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‘मंदिर वहीं बनाएंगे’ के नारों के बीच दलितों पर लाठीचार्ज-Exclusive

रविदास मंदिर गिराए जाने के विरोध में प्रदर्शन

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वीडियो एडिटर: आशुतोष भारद्वाज

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दिल्ली के तुगलकाबाद में रविदास मंदिर गिराए जाने के विरोध में देश के कई हिस्सों से आए दलित समुदाय के प्रदर्शन ने तब हिंसक रूप ले लिया, जब प्रदर्शनकारियों ने एक अफवाह के बाद बसों में तोड़-फोड़ शुरू कर दी. अफवाह थी कि एक प्रदर्शनकारी को गोली मार दी गई है.

उग्र प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए पुलिस को हल्का लाठीचार्ज करना पड़ा. मंदिर के आस-पास पुलिस की कड़ी सुरक्षा रखी गई है.

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रविदास मंदिर गिराए जाने के विरोध में  प्रदर्शन
हिंसक प्रदर्शन के बीच फूंकी गई मोटरसाइकिल
(फोटोः PTI)

बुधवार, 21 अगस्त को हजारों की संख्या में लोगों ने हाथों में नीले रंग के झंडे लेकर झंडेवालान से रामलीला मैदान तक प्रदर्शन किया. बता दें कि दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 10 अगस्त को मंदिर गिरा दिया था.

प्रदर्शन के बाद, भीम सेना की तरफ से जारी बयान बताया गया कि लाठीचार्ज में भीम सेना के चीफ चंद्रशेखर आजा घायल हो गए हैं. उन्हें अस्पताल ले जाने की बजाय पुलिस ने चंद्रशेखर और राष्ट्रीय अध्यक्ष विनय रतन सिंह को गिरफ्तार कर लिया.

भीम सेना ने लाठीचार्ज की निंदा करते हुए पुलिस से दोनों की तत्कार रिहाई की मांग की है.

भीम सेना ने बीजेपी सरकार और दिल्ली सरकार को प्रदर्शनकारियों पर कोई भी कड़ी कार्रवाई नहीं करने की चेतावनी दी है. बयान में कहा गया है कि अगर 600 साल पुराने रविदास मंदिर को उसकी जगह नहीं बनाया गया तो भीम सेना देशभर में प्रदर्शन करेगी और भारत बंद का आह्वान करेगी.

प्रदर्शनकारियों की मांग क्या है?

पंजाब, राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों से आए प्रदर्शनकारी 'जय भीम' के नारे लगा रहे थे. इस मुद्दे ने राजनीतिक रंग ले लिया है. 13 अगस्त को पंजाब में दलित समुदाय ने प्रदर्शन किया था. प्रदर्शनकारियों समेत कुछ नेताओं की सरकार से मांग की कि संबंधित जमीन दलित समुदाय को सौंप दी जाए और मंदिर दोबारा बनवाया जाए. इस प्रदर्शन में दिल्ली के सामाजिक न्याय मंत्री राजेंद्र पाल गौतम, भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद और इस समुदाय के आध्यात्मिक नेता मौजूद थे.

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा है?

दिल्ली में हुए इस प्रदर्शन से पहले 19 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रविदास मंदिर को तोड़ने का विरोध कर उसके आदेश को किसी के द्वारा भी 'सियासी रंग' नहीं दिया जाना चाहिए. जस्टिस अरुण मिश्रा और एम आर शाह की पीठ ने कहा, "सब कुछ राजनीतिक नहीं हो सकता. हमारे आदेशों को धरती पर किसी के द्वारा सियासी रंग नहीं दिया जा सकता."

विरोध प्रदर्शन में हिस्सा ले रहे दिल्ली के सामाजिक न्याय मंत्री राजेंद्र पाल गौतम का कहना है कि ये समुदाय के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ है न कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ.

‘मैं यहां समुदाय का प्रतिनिधित्व कर रहा हूं न कि दिल्ली सरकार के मंत्री के तौर पर आया हूं. हम सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर का सम्मान करते हैं लेकिन केंद्र सरकार को ये बताना चाहिए कि आखिर देशभर में दलित समुदाय और उनसे जुड़ी मूर्तियों और बाबा साहेब की मूर्तियों को क्यों तोड़ा जा रहा है? ‘
राजेंद्र पाल गौतम, सामाजिक न्याय मंत्री, दिल्ली सरकार

वहीं बीजेपी नेता विजय गोयल ने आरोप लगाया है कि आम आदमी पार्टी इस मुद्दे का राजनीतिकरण कर रही है.

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