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कॉनजेनिटल ब्लाइंड प्रणव लाल आवाज के जरिए देखते हैं दुनिया

‘द वॉइस’ की मदद से प्रणव ने अपनी जिंदगी का नया मकसद ढूंढा है

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वीडियो एडिटर: पुनीत भाटिया

कैमरा: अभिषेक रंजन, शिवकुमार मौर्या

वीडियो प्रोडूसर: ज़िजाह शेरवानी

'एक्सप्‍लोर करना कभी बंद नहीं करना चाहिए, हमेशा अलग चीजें करने की कोशिश करनी चाहिए.' ये है प्रणव लाल का जीवन जीने का मंत्र.

प्रणव एक साइबर सिक्‍योरिटी प्रोफेशनल हैं, वो एक फोटोग्राफर और राइटर हैं. लेकिन एक चीज है, जो उन्हें सबसे अलग बनाती है...उनकी कॉनजेनिटल ब्लाइंडनेस.

प्रणव के पिता कभी नहीं चाहते थे कि उनके बेटे की न देख पाने वाले परेशानी कभी प्रणव के आड़े आए.

90 के दशक में प्रणव ने कंप्यूटर चलाना सीखा और 8वीं क्लास के अंत तक उन्होंने कंप्यूटर प्रोग्रामिंग सिख ली. प्रणव ने इंटरनेट पर डच के आविष्कारक बीएल मायर के बनाए सॉफ्टवेर 'द वॉइस' के बारे में पढ़ा. ये डिवाइस लाइव कैमरा की मदद से किसी भी तस्वीर को ध्वनि में बदलता है और विजुअली इंपेयर्ड यानी न देख पाने वाले लोगों को ध्वनि के जरिए 'देखने' में मदद करता है

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'द वॉइस' तस्वीरों को दाएं से बाएं स्कैन कर के ध्वनि में बदलता है. पिच से सामने की चीज की ऊंचाई पता लगती है, तो तेज आवाज से ब्राइटनेस का आभास होता है. अच्छी ट्रेनिंग के जरिए न देख पाने वाले लोग सामने की चीजों का आकर पता लगा सकते हैं. दूरी का पता लगा सकते हैं और यहां तक बता सकते हैं कि उनके सामने क्या चीज है.

ये कहना गलत नहीं होगा कि 'द वॉइस' की मदद से प्रणव ने अपनी जिंदगी का नया मकसद ढूंढा है.

इस तकनीक को समझते हुए प्रणव कहते हैं:

दिमाग को कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप विजुअल इनपुट कहां से ले रहे हैं, तो जब कानों के जरिए ध्वनि‍ दिमाग तक जाती है, तो न्यूरोन अपने आप को विजुअलाइज का काम करते हैं

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फोटोग्राफी का पैशन

प्रणव ने 2001 से 'द वॉइस' का इस्तमाल करना शुरू किया और अब वो इसे इस्तमाल करने में मास्टर हो गए हैं. अब वो अपनी दुनिया को विजुअलाइज कर सकते हैं और अपने ब्लॉग पर फोटोग्राफ के जरिए अपनी दुनिया शेयर करते हैं

प्रणव ज्यादातर प्राकृतिक तस्वीरें खींचते हैं, उनका कहना है कि वो किसी इंसान की तस्वीर लेने से बचते हैं, क्योंकि वो अपने दिमाग में चेहरा तो बना सकते हैं, लेकिन चेहरे के हाव-भाव नहीं विजुअलाइज कर सकते. लेकिन जब वो किसी इंसान की तस्वीर लेते हैं तो सिर्फ एक इंसान की और वो है उनकी पत्नी सचेता लाल.

तस्वीर लेने में प्रणव लगभग 45 सेकेंड का समय लगाते हैं, वो खूबसूरती को लेकर इतनी फिक्र नहीं करते, क्योंकि ये उनका तरीका है दुनिया को बताने का कि न देख सकने वाला व्यक्ति दुनिया को कैसे देखता है.

प्रणव का टैलेंट फोटोग्राफी और कंप्यूटर प्रोग्रामिंग से और भी ज्यादा है, प्रणव ने कई कहानिया भी लिखी हैं, जो 'द फिक्शन ऑफ प्रणव लाल' पर पढ़ी जा सकती हैं. प्रणव ने अब तक 7 उपन्यास लिखे हैं और वो उपन्यास लिखना ज्यादा पसंद करते हैं.

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