर्ड ने तय किया कि फैक्ट्री 2 दिन बंद रहेगी. रोज 8 घंटे काम होगा और शनिवार-रविवार को छुट्टी रहेगी. उन्होंने इसे नियम बना दिया.  हालांकि, तब तक अमेरिका की फेडरल सरकारों ने फैक्ट्रियों के लिए ऐसा कोई कानून नहीं बनाया था.

वीकेंड पर छुट्टी देने से फोर्ड कंपनी को बहुत से फायदे हुए. मजदूरों की प्रोडक्टिविटी यानी उनकी काम करने की क्षमता काफी बढ़ गई. और साथ ही साथ काम में उनकी एकाग्रता और कंपनी के लिए उनकी निष्ठा भी.

लेकिन! जाहिर है हेनरी फोर्ड ने सिर्फ मजदूरों की भलाई के लिए या उनकी मांगों को देखते हुए तो ऐसा नहीं किया होगा.

बेशक! ऐसा करने के पीछे व्यावसायिक कारण भी थे.

फोर्ड कंपनी उस समय ऐसी कारें बना रही थी जो बहुत महंगी न हो और साधारण निम्न वर्ग के परिवार भी उन्हें खरीद सकें. जब कंपनी को अहसास हुआ कि उनके कई कर्मचारी उनके ग्राहक भी हैं, तो उन्होंने तय किया कि ये लोग कंपनी का उत्पाद खरीद सकें, उसका इस्तेमाल कर सकें, इसके लिए उन्हें समय भी देना होगा.

तो उन्होंने छुट्टी को नियम बना दिया. आगे यही तरीका कई और कंपनियों ने भी अपनाया. क्योंकि लोग वीकेंड पर घूमेंगे, गाड़ी का इस्तेमाल करेंगे, उत्पाद खरीदेंगे तो फायदा तो बाजार का भी होगा.

हेनरी फोर्ड के बेटे और उस समय कंपनी के प्रेसिडेंट एड्सल फोर्ड ने न्यूयॉर्क टाइम्स को दिए एक इंटरव्यू में कहा था-

“हर व्यक्ति को रेस्ट और रीक्रिएशन के लिए हफ्ते में एक से ज्यादा दिन की जरूरत होती है. हम अपने कर्मचारियों में आदर्श जीवन को बढ़ावा देना चाहते हैं. हमारा मानना है बेहतर जीवन जीने के लिए हर व्यक्ति के पास अपने परिवार के साथ रहने के लिए समय होना चाहिए.”

उन्होंने इसी इंटरव्यू में ऐसा करने से व्यवसायिक फायदे कैसे मिलेंगे ये भी बता दिया. उन्होंने कहा-

"छुट्टी में भी जब कर्मचारियों को अच्छी तनख्वाह मिलती है, तो उनकी ख्वाहिशें भी उतनी अधिक हो जाती हैं. फिर ये ख्वाहिशें जल्द ही जरूरत बन जाती हैं. एक अच्छी तरह से प्रबंधित व्यवसाय कर्मचारियों को ज्यादा भुगतान देता है और कम कीमत पर उत्पाद बेचता है. ताकि उसके मजदूरों या कर्मचारियों के पास जीवन का आनंद लेने के लिए फुरसत हो और यही फुरसत बाजार के लिए उत्पाद बेचने का अच्छा मौका मुहैया कराती है.”
एड्सल फोर्ड

तो अब जब आप वीकेंड पर कहीं आनंद ले रहे हो और दिमाग में आए की इस छुट्टी के लिए किसे शुक्रिया कहा जाए तो लेबर यूनियन, धर्म और of course हेनरी फोर्ड और उनके बिजनेस माइंड को शुक्रिया कह सकते हैं.

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