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कुंभ में कोरोना को लेकर बोले गए 1 लाख जानलेवा झूठ!!

ये जो इंडिया है ना… हम अब अपनी सरकार से जवाब मांगना शुरू करेंगे?

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वीडियो प्रोड्यूसर: मौसमी सिंह, शोहिनी बोस

वीडियो एडिटर: शुभम खुराना

कैमरा: शिव कुमार मौर्या

ये जो इंडिया है ना.. यहां झूठ बोलने के एक नया रिकॉर्ड सेट हुआ है. एक या दो नहीं, सौ या हजार भी नहीं, हरिद्वार में कुंभ मेला (Kumbh Mela) के दौरान एक लाख से ज़्यादा फर्जी कोविड टेस्ट (Fake Covid test) किए गए. पूरे एक लाख फर्जी टेस्ट. और ये खबर किसी छोटे मोटे अखबार में नहीं छपी है... ये टाइम्स ऑफ इंडिया के पहले पन्ने की खबर है.

उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग के 1600 पेज की रिपोर्ट में चौंकाने वाला विवरण है. एक नंबर पर 50 लोगों की रजिस्ट्री की गई है. गैरकानूनी. फर्जी पता, फर्जी नाम भी. हरिद्वार के हाउस नं 5 से 530 सैंपल लिए गए हैं. क्या एक घर में 500 लोग रहते हैं? और ये पता देखिए- हाउस नं #56 अलीगढ़, हाउस नं. #76 मुंबई. फोन नंबर भी पूरी तरह फर्जी थे - कानपुर, मुंबई, अहमदाबाद और 18 अन्य स्थानों के लोगों के पास एक ही फ़ोन नंबर था.

इतने बड़े झूठ का मतलब कि धोखेबाजों को पता था कि वो कभी भी पकड़े नहीं जाएंगे... तो क्या वो कुंभ मेले के आयोजकों के साथ मिलकर काम कर रहे थे? मेले के दौरान रोजाना जांच के लिए हरिद्वार में 22 निजी लैब को हायर किया गया था. रोजाना का लक्ष्य 50,000 टेस्ट था. तो, ठीक है, आपको बहुत सारे टेस्ट करने थे, लेकिन फर्जी क्यों बनाया?

ये रहा जवाब- सामने आए 1 लाख फर्जी टेस्ट में से सिर्फ 177 ही कोविड पॉजिटिव थे- 0.18%. साफ तौर पर झूठ. क्योंकि हम जानते हैं कि बाद में अप्रैल में, हरिद्वार में आधिकारिक पॉजिटिविटी रेट 10% थी.लेकिन कुंभ के शुरुआती दिनों में… इन हजारों नकली निगेटिव टेस्ट ने सरकार को ये कहने की अनुमति दी… देखा, कुंभ मेले में कोविड है ही नहीं, सब ठीक है. ये एक सुपर स्प्रेडर इवेंट नहीं है.

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लेकिन दुर्भाग्य से खुद उत्तराखंड सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने ही कुंभ के आयोजकों की इतनी बड़ी चोरी पकड़ ली. रिपोर्ट की एक और बात देखिए- किसी भी कोविड टेस्ट के लिए सैंपल कलेक्ट करने वालों को खुद मौजूद रहना पड़ता है. लेकिन जब उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग ने इन सैंपल इकट्ठा करने वालों से संपर्क किया तो पता चला कि इनमें से आधे राजस्थान के थे, इनमें से कई छात्र थे, और ये सुनिए – उनमें से कई कभी हरिद्वार नहीं गए थे !! और मैं दोहराता हूं, मैं इसे नहीं कह रहा… ये सब उत्तराखंड सरकार की रिपोर्ट से है.

बेशक, हरिद्वार के जिलाधिकारी ने जांच के आदेश दिए हैं.. जिसकी रिपोर्ट 15 दिनों में आने की उम्मीद है.. निजी लैब के भुगतान को निलंबित कर दिया गया है. हर एंटीजन टेस्ट की कीमत 350 रुपये थी.. इसलिए जांच एजेंसियों को हर झूठ के लिए 350 रुपये भी दिए जा रहे थे. झूठ भी बोलो और प्रति झूठ 350 रुपये भी कमाओ.. बिजनेस मॉडल हो तो ऐसा!

लेकिन, दुर्भाग्य से.. ये मजाक नहीं है. बाकी ये हजारों देशवासियों की मौत का सीधा कारण है. कई हेल्थ एक्पर्ट ने कुंभ मेला आयोजित न करने की सलाह दी थी. सोशल डिस्टेंसिंग नामुनकिन होगा. मेला सुपर स्प्रेडर होगा. लेकिन केंद्र और राज्य सरकार के पास खुश करने के लि अपना वोट बैंक था. और मेला आगे आयोजित किया गया. और हमने बार बार अधिकारियों को ये कहते हुआ सुना कि बड़े पैमाने पर टेस्टिंग की जाएगी, और की जा रही है. लेकिन वो टेस्टिंग एक धोखा था.जांच का सामना कर रहे सरकारी अधिकारी कहेंगे कि हमें नहीं पता था कि प्राइवेट लैब टेस्टिंग में गड़बड़ी कर रहे थे. कि हजारों कोविड निगेटिव टेस्ट नक़ली थे. और वो इस स्कैम से बच जाएंगे.

लेकिन हम सब जानते हैं कि दोष किसका है. हम सब जानते हैं कि दूसरी कोविड लहर में हज़ारों मौतें कुंभ मेले से जुड़ी हैं. हरिद्वार में वास्तविक कोविड स्थिति के बारे में सच छुपाने के प्रयास का सीधा परिणाम.

ये जो इंडिया है ना… हमें तय करना पड़ेगा कि हम ऐसे कितने धोखे, कितने झूठ बर्दाश्त करेंगे. हम और कितनी मौतें सहेंगे.या फिर हम अब अपनी सरकार से जवाब मांगना शुरू करेंगे?

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