“हम चार साल से झेल रहे हैं. चार-चार महीने तक तनख्वाह नहीं मिलती, कभी-कभी छह महीने भी हो जाते हैं. फिलहाल, तीन महीनों से हमारी तनख्वाह रुकी हुई है. क्या कोई तीन महीने तक बिना वेतन के अपना घर चला सकता है?”कुलदीप खत्री, अध्यक्ष, शिक्षक न्याय मंच
उत्तरी दिल्ली नगर निगम (NDMC) के करीब 8,000 शिक्षकों को पिछले तीन महीने से वेतन नहीं मिले हैं. वेतन, प्रमोशन में देरी, बोनस का भुगतान नहीं होने से एमसीडी शिक्षक परेशान हैं और उनके लिए परिवार का पालन-पोषण करना मुश्किल हो रहा है.
इसकी वजह बीजेपी और आप की खींचतान बताते हैं. बीजेपी कहती है कि अरविंद केजरीवाल की सरकार ने निगम को दिए जाने वाला फंड काट दिया. वहीं आप की सरकार परेशानियों के लिए केंद्र सरकार पर निशाना साधती है.
दिल्ली में तीनों एमसीडी की कमान भारतीय जनता पार्टी के हाथों में है और ये फंड की कमी से जूझ रहे हैं. एनडीएमसी 765 स्कूलों के साथ सबसे बड़ा है, जिसमें 8000 से अधिक शिक्षकों पर 2.9 लाख छात्रों की जिम्मेदारी है.
शाहीन बाग, बिरयानी, 'टुकड़े टुकड़े गैंग' भाजपा की चुनावी रैलियों में इनका जिक्र हुआ, लेकिन एनडीएमसी शिक्षकों के बारे में कोई भी घोषणा या बातें नहीं की गई. इससे ये शिक्षक उपेक्षित महसूस कर रहे हैं.
कई शिक्षक तो ऐसे हैं, जिन्हें मकान का किराया देने के लिए भी पैसे नहीं है. बार-बार शिक्षक सीनियर अधिकारियों से इसकी शिकायत करते हैं और वे शिकायतें सुन कर उन्हें वेतन दिलाने का भरोसा भर ही दिलाते हैं, वेतन नहीं मिलता.
“क्या हम दिल्ली के नागरिक नहीं हैं? क्या हमारे बच्चे दिल्ली के निवासी नहीं हैं?" एकमत से ये सवाल शिक्षक सरकार से पूछ रहे हैं.
कुलदीप खत्री कहते हैं, “अगर बीजेपी एमसीडी का खर्च वहन नहीं कर सकती, तो उन्हें इसे दिल्ली सरकार को सौंप देना चाहिए.”
क्या ये इस समस्या का समाधान है?
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