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सबरीमाला:कनक दुर्गा जैसी महिला का जज्बा घर में क्यों टूट जाता है?

सबरीमाला में घुसने वाली कनक दुर्गा के साथ जो हुआ उसके बाद कोई महिला जुटा पाएगी हिम्मत?

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वीडियो एडिटर: अभिषेक शर्मा

कैमरा: सुमित बडोला

मजाज़ लखनवी साहब का मशहूर शेर है

तेरे माथे पे ये आंचल बहुत ही खूब है

लेकिन तू इस आंचल से इक परचम बना लेती तो अच्छा था

अच्छा नहीं था..क्योंकि जब कोई कनक दुर्गाअपने आंचल को परचम बनाने की कोशिश करती है, उसे हवा में लहराने की कोशिश करती है तो समाज से लेकर अपनों तक का विरोध परंपराओं के पिंजरे में उसे कैद कर देता है. ये बात जितनी सही 19वीं शताब्दी में थी, उतनी ही सही 21वीं सदी के इस 19वें साल में भी है.

2 जनवरी तड़के खबर आई कि सबरीमाला मंदिर में 2 महिलाओं ने प्रवेश कर लिया है. इन दोनों महिलाओं ने बरसों पुरानी परंपरा को तोड़ते हुए ये कदम उठाया था. इसके बाद रातों रात कनक दुर्गा और बिंदु आमिनी महिला सशक्तिकरण का प्रतीक बन गईं.

मंदिर प्रवेश के बाद पूरे केरल में बवाल शुरू हो गया था. दोनों महिलाओं का सामाजिक बहिष्कार करने की मांग उठने लगी. हिंसक प्रदर्शन होने लगे. बीजेपी जैसी कुछ राजनीतिक पार्टियों ने भी इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. लेकिन आक्रामक धमकियों के सामने वो डटी रहीं, राजनीतिक पार्टियों के हंगामे झेलती रही. लेकिन परायों के हमलों को बहादुरी से झेलने वाली कनक दुर्गा, अपनों से हार गई.

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हाल में खबर आई कि कनक दुर्गा की सास ने उनके साथ मार पिटाई की. वजह ये थी कि वो घरवालों की बिना इजाजत सबरीमाला मंदिर में क्यों गईं?

अंदाजा लगाइये, एक महिला जो अपने विश्वास के दम पर पूरी दुनिया से टक्कर लेती है, वो अपने ही घर की चारदीवारी में कितनी बेबस हो जाती है. कनक दुर्गा और उनकी एक साथी के जाने के बाद मंदिर का ‘शुद्धिकरण’ करवाया गया था. लेकिन परिवार की इस मंदबुद्धि का शुद्धिकरण कैसे होगा?

ये वही सोच है जो खाप पंचायतों की शक्ल में बेटियों की हत्या करती है, जो जात-पात में फंसी अपनी नकली प्रतिष्ठा के लिए बेटियों की मोहब्बत को मसल देती है. ये वही सोच है जो किसी देश की फौज के जनरल के दिमाग में पलती है और महिलाओं को जंग में लड़ने के नाकाबिल समझती है.

इन आंकड़ों पर भी नजर डालिए...

  • NCRB के आंकड़ों के मुताबिक साल 2016 में 3,38,954 महिलाएं किसी ना किसी अपराध का शिकार हुईं.
  • इनमें से 38,947 तो बलात्कार के मामले थे.
  • 2005 से लेकर 2015 के बीच के NCRB के आंकड़ों पर नजर डालने से पता चलता है कि देश में हर दिन 22 महिलाएं दहेज की वजह से मार दी जाती हैं.

देश में घरेलू हिंसा एक्ट को बने 10 से ज्यादा साल हो चुकें हैं लेकिन महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा घटने के बजाए बढ़ा ही है. कनक दुर्गा पर हुआ हमला किसी एक शख्स पर हुआ हमला नहीं है. इस हमले के बाद ना जाने कितनी लेफ्टिनेंट भावना कस्तूरी, पीवी सिंधु, इंदिरा नूई, कल्पना चावला अपनी हसरत और हिम्मत का गला घोंटकर वापस समाज के इस ‘पौरुष’ की मोहताज हो जाएंगी!

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