वीडियो एडिटर: पुनीत भाटिया
दिल्ली दंगों के एफआईआर के चार्जशीट में CPI (M) के महासचिव सीताराम येचुरी का नाम आने के बाद क्विंट ने उनसे खास बातचीत की. चार्जशीट में नाम आने पर पहली प्रतिक्रिया पर येचुरी ने कहा कि चार्जशीट में अपना नाम देखकर मैं चौंक गया था.
फरवरी 2020 से दिल्ली में हुई हिंसा में कम से कम 53 लोगों, 38 मुस्लिमों और 15 हिंदुओं की हत्या कर दी गई थी और करोड़ों की संपत्ति का नुकसान हुआ था. इसे सांप्रदायिक हिंसा कहते हुए वो कहते हैं, "मैं इसे दंगा नहीं मानता."
जाफराबाद पुलिस स्टेशन में एफआईआर 50 के तहत यूएपीए आरोपी और सीए-एक्टिविस्ट गुलफिशा फातिमा के खुलासे वाले बयान में उनका नाम दर्ज किया गया है. फातिमा के बयान में कहा गया है कि योजना के अनुसार, येचुरी और अन्य नेता भीड़ को भड़काने और जुटाने के लिए आए थे.
येचुरी का कहना है कि सांप्रदायिक हिंसा की जांच में हमारा नाम कैसे आ सकता है. जिन लोगों ने हिंसा भड़काई उसकी जांच होनी चाहिए. नफरती भाषण देने वाले लोगों के खिलाफ जांच करना चाहिए. ये कोई गलती नहीं लग रही बल्कि षड्यंत्र का हिस्सा लग रहा है.
दंगों के लिए साजिश की ‘थ्योरी’ से सरकार के मंशे पर बात करते हुए येचुरी ने कहा कि सीएए के खिलाफ पूरे देश में विरोध फैल गया था. सीएए हमारे संविधान का भारी उल्लंघन है. CAA के खिलाफ प्रदर्शनों को सरकार बदनाम करना चाहती है, इसलिए इसे हिंसा के साथ जोड़ रही है. सरकार प्रदर्शनों और हिंसा को जोड़ने का षड़यंत्र रच रही है.
प्रदर्शन के लिए लोगों को जुटाने के सवाल पर येचुरी ने कहा कि गलत के खिलाफ लोगों को एकजुट करना हमारा फर्ज है. दिल्ली में जहां-जहां प्रोटेस्ट हुए, वहां मैं गया. हमने पूरे देश में कार्यक्रम किए. लेकिन सरकार फासीवादी व्यवस्था लाना चाहती है. दिल्ली पुलिस पर येचुरी का कहना है कि पुलिस गृह मंत्रालय के हुक्म पर काम कर रही है.
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