वीडियो एडिटर- पुनीत भाटिया
इलस्ट्रेटर- मेहुल त्यागी
प्रोड्यूसर- प्रबुद्ध जैन
मुद्दों पर बात तो खूब होती है. सरकारी स्तर से लेकर सामाजिक स्तर तक. लेकिन क्या आम आदमी के मुद्दे और सरकारों में बैठकर राज्य और देश संभालने वालों के मुद्दे अलग-अलग हैं? Soul खोल के इस एपिसोड में चर्चा इन्हीं बड़े सवालों के इर्द-गिर्द है. हमने माइथोलॉजिस्ट और बेस्टसेलर लेखक देवदत्त पट्टनायक से पूछा ये सवाल:
आम आदमी का मुद्दा नौकरी और बेहतर भविष्य होता है. फिर एक नैरेटिव प्राचीन संस्कृति, गौरव और उसके महिमामंडन को मुद्दा बनाने की कोशिश करता है. असल मुद्दों को कैसे समझें और वो हैं क्या?
माइथोलॉजिस्ट देवदत्त पट्टनायक कहते हैं:
अर्थशास्त्र Vs नाट्यशास्त्र
धर्मयुद्ध भले औकात के बारे में हो लेकिन राजधर्म हमारे पेट की भूख के बारे में है और होना चाहिए. घर में अन्न आना जरूरी है, अर्थशास्त्र पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए लेकिन हो ये रहा है कि ध्यान दिया जा रहा है नाट्यशास्त्र की तरफ.
देवदत्त आगे इसे समझाते हुए कहते हैं, नाट्यशास्त्र में राजाओं यानी प्रशासकों की बात होती है, बीते वक्त की बात होती है, पुरानी संस्कृति की बात होती है, औकात पर जोर होता है.
औकात और पैसा दोनों जरूरी
यूं तो दोनों ही जरूरी हैं लेकिन हम ढूंढ़ क्या रहे हैं. दूसरी जरूरी बात ये है कि क्या आपका ‘राजा’ आपको सिर्फ औकात दे रहा है, अन्न नहीं. ये भी आपको देखना और समझना होगा. कौन सा राजा दोनों चीजें दे रहा है और कैसे दे रहा है.
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