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पंजाब: रानी की कहानी- ड्रग्स, फिर देह व्यापार और अब दिहाड़ी मजदूर

Punjab elections ग्राउंड रिपोर्ट| सत्ता और राजनीति के गलियारों से परे पंजाब में ड्रग्स से जूझती महिलाओं की कहानी

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Punjab Election 2022: आठ साल की पिंकी (बदला हुआ नाम) का जन्म पंजाब के तरनतारन जिले के एक क्लिनिक में 'विड्रॉल सिंड्रोम' के साथ हुआ था. उसकी मां को प्रेगनेंसी के दौरान नशे ( इंजेक्शन) की लत थी. पिंकी के जन्म के 8 दिन बाद ही उनकी मौत हो गयी. पिंकी अपने पिता द्वारा त्यागे जाने के बाद अपने मामा और उनके परिवार के साथ रहती है.

पिंकी के परिवार ने हमसे बात करने से इनकार कर दिया लेकिन यह पंजाब की कई भयावह कहानियों में से सिर्फ एक है, जो बताती हैं कि पंजाब में महिलाएं ड्रग्स के कारण किस तरह से पीड़ित हैं.

उसी इलाके में जहां पिंकी रहती है, चिट्टा (हेरोइन का एक मिलावटी रूप) के आदी 45 वर्षीय हरपाल सिंह की कथित तौर पर 17 जनवरी 2022 को ओवरडोज के कारण मृत्यु हो गई.

हरपाल अपने पीछे चार बच्चे छोड़ गए हैं जो अब उसकी भाभी की देखरेख में हैं. कथित तौर पर ड्रग्स और शराब के प्रभाव में हरपाल द्वारा पिटाई करने के बाद 2017 में उसकी पत्नी की आत्महत्या से मृत्यु हो गई.

लत, शोषण और कलंक

तरनतारन जिले के पत्ती शहर के एक नशामुक्ति केंद्र पर हमारी मुलाकात रानी (बदला हुआ नाम) और मीना (बदला हुआ नाम) से हुई. दोनों दिहाड़ी मजदूर हैं और दोनों ने अपना नाम राज्य सरकार द्वारा संचालित नशामुक्ति योजना के तहत दर्ज करवाया है.

पति की मौत के बाद रानी* को ससुराल वालों ने बेसहारा छोड़ दिया. उसने आरोप लगाया कि उसके पति की मृत्यु के बाद, उसके ससुर द्वारा बार-बार उसका यौन उत्पीड़न किया गया.

"जब मैंने विरोध किया, तो मुझे घर से निकाल दिया गया. मेरे पास जाने के लिए कहीं नहीं था"

गरीबी के कारण रानी* नशे और वेश्यावृत्ति में आ गयी. 35 साल की उम्र में ही रानी* दो साल के बच्चे की दादी हैं. रानी* को घर से बाहर निकालने के बाद उसकी बेटी की शादी उसके ससुराल वालों ने 15 साल की उम्र में कर दी थी.रानी* का कहना है कि "मैंने अभी तक अपनी पोती को नहीं देखा है. मैं वर्षों से अपनी बेटी से भी नहीं मिली."

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दूसरी तरफ मीना* के लिए नशा परिवार में स्थाई सदस्य की तरह चलता है. उसका पति नशेड़ी था. उसे छोड़ने के बाद वह भी नशा करने लगी और कुछ साल बाद, उसके तीन बच्चे भी ड्रग्स लेने लगे.

"मैंने उसे छोड़ दिया क्योंकि वह ड्रग्स लेता था और मुझे पीटता था. अपने बच्चों के लिए मुझे जो कठिनाई का सामना करना पड़ा, उसने मुझे ड्रग्स में धकेल दिया. बाद में जब मेरे बच्चे बड़े हुए और मैं उनसे मदद की उम्मीद कर रही थी, तो मैंने पाया कि वे भी नशेड़ी हैं.”
मीना*

पंजाब में नशे की आदी महिलाओं की संख्या पर कोई आधिकारिक डेटा नहीं है लेकिन कुछ अनुमान और अध्ययन के मुताबिक ये आंकड़ा एक लाख के करीब है.

भागुपुर नशामुक्ति केंद्र के चिकित्सा अधिकारी डॉ जसप्रीत सिंह का कहना है कि पुरुषों की तुलना में नशे की आदी महिलाओं की संख्या बहुत कम है. डॉ. जसप्रीत के अनुसार "कई नशे की आदी महिला उन कारणों से बाहर आने और मदद लेने से इंकार कर देती हैं जो उनके लिए यूनिक हैं"

"समाज में पुरुष एडिक्ट्स की स्वीकृति फिर भी है लेकिन महिलाओं के मामले में अभी भी एक बड़ा कलंक जुड़ा हुआ है. उन्हें सामने आने और यहां तक ​​कि इलाज का लाभ उठाने में भी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. जो सामने आते हैं उनका शोषण होता है.”
डॉ जसप्रीत सिंह

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