ADVERTISEMENTREMOVE AD

Chinese Spy Ship: श्रीलंका निकला चीन का सगा,इतनी मदद के बाद भी भारत को दिया दगा!

एक चीनी 'जासूस' जहाज जो 16 अगस्त को श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह पर डॉक हुआ पर श्रीलंका ने इस बात से इंकार किया.

छोटा
मध्यम
बड़ा

युआन वांग 5 (Yuan Wang 5) एक चीनी 'जासूस' जहाज है, एक 'शोध और सर्वेक्षण' पोत है जो 16 अगस्त को श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह पर डॉक हुआ. अब जहाज की डॉकिंग को भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक हार के रूप में देखा जा रहा है. ऐसा क्यों है, यही हम आपको समझाएंगे.

ADVERTISEMENTREMOVE AD
जब भारत की चिंताओं के बारे में पूछा गया, तो श्रीलंका में बीजिंग के दूत क्यूई जेनहोंग ने कहा, "मुझे नहीं पता, आपको भारतीय दोस्तों से पूछना चाहिए...शायद यही जिंदगी है"

बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव श्रीलंका यानी BRISL की वेबसाइट के अनुसार, 'युआन वांग 5' जहाज 13 जुलाई को निकला था और 11 से 17 अगस्त तक ईंधन भरने के लिए इसके हंबनटोटा बंदरगाह पर रुकने की उम्मीद थी, लेकिन श्रीलंका ने इससे इनकार किया. रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने 28 जुलाई को द हिंदू को बताया कि हंबनटोटा बंदरगाह पर इस तरह के जहाज के रुकने की कोई पुष्टि नहीं हुई है.

इसके बाद, भारत ने विदेश मंत्रालय के जरिए बस इतना कहा कि भारत की सुरक्षा और आर्थिक हितों पर असर डालने वाले किसी भी गतिविधि पर हमारी नजर रहती है. 30 जुलाई को ये ड्रामा और बढ़ गया. शुरू में मना करने के बाद, श्रीलंकाई विदेश मंत्रालय ने कहा कि "जहाज ईंधन भरने के लिए 11 से 17 अगस्त तक हंबनटोटा में रुकेगा.

6 अगस्त को ड्रामा और बढ़ गया. जहाज के पहुंचने से लगभग 5 दिन पहले, श्रीलंका के रक्षा मंत्रालय ने कोलंबो में चीनी एंबेसी से कहा कि जहाज को कुछ दिन बाद भेजे. इसपर चीनी एंबेसी ने कथित तौर पर श्रीलंकाई विदेश मंत्रालय की मांग पर श्रीलंकाई अधिकारियों के साथ एक मीटिंग की थी. इन सब के बीच श्रीलंका के सहयोग से ये जहाज 16 अगस्त को हंबनटोटा पोर्ट पहुंच गया.

इस जहाज के बारे में हम क्या जानते हैं?

चीन अपने युआन वैंग कैटेगरी के जहाजों का प्रयोग सैटेलाइट, रॉकेट और इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल लॉन्च को ट्रैक करने के लिए करता है. हालांकि उम्मीद के मुताबिक बीजिंग का कहना है कि इस जहाज की "समुद्री वैज्ञानिक रिसर्च" से जुड़ीं गतिविधियां "अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुसार" हैं और यह "किसी भी दूसरे देश के सुरक्षा हितों" को प्रभावित नहीं करती हैं.

लेकिन दूसरी तरफ नई दिल्ली ने जो चिंता जताई है, वह यह है कि चीन हिंद महासागर क्षेत्र के उत्तर-पश्चिमी हिस्से में सेटेलाइट कंट्रोल और रिसर्च ट्रैकिंग करेगा, जिससे भारत की सुरक्षा को खतरा हो सकता है.

यहां तक ​​​​कि रक्षा विभाग ने यह जानकारी दी है कि यह जहाज चीनी सेना यानी पीएलए के स्ट्रैटेजिक सपोर्ट फोर्स का हिस्सा है, और "पीएलए के स्पेस, साइबर, इलेक्ट्रॉनिक, सूचना, संचार और मनोवैज्ञानिक युद्ध मिशन और क्षमताओं को सेंट्रलाइज करने के लिए स्थापित एक थिएटर कमांड के स्तर का संगठन है.”

ADVERTISEMENTREMOVE AD

इस मामले में श्रीलंका निश्चित रूप से यह दिखावा कर रहा है कि कुछ भी गलत नहीं है, पहले उसने जहाज के उसके तट पर आने की खबरों को गलत बताया, फिर उसने आखिर में उसे आने की इजाजत दे दी.

श्रीलंकाई सरकार के प्रवक्ता ने कहा है कि उसने चीन को वही सुविधाएं दी हैं जो वह दूसरे सभी देशों को देता है और सभी देश उसके लिए महत्वपूर्ण हैं.

क्या है श्रीलंका की राजनीति

ये शिप के बारे में नहीं है ये शिप से ज्यादा राजनीति के बारे में है. श्रीलंका अपने सबसे भयानक आर्थिक संकट से जूझ रहा है. भारत ने अब तक श्रीलंका को 4 बिलियन डॉलर की मदद दी है. इसमें ईंधन, दवा, खाना और कर्ज शामिल है. इतनी मदद के बाद भी चीनी शिप को लेकर भारत की आपत्तियों को नजरअंदाज करना नोट करने वाली बात है.

ये बात सही है कि श्रीलंका के कुल कर्ज का 10% सिर्फ चीन से मिला है लेकिन ये भी सच है कि मुसीबत की इस घड़ी में भारत श्रीलंका का सबसे बड़ा मददगार साबित हुआ है. लेकिन जाहिर है श्रीलंका पर भारत से ज्यादा चीन का असर है.

इसी पर नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजरी बोर्ड के पूर्व सदस्य ब्रह्मा चेलानी ने कहा है कि- चीन के जासूसी जहाज को पनाह देकर श्रीलंका जैसा छोटा देश जब भारत कूटनीतिक तमाचा मारता है तो ये भारत की नाकाम कूटनीति और अपने पड़ोस में घटते असर की याद दिलाता है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

बता दें कि जब श्रीलंका चीन का कर्ज वक्त पर नहीं चुका पाया तो उसे हंबनटोटा पोत को 99 साल की लीज पर चीन को देना पड़ा. भारत हमेशा से मानता है कि चीन इस पोर्ट का इस्तेमाल भारत के खिलाफ कर सकता है. भारत का डर सही है लेकिन सवाल ये है कि इलाके का बॉस कौन है? छोटे देश किसकी सुनते हैं? और अभी जो हालात हैं उसे देखकर यही लगता है कि ये देश भारत नहीं, चीन है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×