आओ लौट चलें उस बचपन में जब स्कूल की बोरिंग जिंदगी में निराला की कविताएं रंग भर देती थीं. जब किताबों के ढेर में से हिंदी वाली बुक उठाकर आप उसमें अपनी पसंदीदा कविता पढ़ते थे. सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की कुछ चुनिंदा कविताओं को आवाज दी है जाने-माने एक्टर पीयूष मिश्रा ने.
निराला के साथ जयशंकर प्रसाद, सुमित्रानंदन पंत और महादेवी वर्मा ने छायावाद युग को जीवंत किया था. निराला की रचनाएं परिमल और अनामिका हिंदी साहित्य में असली छायावाद का उदाहरण हैं, और बचपन में भिखारी वाली कविता तो आपने जरूर पढ़ी होगी.
(इस आर्टिकल को सबसे पहले 21 फरवरी 2016 को पब्लिश किया गया था. क्विंट के आर्काइव से इसे दोबारा पब्लिश किया जा रहा है.)
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