ADVERTISEMENTREMOVE AD

‘संजू’ से गायब क्यों है बाल ठाकरे-संजय दत्त के रिश्ते की कहानी?

जेल से बाहर आते ही संजय दत्त पहले मंदिर गए और फिर अपने पिता के साथ सीधे बाल ठाकरे के घर मातोश्री गए.

Published
छोटा
मध्यम
बड़ा
ADVERTISEMENTREMOVE AD

बॉलीवुड एक्टर संजय दत्त की जिंदगी पर बनी फिल्म ‘संजू’ ने बॉक्स ऑफिस पर धूम मचा रही है. पर फिल्म में संजय दत्त की लाइफ की तरह नया पेंच भी फंसा दिया है. फिल्म ने पहले 100 करोड़ और फिर 200 करोड़ का आंकड़ा पार कर लिया. लेकिन जिसने संजय दत्त के सबसे मुश्किल भरे दौर में उनका साथ दिया यानि बाल ठाकरे...उनका तो फिल्म में जिक्र ही नहीं है.

बाल ठाकरे ने ही संजय के पिता सुनील दत्त की गुहार पर मदद की थी. फिल्म बनाने वाले और संजय दत्त उर्फ संजू बाबा ने उनको याद नहीं रखा या जानबूझकर अनदेखी की है. लगता तो यही है कि किसी खास मकसद से संजय दत्त और राजकुमार हिरानी ने बाल ठाकरे वाला एपिसोड फिल्म में शामिल नहीं किया.

चलिए उनको याद नहीं रख सके, कोई बात नहीं लेकिन बाल ठाकरे के भतीजे राज ठाकरे को विशेष धन्यवाद क्यों दिया? ये कोई छिपी बात नहीं है कि बाल ठाकरे ही वो शख्स हैं जिनकी मदद के बाद 18 महीने तक लगातार जेल में बंद रहे संजय दत्त को जमानत मिल पाई. आइए आपको बताता हूं उस वक्त क्या हुआ था, कैसे कांग्रेस सांसद सुनील दत्त को बाल ठाकरे की मदद मांगनी पड़ी.

बात 1993 के मुंबई धमाकों की है. पुलिस की जांच में जैसे ही अभिनेता संजय दत्त का नाम आया तो फिल्म इंडस्ट्री में हड़कंप मच गया. सुनील दत्त कांग्रेस के सांसद थे और फिल्म इंडस्ट्री में भी बड़े सम्मानित थे. सुनील दत्त को ताने सुनने पड़े वो संजय दत्त की जमानत के लिए हर दरवाजे पर हाजिरी लगाने पहुंचे. मुख्यमंत्री से प्रधानमंत्री तक किसी भी नेता ने उनकी मदद नहीं की. 

वक्त बीतता गया और संजय दत्त को सलाखों के पीछे एक साल से ज्यादा का वक्त हो गया लेकिन टाडा कानून के तहत आरोप होने की वजह से संजय दत्त को जमानत मिल ही नहीं रही थी. क्योंकि टाडा था ही बेहद सख्त कानून.

तब तक महाराष्ट्र में सरकार बदल गई. कांग्रेस की जगह शिवसेना-बीजेपी की सरकार थी और सरकार का रिमोट कंट्रोल था शिवसेना सुप्रीमो बाल ठाकरे के पास.

जब सुनील दत्त हर जगह से निराश हो चुके थे तब उनके समधी राजेंद्र कुमार और शत्रुघ्न सिन्हा ने उन्हें सलाह दी कि अब कोई मदद कर सकता है तो वो हैं शिवसेना सुप्रीमो बाल ठाकरे.

सुनील दत्त के साथ अजीब स्थिति हो गई, बाल ठाकरे की पार्टी शिवसेना और कांग्रेस कट्टर विरोधी थे. खुद सुनील दत्त और बाल ठाकरे के बीच राजनीतिक मतभेद थे. सुनील दत्त मुंबई के बांद्रा इलाके से सांसद थे जहां मुस्लिम मतदाता बहुत बड़ी संख्या में थे, इस लिहाज से बाल ठाकरे से मुलाकात करना राजनीतिक तौर पर नुकसान वाला फैसला हो सकता था.

यही नहीं बाबरी मस्जिद कांड के बाद मुंबई में भड़के दंगों में शिवसेना की भूमिका के आरोप भी लगे थे. उस वक्त सुनील दत्त ने जो शांति यात्रा निकली थी वो भी बाल ठाकरे के घर मातोश्री के पास से निकली थी.

सुनील दत्त ने तमाम आशंकाएं राजेंद्र कुमार और शत्रुघ्न सिन्हा को बताईं तो दोनों ने कहा वो फिक्र ना करें. दोनों की गुजारिश के बाद ठाकरे ने सुनील दत्त को मुलाकात का वक्त दिया. सुनील दत्त खुद ही कई बार कह चुके हैं कि बाल ठाकरे ने ही मदद की जिसके बाद मुंबई को दिया हुआ वादा बाल ठाकरे ने निभाया. जेल में 18 महीने रहने के बाद 16 अक्टूबर 1995 को सुप्रीम कोर्ट से संजय दत्त को जमानत मिली.

जेल से बाहर आते ही संजय दत्त पहले सिद्धि विनायक मंदिर गए और फिर अपने पिता सुनील दत्त के साथ सीधे बाल ठाकरे के घर मातोश्री गए. जहां उन्होंने सबसे पहले बाल ठाकरे के पैर छुए और आशीर्वाद मांगा.

अब फिल्म आने के बाद सोशल मीडिया पर संजय दत्त और बाल ठाकरे की मुलाकात का वीडियो वायरल हो रहा है. जिससे बहुत कुछ साफ है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×