देश की आर्थिक स्थिति पर लगातार बहस चल रही है. हर एक के अपने अलग-अलग विचार हैं. ऐसे में ये पता करना जरूरी है कि आखिर सरकार इस पर क्या सोचती है, और उसकी आगे क्या रणनीति है? सरकार के दिमाग में जो चल रहा है, उसका थोड़ा अंदाजा लगाने के लिए, क्विंट ने स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सह संयोजक अश्विनी महाजन से बातचीत की. अश्विनी महाजन दिल्ली यूनिवर्सिटी में इकनॉमिक्स भी पढ़ाते हैं.
खास कार्यक्रम राजपथ में द क्विंट के एडिटोरियल डायरेक्टर संजय पुगलिया ने पहला सवाल बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन की तरफ से पीएम मोदी को मिलने वाले अवॉर्ड पर पूछा. अश्विनी महाजन का कहना है कि उनके संगठन ने प्रधानमंत्री मोदी से बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन से अवॉर्ड लेने पर फिर से विचार करने की अपील की है.
स्वदेशी जागरण मंच लंबे समय से बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन के कारनामों को उजागर कर रहा है. ये फाउंडेशन अपने कारोबारी हितों के लिए ही काम करता है. अगर वो टीकाकरण को बढ़ावा दे रहे हैं, तो वो टीकाकरण उन कंपनियों को फायदा पहुंचाएगा जिसमें बिल गेट्स के शेयर हैं.अश्विनी महाजन, स्वदेशी जागरण मंच
क्या ये नॉर्मल स्लो-डाउन है या आर्थिक संकट ?
इस सवाल के जवाब में अश्विनी महाजन का कहना है कि स्लो डाउन की थ्योरी की बात हो रही है, लेकिन मौजूदा वक्त में कोई मंदी या आर्थिक संकट की स्थिति नहीं है. महाजन कहते हैं, ये बात सही है कि डिमांड में कमी है, अगर हम उस डिमांड का एनालिसिस कर रहे हैं, तो वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही में 3 ऐसे सेक्टर हैं जहां ग्रोथ 7 फीसदी से ज्यादा है.
सरकारी खर्च की ग्रोथ पहले से ज्यादा हुई है. कंज्यूमर डिमांड की बात करें तो हर कंपनी की ग्रोथ 8-10-11 फीसदी बढ़ी है. कमी आई है तो ऑटो सेक्टर में. ऑटो सेक्टर के लोग हम लोगों से मिलने आए. ऑटो सेक्टर में गिरावट मंदी की वजह से नहीं आई है.ऑटो की डिमांड में कमी का एक कारण है बैंक. दूसरा NBFC. बैंक और NBFC की लोन देने की क्षमता में कमी आने से ऑटो सेक्टर में डिमांड में कमी आई है. इसलिए कारण समझना चाहिए तभी आप उसका समाधान कर सकेंगे.अश्विनी महाजन, स्वदेशी जागरण मंच
बैंक क्यों लोन नहीं दे पा रहे हैं?
इस सवाल के जवाब में अश्विनी महाजन का कहना है कि जिन बैंकों पर NPA ज्यादा हैं उन्हें लोन देने से मना किया गया है.
NBFC, IL&FS कांड के बाद बैंकों ने री-फाइनेंस बंद कर दिया. IL&FS कांड के बाद NBFC के लोन कम हो गए, जिसकी वजह से सभी सेक्टर पर असर हुआ है.अश्विनी महाजन, स्वदेशी जागरण मंच
महाजन मानते हैं कि बड़े कंसल्टिंग हाउसेज का सरकारी कामकाज में दखल बढ़ रहा है. वो कहते हैं कि सरकार के अंदर क्षमता बढ़ाने की जरूरत है, देश की कंसल्टिंग कंपनियों की क्षमता बढ़ाने की जरूरत है.
सरकार आपकी बात क्यों नहीं सुन रही है ?
जब अश्विनी से पूछा गया कि क्या सरकार आपकी नहीं सुन रही? अश्विनी ने कहा कि कई बार उनके संगठन की सलाहों को सरकार की तरफ से मान्यता दी गई है.
सरकार में सिर्फ प्रधानमंत्री, मंत्री नहीं होते हैं. सरकारों में ब्यूरोक्रेट, कंसल्टेंट भी होते हैं. उन कंसल्टेंट्स में कुछ लोग गलत सलाह भी दे रहे थे. चाहे वो अरविंद पनगढ़िया हों, अरविंद सुब्रमण्यम हों, चाहे वो आरबीआई गवर्नर के नाते उर्जित पटेल हों या रघुराम राजन. इन सबके कामकाज के बारे में स्वदेशी जागरण मंच ने खुलकर बताया है. हमें खुशी है कि हमारी बातों को मीडिया के माध्यम से, सरकार के माध्यम से मान्यता भी मिली.अश्विनी महाजन, स्वदेशी जागरण मंच
‘स्वदेशी जागरण मंच विनिवेश विरोधी नहीं’
एयर इंडिया जैसी कंपनियों के विनिवेश पर स्वदेशी जागरण मंच क्या सोचता है? सवाल के जवाब में अश्विनी महाजन ने कहा कि स्वदेशी जागरण मंच कभी भी विनिवेश का विरोधी नहीं रहा है.
विनिवेश किस तरह हो रहा है, ये जानना जरूरी है. एयर इंडिया का विनिवेश हम नहीं रोकना चाहते. हम चाहते हैं कि इसे स्ट्रैटेजिक न किया जाए, इसको इक्विटी के जरिए किया जाए. दुनियाभर में पब्लिक सेक्टर में एयरलाइंस के खस्ताहाल होने के कई उदाहरण हैं.अश्विनी महाजन, स्वदेशी जागरण मंच
अश्विनी कहते हैं कि एयर इंडिया के पास जो एसेट हैं, जो बताए जा रहे हैं वो बहुत कम हैं, वास्तव में वो कहीं ज्यादा हैं. केवल एयर इंडिया के पास इंजन हॉस्पिटल हैं. अश्विनी महाजन का कहना है कि एयर इंडिया का डिसइंवेस्टमेंट हो, लेकिन देश की जनता इसे चलाए. सरकार के पास शेयर हो या जनता के पास शेयर हो, कोई फर्क नहीं पढ़ता.
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