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आर्टिकल 370 से अर्थव्यवस्था तक,क्या हैं PM मोदी के भाषण के मायने?

पीएम ने अपने भाषण में उन्होंने आर्टिकल 370, तीन तलाक, आर्थिक विकास, जनसंख्या नियंत्रण जैसे मुद्दे शामिल किए.

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दोबारा चुनकर आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पहला स्वतंत्रता दिवस भाषण उतना ही राजनीतिक था, जितना ये हो सकता था. अपने इस भाषण में उन्होंने आर्टिकल 370, तीन तलाक, आर्थिक विकास, जनसंख्या नियंत्रण और व्यापार जैसे मुद्दे शामिल किए. उनका मकसद साफ था, और वो ये दर्शाना था कि उनकी सरकार ने जो हासिल किया है वो और किसी सरकार ने नहीं किया.

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‘वन नेशन, वन कॉन्सिट्यूशन’

पहले उन्होंने जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म किए जाने के बारे में बात की. फिर यह बताया कि किस तरह ''वन नेशन, वन कॉन्स्टिट्यूशन' की बात अब वास्तविकता बन चुकी है. हालांकि, पीएम मोदी ने कश्मीर घाटी के संकट से जुड़ी कोई बात नहीं बोली. उन्होंने वहां कम्युनिकेशन पर पाबंदी और उन कश्मीरियों की दुर्दशा का कोई जिक्र नहीं किया, जो अभी भी अपनी सामान्य जिंदगी में लौटने की राह देख रहे हैं

कश्मीर के भविष्य का रोडमैप?

उनके भाषण में जम्मू-कश्मीर के उन पूर्व मुख्यमंत्रियों का भी जिक्र नहीं था, जिन्हें हाल ही में नजरबंद कर दिया गया. ना ही पीएम मोदी ने कश्मीर के भविष्य का कोई रोड-मैप बताया.

तीन तलाक बिल का जिक्र

प्रधानमंत्री ने तीन तलाक की प्रथा के खिलाफ बनाए गए कानून का भी जिक्र किया. ये कानून जिस बिल से बना है, वो बजट सत्र में भारी हंगामे के बीच संसद से पास हुआ था. उन्होंने कहा, जब देश सती प्रथा रोक सकता है और नवजात बच्चियों की हत्या, बाल विवाह के खिलाफ कड़े कदम उठा सकता है तो ये क्यों नहीं?

पीएम मोदी ने उत्साह के साथ आर्थिक विकास की भी बात की. उन्होंने कहा कि भारत अगले 5 सालों में 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन जाएगा. उन्होंने ये भी कहा कि हमारी अर्थव्यवस्था की बुनियाद मजबूत है.

हालांकि, पीएम मोदी की इस उम्मीद के साथ वास्तविकता पूरी तरह नहीं दिखती. भारत की सालाना GDP विकास दर 2017-2018 के 7.2 फीसदी के आंकड़े से गिरकर 2018-2019 में 6.8 फीसदी पर आ गई.

बेरोजगारी दर रिकॉर्ड तोड़ रही है

बेरोजगारी दर 45 साल के सबसे ऊंचे ऊंचे स्तर को छू ही चुकी है, ऑटो सेक्टर और रियल एस्टेट सहित कई सेक्टर संकट का सामना कर रहे हैं. ऑटो सेक्टर ही बात करें तो ये करीब 19 सालों के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस सेक्टर में 2.30 लाख नौकरियां जा चुकी हैं. रियल एस्टेट सेक्टर ब्रिक्स, सीमेंट, फर्नीचर जैसी इंडस्ट्रीज से भी जुड़ा हुआ है और पिछले एक साल में बिना बिके घरों की संख्या में बढ़ोतरी देखी गई है.

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टैक्स टेररिज्म का समाधान क्या है?

प्रधानमंत्री ने वेल्थ क्रिएटर्स के बारे में भी बात की. उन्होंने कहा है ऐसे लोग खुद देश के लिए संपत्ति हैं. पीएम मोदी ने कहा कि वेल्थ क्रिएटर्स को शक की निगाह से नहीं देखा जाना चाहिए. यह बयान ऐसे समय में आया है, जब देश के बड़े एंटरप्रेन्योर 'टैक्स टेररिज्म' की परेशानी का जिक्र कर रहे हैं. हाल ही में एक बड़े कारोबारी ने वित्तीय संकट से परेशान होकर अपनी जान दे दी, इस मामले को 'टैक्स टेररिज्म' का मामला बताते हए कई तरह की कड़ी प्रतिक्रियाएं सामने आईं थीं.

जब हम वेल्थ क्रिएटर्स और उनका सम्मान करने की बात करते हैं, तो उन्हें वित्तीय संकट से राहत देने का कोई इंतजाम क्यों नहीं करते?

जनसंख्या नियंत्रण के मुद्दे पर दक्षिण के राज्यों की ‘परेशानी’

पीएम मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल की रूपरेखा भी सामने रखी. उन्होंने कहा कि 'एक देश, एक चुनाव' पर देशभर में चर्चा होनी चाहिए. इसके अलावा उन्होंने कहा कि लोगों को 'जनसंख्या विस्फोट' की समस्या का समाधान करने के लिए साथ आना चाहिए. यह एक अहम बात है, लेकिन दक्षिण के राज्य पहले ही इस बात पर आपत्ति जता चुके हैं कि जब वह जनसंख्या नियंत्रण के मोर्चे पर बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं तो उन्हें किस बात की सजा दी जा रही है

आखिरकार, 15वें वित्तीय आयोग ने फंड बांटने के लिए 2011 की जनगणना को ही आधार बनाया है. क्या जनसंख्या नियंत्रण के लिए यह सही दिशा है?

90 मिनट का भाषण, दो बड़े ऐलान

पहला ऐलान:

आर्मी, नेवी और एयरफोर्स का नेतृत्व करने के लिए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ का पद लाने का था. 1999 के कारगिल युद्ध के बाद एक उच्च स्तरीय कमेटी ने ऐसा पद बनाने की सिफारिश की थी. उस वक्त केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार थी.

दूसरा ऐलान:

पीएम मोदी ने जल जीवन मिशन को लागू करने का भी ऐलान किया, जिससे भारत के हर घर तक पीने का पानी पहुंच सके. उन्होंने वादा किया कि सरकार आने वाले सालों में इस काम के लिए करीब 3.5 लाख करोड़ रुपये खर्च करेगी. मगर क्या इस मिशन का हाल भी नमामि गंगे की तरह होगा, जिसके तहत हमने गंगा की स्थिति में काफी कम सुधार देखा है. कुल मिलाकर इस भाषण में एक तरफ मोदी सरकार के पहले कार्यकाल का रिपोर्ट कार्ड था तो दूसरी तरफ अगले 5 सालों की रूपरेखा भी थी.

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