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क्या गांधी की अहिंसा के खिलाफ गोडसे की नफरत जीत रही है?

बापू की अहिंसा पर क्यों उठ रहे सवाल?

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ये जो इंडिया है ना, यहां 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी की हत्या कर दी थी. वो शख्स जो अहिंसा के प्रतीक थे, उनकी हिंसक मौत हुई. गोडसे ने भारत के विभाजन के लिए गांधी को जिम्मेदार ठहराया... ऐसा विचार रखने का गोडसे को अधिकार था, लेकिन, बापू को मार गिराने का, उन्हें कोई अधिकार नहीं था.

फिर भी आज, गोडसे, और गांधी को मारने के उनके फैसले को मान दिया जा रहा है. और मकसद से ज्यादा, उस क्रूर हत्या की सराहना की जा रही है. और, इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि जो लोग आज 'धर्म संसद' में गांधी की हत्या के लिए गोडसे की प्रशंसा कर रहे हैं, वही लोग भारत के मुसलमानों की हत्या का आह्वान भी कर रहे हैं.

वास्तव में, गांधी की अहिंसा ही इनकी नफरत का फोकस है, क्योंकि एक अहिंसक भारत... गांधी का भारत, इन नफरती लोगों का भारत नहीं है. और दुर्भाग्य से, इन लोगों की आवाजें आज ज्यादा और मुख्यधारा में सुनाई दे रही हैं. हां, उनमें से कुछ, जैसे यति नरसिंहानंद और कालीचरण, अभी के लिए पुलिस हिरासत में हैं, लेकिन कई आजाद भी घूम रहे हैं, और उनके नफरती वायरल वीडियो रोजाना हजारों बार देखे जा रहे हैं
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और, जहां भारत के टॉप नेताओं के पास नेहरू को बदनाम करने के लिए, मुसलमानों और ईसाइयों को बदनाम करने लिए, किसी को भी ‘एंटी-नेशनल’ कहने का समय मिल जाता है... वहीं, गांधी की हत्या का जश्न मनाने वालों की निंदा करने के लिए उनके पास वक्त नहीं है.

हाल के वर्षों में, हर 30 जनवरी, #NathuramGodseAmarRahe, #NathuramGodseZindabad ट्रेंड करते है. इसके पीछे बॉट्स नहीं, बल्कि असली गोडसे प्रशंसक हैं, इनमें से कुछ हिंदू महासभा के सदस्य हैं. उनके मेरठ कार्यालय में, गोडसे और उसके साथी नारायण आप्टे की मूर्तियों की पूजा हर साल 15 नवंबर को की जाती है, जिस दिन उन दोनों को फांसी दी गई थी. ग्वालियर में एक गोडसे मंदिर भी बना था और इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि मुसलमानों और ईसाइयों से नफरत करना उनका दूसरा शौक है. महासभा की उपाध्यक्ष साध्वी देवा ठाकुर कह चुकी हैं कि मुसलमानों और ईसाइयों की आबादी नियंत्रित करने के लिए उनकी जबरन नसबंदी करानी चाहिए. उनके महासचिव मुन्ना कुमार शुक्ला का दावा है कि चर्च पर हमला करना कानूनी जुर्म नहीं है.

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ये एक गलत धारणा है कि गोडसे के प्रशंसक सिर्फ हिंदू महासभा तक ही सीमित हैं. 2014 में बीजेपी सांसद साक्षी महाराज ने गोडसे को देशभक्त कहा था, लेकिन फिर भी 2019 में उन्हें चुनाव में टिकट मिला. 2019 में, बीजेपी सांसद प्रज्ञा ठाकुर ने गोडसे को संसद के अंदर 'देशभक्त' कहा. तब से, गोडसे की प्रशंसा करने वाले बीजेपी नेताओं की सूची लंबी होती जा रही है - मध्य प्रदेश की कैबिनेट मंत्री उषा ठाकुर, कर्नाटक के बीजेपी सांसद, अनंत कुमार हेगड़े और नलिन कुमार कतील, आंध्र प्रदेश बीजेपी के राज्य सचिव रमेश नायडू नागोथू - इन सभी ने गोडसे की प्रशंसा की, लेकिन क्या बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं ने उनके खिलाफ कार्रवाई की? नहीं.

गांधी जयंती पर, 2019 में, नरेंद्र मोदी ने न्यूयॉर्क टाइम्स के लिए लेख लिखा - Why India and the World Need Gandhi. मोदी जी ने अपने भाषणों में भी गांधी की बार-बार प्रशंसा की है. लेकिन जब कालीचरण महाराज गांधी को गाली देते हैं और गोडसे को मारने के लिए धन्यवाद देते हैं, तो उस वक्त सन्नाटा क्यों? और कुछ कहने के बजाय मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा कालीचरण की गिरफ्तारी का विरोध करते हैं. तो फिर, न्यूयॉर्क टाइम्स में वो लेख क्यों? सिर्फ गांधी की दुनिया में जो इज्जत है उसका फायदा उठाने के लिए?

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गांधीवादी करुणा के एक और अद्भुत पाठ के लिए – क्या आप जानते हैं कि गोडसे और आप्टे को मिली मौत की सजा के खिलाफ किसने गुहार लगाई थी? खुद बापू के दो बेटों ने - मणिलाल और रामदास गांधी.

ये जो इंडिया है ना, यहां गोडसे अब चंद लोगों का हीरो नहीं है. गोडसे की नफरत और हिंसा को अपनाने वाले आज कई और लोग हैं, जबकि गांधी और उनकी अहिंसा पर सवाल उठाए जा रहे हैं. हम सभी देश प्रेमियों के लिए ये गहरे चिंता का विषय है.

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और गांधीवादी करुणा के एक और अद्भुत पाठ के लिए – ये सुनिए. क्या आप जानते हैं कि गोडसे और आप्टे को मिली मौत की सजा के खिलाफ किसने गुहार लगाई थी? खुद बापू के दो बेटों ने - मणिलाल और रामदास गांधी.

ये जो इंडिया है ना, यहां गोडसे अब चंद लोगों का हीरो नहीं है. गोडसे की नफरत और हिंसा को अपनाने वाले आज कई और लोग हैं, जबकि गांधी और उनकी अहिंसा पर सवाल उठाए जा रहे हैं. हम सभी देश प्रेमियों के लिए ये गहरे चिंता का विषय है.

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