ADVERTISEMENTREMOVE AD

World Tourism Day 2020: रिक्शा चलाने को मजबूर टूरिस्ट गाइड

विश्व पर्यटन दिवस 2020: भारत के टूरिस्ट स्पॉट खुले, लेकिन कहां हैं टूरिस्ट?

Published
छोटा
मध्यम
बड़ा
ADVERTISEMENTREMOVE AD

वीडियो एडिटर: राहुल सांपुई

आज विश्व पर्यटन दिवस (World Tourism Day) है. दिल्ली (Delhi) की दोपहर बड़ी गर्म होती है, तापमान 40 डिग्री है- आज कुछ पर्यटक दिख रहे हैं, कुछ अपने फोन से फोटो ले रहे हैं. लेकिन अपने निकोन DSLR कैमरा और एक फोटो एल्बम के साथ विशाल कुछ पर्यटकों के पास इस उम्मीद में जाते हैं कि शायद कुछ काम मिल जाए- कोई तस्वीर खिंचवाले.

0

लेकिन बदकिस्मती से स्थानीय लोगों के लिए आज का दिन भी बुरा ही गया. टूरिस्ट नजर नहीं आ रहे हैं.

‘मुझे नहीं पता था कि चीजें इतनी बदल जाएंगी, लॉकडाउन की वजह से हमारी आमदनी बिलकुल बंद हो गई है, यहां पहले बहुत भीड़ होती थी लेकिन अब आप उंगलियों पर पर्यटकों को गिन सकते हैं.’
विशाल, फोटोग्राफर

इस वैश्विक महामारी में भारत के पर्यटन पर काफी बुरा असर हुआ है, इसकी सबसे बड़ी मार पर्यटन सेक्टर पर ही पड़ी है. कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (CII) के मुताबिक टूरिज्म इंडस्ट्री को लगभग 5 लाख करोड़ का नुकसान हुआ है और इसका पता लगाने के लिए आप दिल्ली के एतिहासिक टूरिस्ट स्पॉट पर जाकर लगा सकते हैं.

टूरिस्ट गाइड और फोटोग्रफर कुछ भी नहीं कमा पा रहे हैं, 47 साल के राजेंद्र सिंह पिछले 8 साल से लाल किले में गाइड का काम करते हैं, वो कहते हैं-

लॉकडाउन से पहले सब ठीक था, हम 2000 से 4000 तक कमा लेते थे, वो भी हर दिन. अब हम दिन का सिर्फ 200 से 500 से कमा पाते हैं, यहां तक कि मैंने एक क्लाइंट को 120 भी चार्ज किए, कम से कम मैं घर वापस जाने के पैसे जुटा पाऊंगा.
राजेंद्र सिंह, लाल किले में टूरिस्ट गाइड
ADVERTISEMENTREMOVE AD

बड़ी मशक्कत के बाद विशाल किसी तरह एक कस्टमर को मना लेते हैं.

‘पहले लोग फोटो के लिए लाइन में रहते थे और अब ये आलम है कि कोई भी काम नहीं है, कभी कभी मुझे घर जाने के लिए दूसरों से पैसे लेना पड़ते हैं.’
विशाल, फोटोग्राफर

6 किलोमीटर दूर ही इंडिया गेट है, लेकिन उसके करीब जाने का रास्ता बंद है, बहुत कम पर्यटक दिख रहे हैं, राजेश कुमार एक फोटोग्राफर हैं. उन्हें भी लाल किले जैसा हाल देखने को मिल रहा है, यानी कोई पर्यटक नहीं.

राजेश कहते हैं- 'लॉकडाउन के वक्त मेरे पास खाने तक को पैसे नहीं थे, मैंने सोचा मैं घर चला जाता हूं, लॉकडाउन के दौरान मैंने खेती की अपने गांव में, उसके अलावा कोई चारा नहीं था, हमारा काम विदेशी पर्यटकों पर निर्भर है, लोकल टूरिस्ट ज्यादा पैसे नहीं देते.’

अब इनकी उम्मीद सर्दी और वैक्सीन पर है, शायद कम तापमान और कम डेथ रेट टूरिस्ट को 'अतुल्य भारत' ले आए.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×