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EVM, VVPAT का सीक्रेट आउट होने का डर - इंजीनियरों ने जताई आशंका

इंजीनियरों ने खुलासा किया कि कैसे प्राइवेट इंजीनियरों ने चुनाव प्रक्रिया के लिए गंभीर सुरक्षा खतरा पैदा किए.

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वीडियो एडिटर: पूर्णेन्दु प्रीतम

जो कॉन्ट्रैक्ट वर्कर होते हैं, कॉन्ट्रैक्ट खत्म होने के बाद किसी दूसरे जगह चले जाते हैं. वो EVM और VVPAT का डिजाइन और चुनाव की प्लानिंग लीक कर सकते हैं. और ये भी कि कैसे चुनाव पब्लिक डोमेन में आएगा. अगर किसी कंपनी को लगता है कि (बीप) उसे बहुत जानकारी है और वो EVM खुद भी बना सकता है. तो वो और लोगों को अपने साथ जोड़ेगा. एक टीम बनाएगा और EVM बनाना शुरू कर देगा, जिससे पूरा चुनाव खतरे में आ सकता है

सुरेश*, पूर्व ECIL इंजीनियर

ये एक ऐसे इंजीनियर का बयान है, जिसने पब्लिक सेक्टर यूनिट ECIL या Electronics Corporation of India Limited के साथ कॉन्ट्रैक्ट पर काम किया था. ECIL चुनाव आयोग के लिए EVM और VVPAT मशीन बनाता है. नाम न बताने की शर्त पर क्विंट से बात करते हुए इस इंजीनियर ने खुलासा किया कि कैसे प्राइवेट इंजीनियरों ने देश की चुनाव प्रक्रिया के लिए गंभीर सुरक्षा खतरा पैदा किए.

अगस्त 2019 में, क्विंट ने दिखाया था कि  कैसे EC ने एक निजी कंपनी T&M services consulting private limited के जरिए विधानसभा  चुनावों और 2019 लोकसभा चुनाव में EVM और VVPAT मशीनों को संभालने के लिए कॉन्ट्रैक्ट पर इंजीनियरों को तैनात किया था. हमने ये भी दिखाया था कि कॉन्ट्रैक्ट पर इंजीनियरों को नियुक्त करने के लिए चुनाव आयोग ने T&M services को लिस्ट भी नहीं किया था. उस समय चुनाव आयोग ने कहा था - "ECIL ने फिर से कंफर्म किया है कि उन्होंने बाहर से कोई इंजीनियर नियुक्त नहीं किया है"

लेकिन जिस प्राइवेट इंजीनियर से हमने बात की, उसने हमें ECIL का कॉन्ट्रैक्ट दिखाया. हम देख सकते हैं कि नवंबर 2018 में 2019 आम चुनावों से ठीक पहले उसे जूनियर टेक्निकल ऑफिसर के रूप में नियुक्त किया गया था. चलिए हम उनका नाम सुरेश मान लेते हैं. हमने उनसे पूछा कि अगर आज अगर आप EVM और VVPAT बनाना चाहते हैं तो क्या बना सकते हैं?

जी हां, इसमें कोई बड़ी बात नहीं है. हमें T&M से थोड़ी बहुत ट्रेनिंग मिली है जो डिप्लोमा होल्डर हैं, वो हमें EVM और VVPAT का डेमो देते थे. वो एक बेसिक ट्रेनिंग होती है. आप कंट्रोल यूनिट पर टाइम कैसे फिक्स करेंगे. EVM और VVPAT को कैसे सुधार सकते हैं. हम ज्यादा तब सीखते थे जब हम ग्राउंड पर होते थे. हमें अलग अलग-जगह भेजा जाता थापुराने T&M इंजीनियर के साथ जो 2- 3 साल से इसमें हैं ताकि हम देखें कि पहले चरण में इस पर कैसे चेकिंग की जाती है और इस तरह से हमने सीखा.
सुरेश*, पूर्व ECIL इंजीनियर

सुरेश का दावा है कि चुनाव से जुड़े लगभग सारे काम कॉन्ट्रैक्ट पर रखे गए इंजीनियरों ने किए थे, न कि ECIL के स्थायी कर्मचारियों ने. सुरेश ये भी दावा करते हैं कि उन्हें और उनके सहयोगियों को ECIL के सुपरवाइजर ने इस बात को छिपाने को कहा था कि वे कॉन्ट्रैक्ट पर काम कर रहे थे.

ट्रेनिंग के दौरान, ECIL हमें मशीन के बारे में कम बताते हैं और ये ज्यादा कि हम कैसे ये बता पाएं दूसरों के सामने कि हम ECIL के कर्मचारी हैं. उन्होंने (ECIL) ने हमें ये बताने से मना किया था. आप पूरे देश के DM से पूछ सकते हैं और शायद ये उन्हें पता ही नहीं है कि ये लोग कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पर होते हैं.
सुरेश*, पूर्व ECIL इंजीनियर
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इस बात की पुष्टि कॉन्ट्रैक्ट पर रखे गए एक अन्य ECIL इंजीनियर ने भी की. इन्होंने भी नाम न बताने की शर्त पर हमसे बात की. चलिए इन्हें हम अशोक नाम दे देते हैं.

शायद ECIL के लोग सोचते होंगे कि इलेक्शन ड्यूटी वाले अफसर काम नहीं करवाएंगे. अगर उन्हें पता चला कि हम कॉन्ट्रैक्ट पर हैं.
अशोक*, पूर्व ECIL इंजीनियर

इन दो इंजीनियरों ने 2019 के आम चुनावों के साथ-साथ झारखंड और दिल्ली विधानसभा चुनावों में भी काम किया.. प्रत्येक चुनाव से पहले उनका पहला काम EVM और VVPAT मशीनों का first लेवल चेकिंग या FLC था, जो किसी चुनाव से लगभग 6 महीने पहले शुरू होता है. लेकिन 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान, हमें बताया गया  .. FLC ठीक से नहीं की गई थी.

FLC के दौरान इंजीनियर को ये निर्देश था कि वो 96 वोट कर के देखें, कई बार तो ये भी हुआ है कि उन्होंने (T&M के इंजीनियर की FLC के दौरान) EVM-VVPAT मशीन 75 वोट के बाद ओके कर दी. 96 वोट EVM-VVPAT में डालना अनिवार्य होता है. FLC के दौरान ही उन्होंने EVM में बाकी गड़बड़ियों को भी नजरअंदाज किया और उन्हें अप्रूव कर दिया.
अशोक*, पूर्व ECIL इंजीनियर

FLC के दौरान, EVM और VVPAT मशीनों को पूरी तरह से जांचना होता है. अगर खराब मशीनों की पहचान नहीं की जाती है तो मतदान के दौरान खराबी का रेट ज्यादा होता है.जिन दो इंजीनियरों से हमने बात की नवंबर 2019 में एक्सटेंशन के बाद उनके कॉन्ट्रैक्ट को मई 2020 में 187 अन्य के साथ खत्म कर दिया गया.

मुझे नहीं पता कि उन्होंने मेरा कॉन्ट्रैक्ट क्यों नहीं बढ़ाया. उन्होंने हमें कहा कि उनके पास ऐसा कोई प्रोजेक्ट नहीं है कि वो हमें रख सकें. सरकार ने भी लॉकडाउन हटा दिया है और आप अब दूसरी नौकरी ढूंढ सकते हैं, आपको मिल जाएगी. हमें 30 मई को निकाल दिया गया और एक हफ्ते बाद ही भर्ती का नया विज्ञापन अा गया कि टेक्नीकल अफसरों की जरूरत है.
सुरेश*, पूर्व ECIL इंजीनियर

दिलचस्प है कि कॉन्ट्रैक्ट खत्म किए जाने के एक हफ्ते बाद ही, एक बार फिर इंजीनियरों के लिए ECIL ने भर्ती विज्ञापन जारी किए.ये सवाल करने पर कि क्या नए भर्ती किए गए लोग अनुभवी हैं? उन्होंने बताया कि नहीं ,कोई एक्सपीरियंस नहीं है. विज्ञापन में उन्होंने लिखा कि एक साल के अनुभवी की जरूरत है. किसी भी इंडस्ट्री में, लेकिन वे उस प्रक्रिया का पालन नहीं करते हैं.मेरे वक्त में भी कई नए लोग थे. नए लोगों को भी 1-2 दिन की ट्रेनिंग मिलने के सवाल पर सुरेश ने कहा-

हां बिल्कुल, वही बेसिक ट्रेनिंग यानी कंट्रोल यूनिट की. बैलेट यूनिट की, VVPAT कीआपको ये फर्स्ट लेवल चेकिंग में दिखाना होता है अगर एडमिनिस्ट्रेशन आपसे ये पूछता है तो आप नहीं बता सकते कि आप कॉन्ट्रैक्ट पर हैंआपको कहना ही होगा की आप परमानेंट हैं.
सुरेश*, पूर्व ECIL इंजीनियर

इंजीनियर बताते हैं कि उन्हें नहीं पता कि उनके कॉन्ट्रैक्ट क्यों खत्म किए गए वे दिल्ली चुनाव के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के एक बयान की ओर भी इशारा करते हुए कहते हैं कि ''VVPAT मशीन की विफलता लोकसभा चुनावों के समय 12.5% थी, जो कि दिल्ली चुनावों में घटकर 1% से भी कम रह  गई थी.''

वो ये बताना चाहते हैं कि ये उनके अच्छे काम का नतीजा था. तो सवाल उठता है कि

  • चुनाव आयोग क्यों ये कहकर सुप्रीम कोर्ट समेत सभी को गुमराह कर रहा है कि केवल अधिकृत इंजीनियर को चुनाव ड्यूटी पर तैनात किया जाता है?
  • चुनाव आयोग क्यों नहीं मानता कि वो शॉर्ट-टर्म कॉन्ट्रैक्ट पर इंजीनियरों को नियुक्त करता है?
  • जब राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देकर चुनाव आयोग EVM और VVPAT को टॉप सीक्रेट रखता है कि तो क्यों कम प्रशिक्षण वाले कॉन्ट्रैक्ट वाले इंजीनियर इन मशीनों पर काम करने लिए रखे गए?

क्विंट के सवालों के जवाब में EC ने सारी जिम्मेदारी ECIL पर डाल दी. आयोग ने कहा- इन इंजीनियरों या
मशीनों के रखरखाव या उत्पादन में लगे दूसरे स्टाफ को भर्ती करना, उन्हें काम पर बनाए रखना या निकाल देना, ECIL और BIL के विशेषाधिकार हैं. ईवीएम 100% सुरक्षित रहें, ये पक्का करने के लिए दोनों कंपनियों ने सभी जरूरी उपाय किए हैं. हमने ECIL से भी पूछा है कि उन्होंने 187 अनुभवी इंजीनियरों के कॉन्ट्रैक्ट को क्यों खत्म किया और फिर नई भर्ती के लिए क्यों विज्ञापन दिया? जवाब मिलने पर हम अपडेट करेंगे.

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