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चीन की लैब से निकला कोरोना वायरस? सुराग देने वाली भारतीय से बात

साइंटिस्ट डॉ. मोनाली रहालकर ने कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर क्विंट से की खास बातचीत

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वीडियो एडिटर: संदीप सुमन

चीन से कोरोना वायरस आखिरकार कैसे फैला? इसे लेकर दुनियाभर में अलग अलग थ्योरीज सामने आ रही है. जिसमे पुणे के एक वैज्ञानिक दाम्पत्य ने दुनिया के सामने अपने रिसर्च के आधार पर एक  थ्योरी रखी है. उनका दावा है की चीन के किसी सी-फ़ूड मार्केट से नही बल्कि वुहान के लैब से ये वायरस लीक हुआ है. हालांकि इस बात का अबतक कोई पुख्ता सबूत नही है. लेकिन अमेरिका ने वायरस की उत्पत्ती की खोज करने के लिए जांच शुरू कर दी है. जिससे इसकी सच्चाई सामने आने की उम्मीद है.

कोरोना वायरस के मूल तक पहुंचने के लिए ग्लोबल साइंटिस्ट ग्रुप DRASTIC के साथ पुणे के साइंटिस्ट दाम्पत्य डॉ. मोनाली रहालकर और डॉ.राहुल बहुलिकर अध्ययन में जुड़े है. डॉ. मोनाली का मानना है कि, पूरी दुनिया में तबाही मचाने वाले इस वायरस की जड़ तक नही पहुंचेंगे तो इसे रोक नही पाएंगे. ये जानना जरूरी है कि इस वायरस की उत्पत्ति किसी जानवर से हुई है या फिर किसी लैब से. इन्हीं सवालों के जवाब ढूंढ रही डॉ. मोनाली रहालकर ने क्विंट हिंदी से हुई बातचीत में अपने शोध के निष्कर्षों पर विस्तार से चर्चा की.

चीनी साइंटिस्ट्स ने दावा किया था कि ये वायरस चमगादड़ से आया है. लेकिन वुहान से सैकड़ों किलोमीटर दूर युन्नान और ग्वांगडोंग प्रदेश में ऐसे छोटे चमगादड़ पाए जाते है्ं. इस बात से डॉ. मोनाली के रिसर्च में नया मोड़ आया. वहीं मोजिआंग के खदानों में काम कर रहे छह माइनर्स में से तीन की मौत हो गई. इनमें कोरोना जैसे लक्षण दिखने की बात भी उन्होंने अपने रिसर्च में लिखी है.

साथ ही इन वायरस के सैम्पल्स का वुहान इंस्टिट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के लैब में सिक्वेंसिंग किये जाने की बात कुछ पेपर्स से सामने आई है. ये डाटा हैकर्स के अटैक के डर से बाद में ऑफलाइन किया गया था. जिस वजह से सवाल खड़े हो रहे है कि आखिर चीन उन सैम्पल्स के बारे में दुनिया के सामने सच्चाई क्यों नहीं ला रहा.

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डॉ. मोनाली ने इस बारे में WHO को दो पत्र लिखे हैं. जिसमें इस वायरस से जुड़े कई अहम सवाल पूछे गए हैं. लेकिन अब तक उसका कोई जवाब चीन से नहीं मिला है. इसीलिए अब अमेरिका के राष्ट्राध्यक्ष जो बाइडेन के जांच के आदेश देने के बाद एक आशा की किरण दिखने की बात डॉ. मोनाली कर रही हैं. साथ ही वो दुनिया के सभी देशों को इस जांच का समर्थन करने की मांग कर रही हैं.

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