ADVERTISEMENTREMOVE AD

‘RML में डॉक्टर हूं, मुझे अस्पताल में बेड के लिए संघर्ष करना पड़ा’

दिल्ली के डॉ राम मनोहर लोहिया अस्पताल के एक डॉक्टर की आपबीती

Updated
छोटा
मध्यम
बड़ा
ADVERTISEMENTREMOVE AD

कोरोना महामारी संकट के बीच दुनियाभर में डॉक्टर्स और हेल्थ वर्कर्स की मदद से कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई लड़ी जा रही है. लेकिन भारत में इन कोरोना योद्धा की तुलना में वीआईपी लोगों को ज्यादा तवज्जों दी जा रही है.

0

दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल के पीजी रेसीडेंट डॉक्टर मनीष जांगड़ा की आपबीती ने सिस्टम पर सवाल खड़े कर दिए हैं.

“12 अप्रैल को कोविड पॉजिटिव होने के बा, 17 अप्रैल को मेरी हालत खराब होने लगी थी. मुझे सांस लेने में तकलीफ हो रही थी, मेरे दिल की धड़कन 155-160 बीपीएम हो गई थी और मुझे खांसी चल रही थी.चूंकि मैं डॉ राम मनोहर लोहिया अस्पताल के डिपार्टमेंट ऑफ डर्मेटोलॉजी में पीजी रेसिडेंट डॉक्टर हूं और इसी अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचा.”
डॉ मनीष जांगड़ा, पीजी रेसिडेंट डॉक्टर, RML

“किसी के लिए भी यह यकीन करना मुश्किल होगा कि, एक डॉक्टर और फ्रंटलाइन वर्कर होने के बावजूद मैं अस्पताल में बेड पाने में असमर्थ था. मुझे ऑक्सीजन सप्लाई करने के लिए अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर में 30 मिनट तक इंतजार करना पड़ा और मुझे बेड भी नहीं मिला.”

ADVERTISEMENTREMOVE AD

2-3 घंटे संघर्ष करने के बाद मेरे सहकर्मी और रेसिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन की मदद से , मेरे लिए बेड की व्यवस्था की गई.”

“हालांकि यह पहली बार नहीं है जब इस तरह का कोई वाक्या हुआ. इससे पहले भी मैं अस्पताल में ऐसे हालात देख चुका हूं. 11 अप्रैल को जब मैं कोविड-19 टेस्ट के लिए हॉस्पिटल गया तो लंबी कतार में इंतजार करना पड़ा. मुझे लगा था कि डॉक्टर होने की वजह से मेरा टेस्ट जल्द हो जाएगा. लेकिन मुझे हैरानी हुई जब मेरे सहकर्मी भी काफी पहले से लाइन में खड़े थे.

“मैंने जब इस देरी के बारे में जानना चाहा, तो डॉक्टर्स ने कहा कि, नेता, मंत्री और अन्य वीआईपी लोगों के सैंपल को प्राथमिकता दी जा रही है. पहले उनके सैंपल लिए जाएंगे, फिर बाद में हमारे सैंपल लिए जाएंगे.”

हम सब जानते हैं कि ये सो-कोल्ड वीआईपी सरकारी अस्पतालों में इलाज नहीं कराते हैं. ये ट्रीटमेंट के लिए हमेशा प्राइवेट हॉस्पिटल जाते हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

राम मनोहर लोहिया अस्पताल में वीआईपी लोगों को प्राथमिकता देने का कल्चर है लेकिन अब यह ज्यादा हो गया है. हम देख रहे हैं कि इस जानलेवा वायरस के संक्रमण के कितने लोग लड़ाई लड़ रहे हैं ऐसे में किसी को प्राथमिकता देना कहां तक उचित है.

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन के डॉक्टर्स ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर सरकारी अस्पताल में इलाज के दौरान वीआईपी कल्चर को लेकर अपनी चिंता जाहिर की है.

हालांकि प्रधानमंत्री मोदी को लिखे इस पत्र के बाद भी कोई बदलाव देखने को नहीं मिला है. सिर्फ वीआईपी स्क्रीनिंग सेंटर का नाम बदलकर कोविड स्क्रीनिंग सेंटर 2 कर दिया गया है.

मेरी भारत सरकार से अपील है कि मुश्किल समय में देश की इस रीढ़ को नहीं टूटने दें, जो कि इस महामारी के खिलाफ लड़ाई में सबसे आगे हैं. यह वक्त है कि अस्पताल प्रशासन भी इस मामले को गंभीरता से लें और कड़ी मेहनत करने वाले कोविड योद्धाओं की मदद करें.

(द क्विंट ने इस बारे में डॉ राम मनोहर लोहिया अस्पताल, दिल्ली के मेडिकल सुपरिटेंडेंट से बात करने की कोशिश की है, उनका जवाब आने पर इसे अपडेट किया जाएगा.)

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×