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लव जिहाद की काल्पनिक समस्या और कोविड-19 का असली संकट

ये जो इंडिया है न... सौ साल पहले सेक्युलर था, लेकिन आज क्या है, मैं नहीं जानता...

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वीडियो एडिटर: पूर्णेन्दु प्रीतम

1920 में मेरे परदादा ए गदापल्ली राव जो कि एक प्राउड इंडियन और एक पक्के हिंदू थे, ने बेटे के जन्म पर उसका नाम रखा जीसस. दो साल बाद उन्होंने अपने छोटे बेटे का नाम रखा शाह जहां. अगर उस जमाने में आज की तरह का सोशल मीडिया होता तो मेरे परदादा के पीछे ट्रोल्स पड़ जाते. उन्हें सेक्युलर लिब्टार्ड और देशद्रोही कहा जाता. उनके खिलाफ एक FIR दर्ज की जाती कि उन्होंने हिंदुओं की भावना को ठेस पहुंचाई है. लेकिन असल में ऐसा कुछ नहीं हुआ.

ये जो इंडिया है न... सौ साल पहले सेक्युलर था, लेकिन आज क्या है, मैं नहीं जानता...

कुछ दिन पहले जब तनिष्क ने गैर धर्म में विवाह को लेकर अपना विज्ञापन हटा लिया तो क्विंट ने एक कार्टून प्रकाशित किया. इसमें संदेश था कि जब हमारा संविधान किसी भी धर्म में विवाह की अनुमति देता है तो इस एड का विरोध क्यों? दुर्भाग्य हमें नाराजगी वाले कमेंट्स मिले. कमेंट करने वालों में हिंदू भी थे और मुस्लिम भी. - @hrsht_ ने कहा- 'क्या कर लोगे क्विंट वालों, नहीं कबूल मुझे हिंदू-मुस्लिम की शादी.. @Maks.khalique ने कहा - मुसलमानों को गैर मुस्लिमों से शादी करने की जरूरत क्या है? हालांकि कुछ सेक्युलर कमेंट भी थे. @Kavita_v31 ने लिखा – धर्म हमें तोड़ और तबाह कर रहे हैं..मैं पहले इंसान हूं. @Pinni.mehta – ने लिखा-मुझे ये देखकर तकलीफ होती है कि मेरा भारत कहा जा रहा है.

जब कानून की प्रोफेसर समीना दलवाई ने एक अलग -अलग मान्यता वाल माता-पिता की बच्ची होने के बारे में अपने अनुभव का एक वीडियो के जरिए क्विंट को शेयर किया तो उनकी भी आलोचना होने लगी. शंकर पिल्लई ने लिखा - अगर आप अपनी जिंदगी से खुश हैं तो आपको मुबारक, लेकिन शट अप. प्रणय नादान ने लिखा - उन्हें ये पता नहीं है कि इस्लाम ने हिंदुस्तान के साथ क्या किया है. क्या उन्हें लव जिहाद के बारे में पता है?

लेकिन एक बार फिर कुछ लोग जरूर थे जिन्हें समीना का वीडियो पसंद आया. @Mumbai_shakti ने लिखा - मैं इस वीडियो को देखकर रो पड़ी. सेक्युलर भारत के बारे में लिखने के लिए शुक्रिया. @Anondeeta_ch ने कहा- समीना असल भारत की जीती जागती सबूत हैं.

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2020 में, हम सब को यही टॉपिक मिला है डिबेट करने के लिए ? क्या हम एक समाज के रूप में, एक देश के रूप में अपरिपक्व और दिशाहीन नहीं दिख रहे हैं,.. ऐसे वक्त और उम्र में इंटर-फैथ मैरिज के मुद्दे पर एक दूसरे को गोलियां दे रहे हैं? लेखक और सोशल कमेंटेटर नताशा बधवार ने द क्विंट के लिए अपने खुद के इंटर-फैथ मैरिज के बारे में लिखा है,

“तकनीकी रूप से हम 2020 में हैं, लेकिन हमारी चेतना, मोरल कम्पास और कलेक्टिव ह्युमनिटी सदियों पीछे चली गई है.”

वो कहती हैं कि, तनिष्क के एड के खिलाफ नफरत कोई अलग घटना नहीं है - सुशांत सिंह की दुखद मौत के बाद रिया चक्रवर्ती के बारे में अनाप-शनाप.. हाथरस गैंगरेप पीड़िता के परिवार को निशाना बनाना..उत्तर-पूर्वी दिल्ली हिंसा के लिए UAPA के तहत सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों की चुनिंदा गिरफ्तारियां.. नफरत की एक बड़ी लहर का हिस्सा है.. जो कि जाति, धर्म, क्षेत्र, लिंग और वर्ग की रेखाओं पर हम सबको और ध्रुवीकरण कर रहा है... एक ऐसे समय में जब हमारे पास करने को कई अन्य महत्वपूर्ण चीजें है.

और कौन सी प्राथमिकताएं.? COVID-19.. और अर्थव्यवस्था

मंजुल का ये कार्टून इसे अच्छी तरह से बताता है - जहां एक समय में, बांग्लादेशी बेहतर जीवन के लिए भारत में आते थे... अब ये उल्टा हो सकता है. क्यों? क्योंकि प्रति व्यक्ति आय में बांग्लादेश भारत से आगे निकल गया है. औसत बांग्लादेशी अब 1888 डॉलर कमाता है. औसत भारतीय की तुलना में अधिक और ध्यान दें -

सिर्फ 6 साल पहले. जिस साल मोदी सत्ता में आए. बांग्लादेश की प्रति व्यक्ति आय सिर्फ 1118 USD थी. हमारी 1610 USD थी. जब हम मोब लिंचिंग केस, जातिवाद हिंसा, एसिड अटैक, भड़काऊ भाषण पर ध्यान केंद्रित कर रहे थे.. बांग्लादेश में लाइफ एक्स्पेक्टेंसी, शिशु मृत्यु दर, यहां तक ​​कि कामकाजी महिलाओं के प्रतिशत में हमसे आगे निकल गया.
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कोरोना पर एक नजर डालते हैं...हां, एक्टिव केसों की संख्या में कमी आ रही है. नए केस और रोजाना मौत के आंकड़ें भी आखिरकार कम हो रहे हैं. लेकिन इससे पहले कि हम खुद को बधाई दें - हमें 1 लाख 20 हजार परिवारों से पूछना चाहिए, जिनके अपनों की कोरोना ने जान ले ली. अगर हमारी सरकार ने अच्छा काम किया है तो वो सरकार से कम मृत्यु दर के बारे में डींगें हांकने से रोकने के लिए कहें. अगर आपको तुलना करनी है, तो भारत की दूसरे एशियाई देशों से तुलना कीजिए जहां समान घनी आबादी, एक जैसा क्लाइमेट, समान हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर है - और आप पाएंगे कि-

भारत में मृत्यु दर जहां प्रति 10 लाख पर 80 है, तो बांग्लादेश में ये केवल 34 है, इंडोनेशिया में 46, पाकिस्तान में 30, नेपाल में 25, जापान में 13, मलेशिया में प्रति 10 लाख पर केवल 6, थाईलैंड में 0.8 वियतनाम में 0.4! वियतनाम की आबादी केवल 9.7 करोड़ है. केवल कर्नाटक की आबादी ही 6.7 करोड़ है. लेकिन कर्नाटक में 10,500 लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं वियतनाम में केवल 35 मौतें! पिछले 8 महीनों में वियतनाम में COVID से केवल 35 लोगों की मौत हुई है. भारत में कोरोना से हर एक घंटे में 35 लोगों की मौत हो रही है!

हमें ये भी देखना होगा कि IMF का भारतीय इकनॉमी और बाकी एशियाई इकनॉमी की तुलना पर क्या कहना है. जहां भारत की इकनॉमी सिमट रही है, वहीं बांग्लादेश की इकनॉमी 3.8% की दर से बढ़ रही है. वियतनामी इकनॉमी भी 1.6% ग्रोथ रेट से बढ़ रही है. पाकिस्तान, इंडोनेशिया, मलेशिया, थाईलैंड की भी नेगेटिव ग्रोथ है, लेकिन भारत तो सबसे बुरी स्थिति में है. IMF के मुताबिक इस फाइनेंशियल ईयर भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट -10.3 रह सकती है.

फिर भी हम अभी दो अलग-अलग मान्यताओं के लोगों में शादी करने को लेकर चिंतित हैं. हमें लव जिहाद की चिंता है. अरे भाई... सर उठाकर देखो.. आधी जमैकन और आधी तमिल महिला अमेरिका की उपराष्टपति बनने के लिए तैयार है. इंग्लैंड के दो सबसे सीनियर मंत्री- वित्त मंत्री ऋषि सुनक और गृह मंत्री प्रीति पटेल दोनों भारतीय मूल के हैं. कनाडा में सिख डिफेंस मिनिस्टर हैं जिनका नाम है हरजीत सज्जन.

फ्रांस की फुटबॉल टीम ज्यादातर अफ्रीकी मूल के लोगों से मिलकर बनी है. वहीं डेनमार्क में अब सबसे ज्यादा प्रचलित नाम मोहम्मद हो गया है. पूरी दुनिया तमाम नस्लों और बहु-सांस्कृतिकता को स्वीकार रही है और बढ़ावा दे रही है. वहीं ये जो इंडिया है न, ये कहीं और ही फंसा है. हम नफरत को बढ़ावा दे रहे हैं, हम बिल्कुल गलत दिशा में आगे बढ़ रहे हैं और मैं नहीं जानता कि ऐसा क्यों हो रहा है.

हम समीना दलवाई के जैसे क्यों नहीं हो सकते. जिनकी मां सारस्वत ब्राह्मण थी, जिनके पिता कोंकण के मुस्लिम थे, जिनके भाई ने हैनान के चीनी लड़की के साथ शादी की, समीना ने खुद तेलंगाना के रेड्डी से शादी की. उन्होंने खुद के 2 बायोलॉजिकल बच्चों के साथ नागालैंड की एक बच्ची को भी गोद लिया है. ये जो इंडिया है न, ये समीना दलवाई के जैसा क्यों नहीं हो सकता. क्या इस तरह का बहुरंगी, विविधता से भरा हुआ भारत रहने के लिए ज्यादा सुखद देश नहीं होगा.

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