आज जब पूरी दुनिया में और बड़े-बड़े मंचों पर लड़कों के बराबर लड़कियों को समान सामाजिक और शैक्षणिक आधिकारों के मिलने का दम भरा जाता है, वहीं कुछ ऐसों की भी कमी नहीं जो लड़कियों के अधिकार तो दूर उनकी सुरक्षा के नाम पर नए तुगलगी फरमान लगा रहे हैं. देश के सर्वोच्च शिक्षण संस्थानों में से एक वाराणसी स्थित काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) में ऐसा ही मामला सानने आया है.
यहां न तो छात्राएं रात के वक्त अपने मोबाईल फोन पर हाॅस्टल में बात कर सकती है, न ही उन्हे लड़कों के हाॅस्टल की तरह मेस में मांसाहार भोजन मिलता है. देर शाम कैम्पस में छात्र-छात्राएं एक साथ देख लिए गए फिर तो उन दोनों की सामत, छात्राओं के कपड़े भी बीएचयू तय करता है. यहां कोई छात्र कैंपस के खिलाफ किसी भी फैसले पर नहीं बोल सकता क्योंकि उनसे पहले ही एफिडेविड साइन करवा लिए जाते हैं.
थोपी जा रही है RSS की विचारधारा
RTI एक्टविस्ट और यूनिवर्सिटी से सस्पेंड चल रहे छात्र सुशांत का आरोप है कि BHU पर RSS की विचारधारा थोपी जा रही है. सारी पाबंदियां छात्राओं के लिए है जबकि छात्रों पर ऐसी कोई रोकटोक नहीं है. बीएचयू में तो सवाल अब ये उठने लगे हैं कि एक तरफ पीएम मोदी लैंगिक समानता की बात करते हुए बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ का नारा दे रहे हैं तो वहीं RSS और BJP के विचारधारा के चलते लैंगिक असामनता देखी जा रही है.
तिलमिला गए वीसी
छात्राओं पर लगे तमाम प्रतिबंध के बारे में जब मीडिया ने सवाल किया तो BHU के वीसी तिलमिला गए. उल्टा पत्रकारों से ही पूछ बैठे कि आपकी बेटी और बहन रात में घूमें तो आपको कैसा लगेगा? क्या आप उसकी इजाजत देंगे? छात्राओं पर लगे अन्य प्रतिबंध से संबंधित सवाल पर भी वीसी साहब मुकर गए.
स्थापना दिवस बीएचयू में आरएसएस का पथसंचलन, मैग्सेसे पुरस्कार विजेता संदिप पाण्डेय को बीएचयू की ओर बाहर का रास्ता दिखाया जाना और दूसरे छात्र संगठनों वाले छात्रों पर मुकदमा और अब छात्राओं की सुरक्षा के नाम पर तमाम पाबंदियां. समय समय पर जेएनयू जैसी शिक्षण संस्था पर एक खास विचारधारा के आरोप लगते आए हैं तो अब BHU आरोपों से कैसे बच सकता है?
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