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असम की वो जगह, जहां किसी को अपने बौनेपन पर अफसोस नहीं है

इस गांव के करीब 30 लोग एकोंड्रॉप्लासिया से ग्रस्त हैं जिसे बौनेपन की बीमारी भी कहते हैं

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असम का ‘अामार गांव’ बहुत ही खास जगह है. यहां रहने वाले लोगों में से किसी को भी अपने बौनेपन का एहसास नहीं होता.

असम के उदालगुरी जिले के टांगला गांव में इन लोगों का एक वर्कशॉप है. यहां करीब 30 लोग एकोंड्रॉप्लासिया से ग्रस्त हैं, जिसे बौनेपन की बीमारी भी कहते हैं. ये लोग एक्‍ट‍िंग की ट्रेनिंग लेते हुए खुशी से रहते हैं.

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यहां के लोग और खास इसलिए भी बन जाते हैं, क्योंकि वो बौने होने के साथ-साथ एक्टर भी हैं. पबित्र राभा नाम के एक शख्स ने साल 2008 में असम के कई शहरों और गांवों से कई छोटे कद के लोगों को एकसाथ लाकर एक थिएटर ग्रुप शुरू किया था. इस ग्रुप का नाम है दापों.

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इन खास लोगों को ये पता था कि 2018 इनके लिए कुछ खास बनने वाला है और क्यों न हो, आखिर शाहरुख खान की फिल्म जीरो जो आने वाली थी, जिसमें शाहरुख एक बौने आदमी का किरदार निभा रहे हैं.

मुझे पूरा भरोसा है कि शाहरुख खान एक बौने का किरदार बखूभी निभाएंगे और मुझे भरोसा है कि फिल्म रिलीज होने के बाद लोग बौनों को खास ढंग से देखेंगे. लोग बौनों का मजाक बनाने से पहले सोचेंगे. मुझे लगता है कि जिस रेस्पेक्ट के वो हकदार हैं, उन्हें वो मिलेगी.
पबित्र राभा, फाउंडर, दापों 

फिल्म जीरो के ट्रेलर रिलीज होने के बाद 'अामार गांव' में एक उत्साह है. वो 21 दिसंबर 2018 के आने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, ताकि जल्द फिल्म रिलीज हो. उन्हें लगता है कि फिल्म जीरो के आने से उनकी जिंदगी सुर्खियों में आ जाएगी.

लेकिन उन्हें बस एक चिंता है...

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मेरी शाहरुख खान से सिर्फ एक रिक्वेस्ट है कि वो फिल्म में सर्कस के बौने जोकर का रोल न निभाएं. हमें आजतक वैसा ही देखा जाता रहा है.
दिलीप काकटय, सदस्य, दापों

फिलहाल असम के इन खास लोगों ने अपनी उम्मीदें भारत के सबसे बड़े स्टार शाहरुख से लगा रखी हैं. अब शाहरुख एक बौने का किरदार किस तरह निभाते हैं, ये देखना होगा.

कैमरा पर्सन: त्रिदीप के मंडल

वीडियो एडिटर: कुणाल मेहरा

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