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दरबार साहिब के दर्शन के लिए भी फीस! श्रद्धालु खफा, ग्राउंड रिपोर्ट

करतारपुर कॉरिडोर पर क्या सोचते हैं तीर्थयात्री?

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वीडियो एडिटर: संदीप सुमन/अभिषेक शर्मा

24 अक्टूबर को भारत-पाकिस्तान ने ऐतिहासिक करतारपुर कॉरिडोर को फिर शुरू करने संबंधी समझौते पर हस्ताक्षर किए. इस समझौते के मुताबिक, 5,000 भारतीय तीर्थयात्री बिना वीजा के पाकिस्तान के गुरुद्वारा दरबार साहिब जा सकेंगे. हर तीर्थयात्री को करीब $20 डॉलर यानी 1400 रुपये की फीस चुकानी होगी.

गुरु नानक देव का देहांत 22 सितंबर 1539 को हुआ. पाकिस्तान में बना करतारपुर साहिब गुरुद्वारा उसी जगह बना है जहां गुरु नानक जी 18 साल तक रहे और उसी जगह उन्होंने अपनी आखिरी सांस ली.

द क्विंट ने कुछ तीर्थयात्रियों से बात की. कुछ लोगों ने 70 साल बाद कॉरिडोर खोले जाने पर दोनों सरकारों का धन्यवाद किया. लेकिन कुछ लोग लगाई गई शर्तों और फीस को लेकर खुश नहीं हैं.

सरकार ने जो $20 फीस लगाई है, ये सही नहीं है. ये कोई टूरिस्ट प्लेस नहीं है. इतना पैसा एक अमीर आदमी दे सकता है लेकिन गरीब ये फीस नहीं दे सकता.
अवतार सिंह, दुकानदार

समझौते के तहत हर तीर्थयात्री के पास पासपोर्ट होना अनिवार्य है. लेकिन इससे कुछ तीर्थयात्री खुश नहीं हैं.

हमारे पास पासपोर्ट है, लेकिन हर किसी के पास नहीं है, यहां कुछ लोग बुजुर्ग हैं और वो पासपोर्ट नहीं बनवा सकते.
नरिंदर कौर, गृहणी

दोनों देशों के बीच चल रही गहमा-गहमी के बीच करतारपुर कॉरिडोर के शुरू होने से हजारों तीर्थयात्रियों ने इसे दोनों देशों का सकारात्मक कदम बताया.

ये कॉरिडोर 70 साल बाद खुला है, हम पाकिस्तान सरकार का बहुत धन्यवाद करते हैं. क्योंकि इससे दोनों देशों में भाईचारा बढ़ेगा.
दुष्यंत सिंह, दुकानदार

12 नवंबर को गुरु नानक जी की 550वीं जयंती है. जयंती से पहले 9 नवंबर को पाकिस्तान के पीएम इमरान खान करतारपुर कॉरिडोर का उद्घाटन करेंगे.

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