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मंत्री पीयूष गोयल के बयान पर नोबेल विजेता अभिजीत का जवाब।Exclusive

इकनॉमिक्स के नोबेल विजेताअभिजीत बनर्जी का पूरा इंटरव्यू: Exclusive

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वीडियो एडिटर: मोहम्मद इरशाद आलम/विशाल कुमार

कैमरा: सुमित बडोला, अभिषेक रंजन

इकनॉमिक्स के 2019 नोबेल प्राइज विजेता प्रोफेसर अभिजीत बनर्जी ने देश की अर्थवयवस्था से लेकर कांग्रेस की NYAY योजना के बारे में बेबाकी से दिए जवाब. क्विंट से खास बातचीत में अभिजीत बनर्जी ने पीयूष गोयल के उस बयान का भी जवाब दिया जिसमें उन्होंने अभिजीत को वामपंथी बताया था. पेश है अभिजीत से ये पूरी बातचीत...

Hard Times की बात करें तो अभी इकनॉमी की हालत कैसी है?

शायद कोई नहीं जानता. कई संकेत होते हैं जैसे सरकार ग्रोथ रेट बताती है. NSS डेटा रिलीज किया जाता है, इस डेटा के मुताबिक- 2014-15 के बाद से औसत खपत बढ़ी नहीं, सिर्फ घटी है. ये असामान्य है क्योंकि ये कभी घटती नहीं है. काफी सारे सबूत इस तरफ इशारा करते हैं कि हालत चिंताजनक हैं. राय अलग-अलग हो सकती है लेकिन निवेश दर, NSS डेटा हालात बयां कर देते हैं.

बुक के चैप्टर The End Of Growth में भारतीय कंपनियों के उनकी लिमिट तक ग्रो न करने के सवाल का जवाब देने की कोशिश की गई ऐसा क्यों हो रहा है?

कई वजहें हो सकती हैं जैसे फाइनेंशियल सेक्टर हाई पोटेंशियल कंपनियों को टारगेट नहीं करता. कंपनी के परफॉरमेंस का उसको मिलने वाले क्रेडिट पर असर नहीं होता. हो सकता है कुछ कंपनी ग्रो ही न करना चाहती हों लेकिन ये अजब पहेली है. भारतीय कंपनियां ग्रो ही नहीं करतीं. अमेरिका में या तो कंपनी बड़ी बन जाती है या बंद हो जाती है.

अभी के हालात के लिए आपने फाइनेंशियल सेक्टर को एक मुख्य अपराधी बताया है, आपने लिखा कि भारतीय बैंक ब्लू चिप लेनदारों के अलावा किसी को भी लोन देने से बचने के लिए बदनाम हैं. इसे कैसे ठीक कर सकते हैं?

पहले से कई तरीके मौजूद हैं. जैसे प्रायोरिटी सेक्टर, लेंडिंग टारगेट बैंकों को अपने पोर्टफोलियो का 40% प्रायोरिटी सेक्टर को देना होता है. लेकिन अगर किसी पब्लिक बैंक में डिफॉल्ट होता है, तो विजिलेंस कमीशन उसकी जांच कर सकता है, ये काफी डरावना है. अगर मैं एक बैंक अफसर हूं तो ज्यादा खतरा नहीं लूंगा. शायद बैंकों को इस तरह रेगुलेट करना प्रॉब्लम है, लोगों को गलती करने की अनुमति होनी चाहिए. अगर विजिलेंस कमीशन बिगड़े लोन की जांच करेगा तो आप जरूरत से ज्यादा सतर्कता दिखा रहे हैं.

पीएम किसान, उज्ज्वला योजना जैसे माइक्रो-टारगेटेड इंटरवेंशन पर क्या राय है?

पीएम किसान दूसरे माइक्रो-टारगेटेड इंटरवेंशन सपोर्ट प्राइस का रिप्लेसमेंट लगता है. किसान को डायरेक्ट कैश न देकर सपोर्ट प्राइस, फर्टिलाइजर और पावर सब्सिडी मदद करने के सबसे खराब तरीके हैं.

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बुक में टैक्स कट का इकनॉमी पर न के बराबर प्रभाव बताया गया लेकिन भारत और अमेरिका में कॉरपोरेट टैक्स में कमी देखने को मिली सरकारें क्यों ये कदम उठाती हैं?

टैक्स कट से इकनॉमी का ग्रो न करना जाहिर तो है लेकिन कम लोगों को पता है, इसीलिए हमने ये किताब लिखी, जिससे ज्यादा से ज्यादा लोगों को इसके बारे में पता चले. लोगों को लगता है कि टैक्स से इंसेंटिव मिलता है या इससे ग्रोथ रेट बढ़ता है लेकिन उन्हें सच नहीं पता. अमेरिका में ट्रंप खुश हैं क्योंकि जो दावे करना चाहते थे जो पाना चाहते थे वो कर रहे हैं.

ट्रंप प्रशासन एक तरफ प्रोटेक्शनिज्म तो दूसरी तरफ टैक्स कट की पॉलिसी अपना रहा है, क्या इससे अमेरिकी इकनॉमी को फायदा मिल रहा है?

बताना मुश्किल है, कई चीजें एक साथ हुई हैं, ये बताना कि किसी स्पेसिफिक एक्शन ने मदद की, मुश्किल है. जैसे चीन के साथ ट्रेड वॉर कुछ ग्रुप्स के लिए ठीक है. कुछ बदलाव हुए हैं. उससे टैक्स कट ने अमीरों को और अमीर बना दिया. ट्रंप यही करना भी चाहते थे.

आम बातचीत में लेफ्ट और राइट के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो जाता है, आपके और आपकी पत्नी के बारे में पीयूष गोयल, राहुल सिन्हा जैसे लोगों ने कई बातें कहीं. क्या अपने काम के लिए ऐसी बातों को सुनने की उम्मीद रहती है?

मैं दूसरी तरह सोचता हूं. लोगों से हमेशा अच्छे की उम्मीद रखता हूं .इस बहसबाजी में पड़ना ही नहीं चाहता.

इकनॉमिस्ट्स की धारणा कुछ और होती हैं और पब्लिक की कुछ और. आपकी और पब्लिक की धारणा किन मुद्दों पर अलग हो सकती है?

किताब लिखने का मकसद यही था कि लोगों को समझाने में मदद की जाए कि हम जब कुछ कहते हैं तो उसके पीछे कोई कारण या सबूत होते हैं. अक्सर इकनॉमिस्ट्स की बातें आकाशवाणी जैसी समझी जाती हैं, जबकि हम समझाने की कोशिश करते हैं कि चीजें ऐसे क्यों होती हैं. शायद लोग किताब पढ़ेंगे और समझेंगे. पब्लिक को लगता है कि लोग इंसेंटिव को बहुत अच्छी प्रतिक्रिया देते हैं. लेकिन असल में ऐसा नहीं है. पब्लिक को लगता है कि गरीब देश में रहने वाला शख्स अमीर देश जाने के लिए बेकरार रहता है लेकिन सच्चाई ये है कि लोग नहीं जाते. भारत में ही लोग काम करने दूसरे शहर जाते हैं, फिर घर लौट जाते हैं लोग हमेशा के लिए शहर बदलने से पहले काफी सोच-विचार करते हैं

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अगर लोग माइग्रेट नहीं करते हैं तो बांग्लादेश, मुस्लिम देशों और पूर्वी यूरोप से लोगों के माइग्रेट होने की बात का क्या स्पष्टीकरण है?

लोग फैक्ट्स से ज्यादा थ्योरी पर विश्वास करते हैं अमेरिका में जॉब जाने के बाद भी ज्यादातर लोग वो जगह नहीं छोड़ते हैं. इसी वजह से जॉब लॉस इतनी बड़ी समस्या है. अगर ये लोग जगह छोड़ दें तो किसी और को जॉब मिलेगी और इतनी गरीबी नहीं होगी.

कांग्रेस की NYAY स्कीम में क्या भूमिका रही थी और स्कीम के डिजाइन से इत्तेफाक रखते हैं?

कांग्रेस को डेटा की जरूरत थी. मुझसे सबसे गरीब 20% जनसंख्या की औसत इनकम पूछी गई थी. मैंने वो डेटा उन्हें दिया. फाइनल डिजाइन में नहीं पूछा गया.

अगर मोदी सरकार मंदी से निपटने के लिए राय मांगेगी तो क्या सुझाव देंगे?

पहले तो और चर्चा की जरूरत होगी. यहां डिमांड की कमी है. इससे निपटने के लिए गरीबों के पास पैसा पहुंचना चाहिए. पीएम किसान में 6000 रुपये की जगह 12000 रुपये दिए जाने चाहिए.

NYAY किस्म की स्कीम चल जाएगी?

NYAY की एक बहुत बड़ी प्रॉब्लम थी, सबसे गरीब 20% लोगों को एक फिक्स्ड अमाउंट मिल रहा था. अगर कांग्रेस की सरकार बनती, तो इस स्कीम में थोड़े बदलाव की जरूरत पड़ती. ये बस स्कीम थी, लागू होने के लिए तैयार नहीं थी.

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