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‘2014 के मुकाबले मोदी सरकार की गुडविल हुई कम’

क्या विपक्षी पार्टियों के गठबंधन से बीजेपी को घाटा होगा?

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2019 लोकसभा चुनाव में किसकी होगी जीत किसको मिलेगी हार? जैसे-जैसे 2019 नजदीक आता जा रहा है ये सवाल उठने लगा है कि क्या 2014 की तरह ही मोदी मैजिक काम आएगा? या फिर कांग्रेस सत्ता में करेगी वापसी? क्या दलित आंदोलन, रेप की घटनाएं और किसानो के आंदोलन से 2019 के चुनाव पर पड़ेगा असर? ऐसे ही कुछ सवालों के साथ क्विंट ने बात की जाने-माने चुनाव विश्लेषक और सावित्रीबाई फुले यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर सुहास पल्शिकर से.

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सुहास पल्शिकर का मानना है कि किसानों का मुद्दा हो या दलितों का, इन सारे मुद्दों को लेकर लोगों के बीच बीजेपी को लेकर नकारात्मक सोच बढ़ रही है. इन सारे मुद्दों का असर चुनाव पर दिख सकता है. हालांकि चुनाव में अभी तकरीबन एक साल बाकी है.

2014 के मुकाबले मोदी सरकार की गुडविल कम हुई है. लोगों की सोच में बदलाव आया है. लोग अपनी समझ के हिसाब से वोट करते हैं, ऐसे में बीजेपी ने जो 2014 में वादा किया था अगर वो पूरा नहीं किया होगा तो लोगों के मन में बीजेपी के लिए नेगेटिव भावना आएगी. और ये नेगेटिव भावना वोट पर असर डालेगी.
सुहास पल्शिकर, चुनाव विश्लेषक

21 राज्यों में बीजेपी है, फिर उसके वोट पर कैसे पड़ेगा असर?

सुहास कहते हैं कि बीजेपी को 2014 में 282 सीटें हासिल हुई थीं. 21 राज्यों में सरकार का मतलब हुआ कि बीजेपी के पास साधन ज्यादा हैं, बीजेपी इस वक्त पीक पर है. तो ऐसे में इससे ज्यादा सीट अब मिलने वाली नहीं. इससे और आगे जाने का ऑप्शन नहीं. इसलिए हालात को देखते हुए बीजेपी की सीट और वोट दोनों कम होंगे.

क्या दलित जाएंगे बीजेपी के साथ?

2014 में बीजेपी को करीब 25% दलितों का वोट मिला था. ऐसे में अब सवाल उठता है कि क्या 2019 में दलित एक बार फिर बीजेपी के साथ जाएंगे? इस सवाल के जवाब में सुहास पल्शिकर कहते हैं:

बीजेपी का असली वोट शेयर 20-25% के आसपास है. लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 31% वोट मिले. मतलब 6 से 10 % ज्यादा वोट मिले. ये जो 6 से 10% वोट है उन्होंने पहली बार बीजेपी को वोट दिया था. लेकिन अब सवाल है कि जिन लोगों ने पहली बार बीजेपी को वोट दिया था क्या वो दोबारा बीजेपी को वोट देंगे? अगर दलितों या पिछड़ों के लिए बीजेपी ने कुछ किया नहीं तो फिर उनके वोट कैसे मिलेंगे? 2019 में बीजेपी को दलित, आदिवासी, पिछड़ों के वोट मिलने की कम संभावना है.
सुहास पल्शिकर, चुनाव विश्लेषक
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क्या विपक्षी पार्टियों के गठबंधन से बीजेपी को घाटा होगा?

कई अहम चुनावों का सटीक विश्लेषण करने वाले सुहास पल्शिकर को लगता है कि गठबंधन से बीजेपी के वोट कम नहीं होंगे. बल्कि बीजेपी के वोट कम हो रहे होंगे तब गठबंधन को फायदा मिलेगा.

मतलब जो लोग बीजेपी से नाराज होंगे उनका वोट किसी भी गठबंधन को जाएगा. राजनीति में दो चीज होती हैं, या तो लोग आपके साथ होंगे या खिलाफ. गठबंधन का काम खिलाफ वालों को एक करना होता है.

2019 में बीजेपी को कितनी सीटें मिलेंगी?

चुनाव से पहले ओपिनियन पोल का दौर शुरू हो जाता है ऐसे में जब सुहास पल्शिकर से 2019 के चुनाव में बीजेपी को मिलने वाली सीटों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, “कितनी सीटें मिलेंगी ये अभी कहना मुश्किल है. 2014 की तरह इस बार बीजेपी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिल रहा है. हालांकि बीजेपी का सफाया नहीं होगा. लेकिन बीजेपी का सत्ता में आना चुनाव से पहले बने गठबंधन पर निर्भर करेगा. 2014 में जितनी सीटें मिली थीं, दोबारा उतनी सीटें मिलने की उम्मीद सबसे कम है. उससे ज्यादा मिलेगी ही नहीं. ऐसे में आने वाले एक साल की राजनीति बताएगी, बीजेपी को कितनी सीटें मिलेंगी.”

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