वीडियो एडिटर: पूर्नेंदु प्रीतम
क्या आप जानते हैं कि नागरिकता के बिना कैसा महसूस होता है?
सितंबर 2019 में 19 लाख लोग असम के NRC लिस्ट से बाहर हो गए. लेकिन सरकार ने अभी तक NRC को नोटिफाई नहीं किया है. इसलिए 19 लाख लोगों की किस्मत अधर में लटका हुआ है
अहमद का जन्म असम में हुआ. वो असम में सरकारी इंजीनियर हैं लेकिन NRC में उनका नाम नहीं है. परिवार में 7 सदस्य थे, उनमें सबका नाम NRC में है. उन्हें शादी करने में भी मुश्किल हो रही है.
शादी अभी नहीं हुई है लेकिन कोई-कोई बोलता है कि अगर विदेशी घोषित कर दिया जाउंगा तो मुश्किल होगी. सबमें डर है कि अगर विदेशी घोषित कर दिया जाएगा तो जेल में ही रहेगा, फिर इसका क्या होगा. सब माता-पिता को चिंता रहते है.अहमद तोवेब, असम निवासी
सरकारी अधिकारी हिंदी नहीं पढ़ पा रहे इसलिए कनिज फातिमा लश्कर का नाम NRC लिस्ट में नहीं है.
हमारे लगभग सारे डॉक्यूमेंट हिंदी में हैं. मुझे ऐसा लगता है कि यहां (असम में) के अधिकारी इसे पढ़ नहीं पा रहे हैं. ये एक वजह है. दूसरा, मुझे शक है कि उन्होंने डॉक्यूमेंट को वेरिफाई करने के लिए बिहार भेजा होगा. अगर मुझे 70 साल की उम्र में एक सेवा केंद्र से दूसरे चक्कर लगाने पड़ेंगे तो मैं बहुत अपमानित महसूस करता हूं. मुझे ये पूरी प्रक्रिया बहुत अमानवीय लगती है क्योंकि आप कब तक लोगों का भविष्य अधर में लटका कर रखोगे.नुरुल लश्कर, फातिमा के पति
80 साल की सुर्या खातून का जन्म असम में हुआ. उनको छोड़कर उनका पूरा परिवार NRC लिस्ट में शामिल है.
मैं दिल की मरीज हूं. मुझे डर लगता है. जब भी मैं किसी पुलिस वाले को देखती हूं. अगर मुझे फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल में जाना है तो मैं वहीं मर जाऊंगी. जब भी मैं NRC लिस्ट के बारे में सोचती हूं, मैं सो नहीं पाती.सुर्या खातून
फातिमा बेगम एक अनाथालय में बड़ी हुई हैं. उनके पास कोई पहचानपत्र नहीं है. वो बताती हैं कि वो NRC में इसलिए शामिल नहीं हैं क्योंकि उन्होंने मुस्लिम से शादी की है.
हमलोग अनाथालय में गए थे. अनाथालय ने मना कर दिया. उन्होंने कहा कि तुम पहले हिंदू थी, अब मुसलमान हो गई हो तो तुम्हें नहीं मिलेगा. डॉक्यूमेंट कुछ भी नहीं कि NRC में शामिल हो पाएगी. हमें राशन कार्ड नहीं मिलता है. खुद कमाई करके खाते हैं. लॉकडाउन में बहुत परेशानी हुई.अब्दुल सलाम, फातिमा बेगम के पति
असम में NRC लिस्ट तैयार करने के लिए 1600 करोड़ रुपये खर्च हुए. 55,000 सरकारी कर्मचारियों लगे. तो फिर नोटिफाई करने में देरी क्यों?
एक्सपर्ट राजनीति का आरोप लगाते हैं. कई मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक NRC लिस्ट से कई बंगाली हिंदुओं के नाम भी गायब हैं.
NRC की शुरुआत इसलिए हुई क्योंकि वे (निहित स्वार्थ वाली पार्टियां) सोचते थे कि यहां कई अवैध प्रवासी हैं. राज्य की BJP सरकार का कहना है कि NRC खत्म कर दिया जाएगा क्योंकि इतने लोगों को बाहर नहीं किया जा सकता इसलिए वो NRC को नोटिफाई नहीं करना चाहते हैं.अमन वदूद, वकील
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