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BHU में 23 सितंबर की रात जो हुआ वो बेहद शर्मनाक थाः प्रोफेसर

छात्रा को बचाने की कोशिश के दौरान प्रोफेसर भी हुई थी लाठीचार्ज का शिकार, बयां की 23 सितंबर की रात की पूरी दास्तान

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बीएचयू में बीती छात्राओं पर बीती 23 सितंबर को हुए लाठीचार्ज का शिकार विश्वविद्यालय की प्रोफेसर प्रतिमा गोंड भी हुईं थी. प्रोफेसर ने द क्विंट को बताया कि एक छात्रा को बचाने की कोशिश के दौरान उन पर भी लाठीचार्ज हुआ.

प्रोफेसर प्रतिमा गोंड ने बताया कि छात्राओं के प्रदर्शन के दौरान छात्राओं पर जमकर लाठियां बरसाई गईं और उन्हें गालियां भी दी गईं. उन्होंने वीसी के उस दावे पर भी सवाल उठाया, जिसमें वीसी ने कहा था कि छात्राओं के खिलाफ किसी भी तरह का बल प्रयोग नहीं किया गया.

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BHU की एडमिन वार्डन और असिस्टेंट प्रोफेसर प्रतिमा गोंड ने द क्विंट के साथ बातचीत में बताया कि लाठीचार्ज के दौरान उनपर भी हमला हुआ था, जब वो एक लड़की को बचा रही थी.

मैंने महसूस किया कि वो गिर रही है और मुझे उसे अंदर खींचकर बचाना चाहिए. मैंने सोचा कि मैं उसे अंदर खींच लूंगी, जब पुलिस उसे खींच रही थी, तो मैंने उसे कसकर पकड़ रखा था. ये सब कुछ बहुत जल्दबाजी में हुआ, उसे अंदर खींचने के अलावा, मैं कुछ और नहीं सोच रही थी.
प्रतिमा गोंड, एडमिन वार्डन और असिसटेंट प्रोफेसर

उन्होंने कहा-

कानून कहता है कि पुलिस किसी के सिर पर वार नहीं कर सकती, पुलिस सिर्फ पैरों पर मार सकती है. लेकिन वो सिर पर मार रहे थे, ऐसा लगा कि मैं बुरी तरह घायल हो जाउंगी, मैंने लड़की को पकड़ लिया और चिल्लाना शुरू कर दिया कि मैं टीचर हूं. उन्होंने कुछ नहीं सुना और वो हम पर वार करते रहे. मैंने एक हाथ से अपना सिर कवर किया, क्योंकि मैं लड़की को नहीं छोड़ना चाहती थी.
प्रतिमा गोंड, एडमिन वार्डन और असिसटेंट प्रोफेसर

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