ADVERTISEMENTREMOVE AD

पृथ्वीराज चव्हाण बोले- बीजेपी से डरकर काम नहीं चलेगा | Exclusive

इकनॉमिक स्लोडाउन से लेकर झारखंड चुनाव तक पर पृथ्वीराज चव्हाण से संजय पुगलिया की खास बातचीत

Published
छोटा
मध्यम
बड़ा
ADVERTISEMENTREMOVE AD

वीडियो एडिटर: विशाल कुमार

महाराष्ट्र के पूर्व सीएम और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने क्विंट के एडिटोरियल डायरेक्टर संजय पुगलिया से इकनॉमिक स्लोडाउन से लेकर झारखंड चुनाव तक कई मुद्दों पर खुलकर बात की. उन्होंने कहा कि बीजेपी से डर के काम नहीं चलेगा, हमें उनसे भिड़ना पड़ेगा.

बीजेपी के पास राष्ट्रवाद की एक कहानी है. उसके सामने अगर बड़े-बड़े मुद्दे हैं. उस कहानी को क्राफ्ट करना और कहना, ये भी कांग्रेस की एक बड़ी कमजोरी लगती है. उदाहरण के तौर पर, इकनॉमी अभी इतना दमदार मुद्दा है. हम 4.5% की जीडीपी पर आ गए हैं. इस पर आपकी तरफ से पब्लिक में एक रिलेटेबल जुबान से कोई बात नजर ही नहीं आती है.

जीडीपी ग्रोथ के नंबर हैं. इंफ्लेशन रेट के नंबर हैं. इंपोर्ट-एक्सपोर्ट के नंबर हैं. क्रेडिट टेक ऑफ के नंबर हैं. ये कठिन जरूर हैं. इसको साधारण भाषा में, आम आदमी की भाषा में बताना बहुत आवश्यक है. इसके लिए टीवी भी बड़ा काम कर रहा है. डिजिटल मीडिया भी काम कर रहा है.
लोग समझा रहे हैं,  यू ट्यूब चैनल पर बातें होती हैं. लेकिन विपक्ष के नेताओं को संसद का पूरा उपयोग करके, विधानसभा का पूरा उपयोग करके इन चीजों को उठाकर ये बातें वहां रखनी चाहिए, क्योंकि संसद में कही गई बातों का लाइव टेलीकास्ट होता है और बड़े नेता कोई बात कहते हैं, जिन्होंने पूर्व सरकार में काम किया है, तो उसमें एक विश्वसनीयता होती है. कोई दूसरा नेता कहे तो उसमें इतनी विश्वसनीयता नहीं होती है. ये हरेक पार्टी का काम है. कम्युनिस्ट पार्टी से लेकर राइट विंग, लेफ्ट विंग, सेंट्रिस्ट पार्टी तक अपने इलेक्टोरेट को समझाएं कि क्या गलत हो रहा है. क्या करना चाहिए. आज इकनॉमी की हालत पहुत गंभीर है. जैसा आपने कहा कि क्वार्टली ग्रोथ रेट 4.5% पर आ चुका है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

इस साल का 5% फोरकास्ट आ गया है.

6.1% साल का विकास दर जो हमने सोचा था, वो 5% रहने की उम्मीद है. बहुत चिंता का विषय है. और अगर आप अरविंद सुब्रह्मण्यम की बात सुनें, जो उन्होंने लेख लिखकर बताया था कि हमारी अर्थव्यवस्था का विकास दर 2.5% बढ़ा-चढ़ाकर बताया जा रहा है तो वो 2.5% घटाएं तो 2% ही रहता है. डॉ. अरुण कुमार जैसे इकनॉमिस्ट जो जेएनयू के प्रोफेसर रहे हैं, देश के जाने-माने अर्थशास्त्री हैं, वो कहते हैं कि अनऑर्गनाइज्ड सेक्टर के आंकड़े बहुत देरी से आते हैं. नोटबंदी के आंकड़े अभी तक हमारे पास आए नहीं हैं. इसका मतलब भारत का असल विकास दर निगेटिव में है.

आपको लगता है कि अर्थव्यवस्था के मुद्दों पर बीजेपी को डिफेंसिव में डाला जा सकता है या
इससे वो अनपॉपुलर हो रही है तो फाइट बैक करके मुद्दों को किसी इमोशनल मचान पर लेकर नहीं जाएगी?

इमोशनली ले जाने की कोशिश करेंगे. नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस, सिटिजनशिप अमेंडमेंट बिल की बात हो रही है. ये करते रहेंगे, बाज नहीं आएंगे. जब भी चुनाव आते हैं, जैसे लोकसभा चुनाव के समय बालाकोट हुआ, सर्जिकल स्ट्राइक हुआ, घर में जाकर मारने की बात हुई. जब महाराष्ट्र का चुनाव हुआ तो आर्टिकल 370 का मुद्दा आया.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

इसको कैसे काउंटर करेंगे?

डर के काम नहीं चलेगा,  हमें भिड़ना पड़ेगा. बताना पड़ेगा कि असलियत क्या है. 370 की असलियत क्या है. नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस  की असलियत क्या है. सिटिजनशिप अमेंडमेंट बिल की बात हो रही है, उसके लिए हमें भिड़ना होगा. लोगों को साधारण भाषा में गली-कूचों में जाकर, छोटे स्कूलों, कॉलेजों में जाकर आसान भाषा में असलियत बतानी पड़ेगी. इससे डरकर काम नहीं चलेगा. जब पुलवामा, बालाकोट हुआ तब हमारे लोगों ने कहा कि इसके बारे में चर्चा मत करो, नेशनल सिक्योरिटी का मामला है. अगर हम करेंगे तो असर उल्टा होगा.

जब कहते हैं लोगों को जाकर बताना पड़ेगा, तो झारखंड में चुनाव चल रहा है. आपके बड़े केंद्रीय नेताओं को मैंने अभी तक नहीं देखा है?

हम महाराष्ट्र में काफी व्यस्त थे. बीजेपी उसी मुद्दे पर है. नया कोई मुद्दा नहीं निकला है. सिटिजनशिप की बात हो रही है लेकिन ये झारखंड में असर नहीं करेगी. ये 370 को ही आगे लेकर चल रहे हैं. 370 का मुद्दा महाराष्ट्र के चुनाव में नहीं चला.  मोदी जी ने, अमित शाह ने करीब 27 मीटिंग की, उसका बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ा. मैं बताना चाहूंगा लेकिन झारखंड के चुनाव में भी
हम अच्छे नतीजों की उम्मीद करते हैं.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×