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सूरत: पलभर का गुस्सा, 2 एसिड की बोतल, पिता ने तबाह कर दिया परिवार

पूरा परिवार एक झटके में तबाह

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वीडियो एडिटर: प्रशांत चौहान

“मुझे लगा कि किसी ने मेरे ऊपर गर्म पानी फेंक दिया है. बाद में, जब मैं घर से बाहर आई, तो मैंने अपने पिता को मौके से भागते हुए देखा. उसने हमें पहले भी जान से मारने की धमकी दी थी. जिसे हम अनदेखा करते आ रहे थे.”

अपना दर्द बयां कर रही सूरत की इस लड़की समेत चार लोगों की जिंदगी तबाह हो गई जब उनके पिता ने ही उन पर तेजाब फेंका और फरार हो गए. 8 अगस्त 2019 की रात आज भी इस एसिड अटैक सर्वाईवर और उनके दोनों भाई-बहनों को डराता है, जब उन्होंने अपनी मां पर भी जानलेवा हमला होते देखा. 20 दिन बाद इन्होंने अपनी मां को खो दिया.

आरोपी पिता अब गुजरात पुलिस की हिरासत में है.

मेरे पिता ने एसिड फेंकने से पहले बहन को ‘तेजाब’ फिल्म दिखाई

22 साल के भार्गव जून में एमबीबीएस का अपना फाइनल एग्जाम देने का इंतजार कर रहे है, लेकिन पहले से ही दो बहनों और एक छोटे भाई की जिम्मेदारी उनके कंधों पर है. भार्गव कहते हैं कि "अगर मैं ऐसा नहीं करुं, तो उनकी देखभाल करने के लिए कोई नहीं बचा है."

वो उस भयानक रात को याद कर कहते हैं, “काश उस रात हममें से कोई जाग रहा होता तो आज जिंदगी अलग होती.”

“मेरे पिता लगभग 9 बजे घर आए और सभी ने एक साथ खाना खाया. फिर, उन्होंने कहा कि उनके फोन में एक फिल्म लोड है और जो कोई भी देखना चाहता है वो देख ले. मेरी सबसे बड़ी बहन, प्रमिला ने कहा, ‘दे दो मैं देखना चाहती हूं.’ उन्होंने उस फोन में फिल्म ‘तेजाब’ देखी. जिसके बाद सभी लोग सोने चले गए. रात लगभग 2:30-3:00 बजे के करीब, मेरे पिता ने हम सभी पर तेजाब डाला और वो वहां से भाग गए.”
भार्गव

हम चारों भाईयों-बहनों में सबसे बड़ी प्रमिला हैं जिनपर सबसे ज्यादा तेजाब पड़ा था, लेकिन उस रात सिर्फ एक वही थीं जो हमारी मदद के लिए बगल के रहने वाले चाचा के पास भागती हुई गई थीं.

उन्होंने अपने एक आंख की देखने की क्षमता खो दी है. उनके चेहरा काफी जला हुआ है, जिसकी वजह से पति उसे स्वीकार करने से इंकार कर रहा है.

प्रमिला अपने पिता से आखिरी बार मिलना चाहती हैं.

“मैं उनसे सिर्फ एक सवाल पूछना चाहती हूं कि उनको हमारी जिंदगी तबाह करके क्या हासिल हुआ?”
प्रमिला 

पहले भी दी थी जान से मारने की धमकी

भार्गव के पिता ने दुर्घटना से कुछ महीने पहले अपनी मां की कथित तौर पर पिटाई की थी.भार्गव के मुताबिक उनके पिता अक्सर नशे में घर आते थे और बहुत मुश्किल से काम पर जाते थे. शराब खरीदने के लिए हमेशा घर से पैसे मांगते थे. वो कई बार पूरे परिवार को एक साथ मारने की धमकी दी थी. लेकिन उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि उनकी ये लापरवाही इस बात को हकीकत में बदल देगी.

“हमने सोचा कि वो ये सब इसलिए कहते थे क्योंकि वो तब नशे में होते थे. मेरी मां ये सब सिर्फ इसलिए सहन कर रही थी क्योंकि वो मेरी पढ़ाई खत्म होने और मेरे डॉक्टर बनने का इंतजार कर रही थीं.”

इस भयावह घटना के 5 महीने बाद, ‘मिलाप’ नाम के NGO ने उन चारो भाई-बहनों को उनकी सर्जरी के लिए वित्तीय मदद दी. लेकिन मां की गैरमौजूदगी इन्हें काफी खलती है.

छोटी बहन, अल्पा, जो बीए की फर्स्ट ईयर की छात्रा है, बताती हैं,

“मेरी मां हमेशा मुझसे कहती थी कि खाना बनाना सीखो… रोटियां बनाना सीखो.’ इससे पहले, मैं उन्हें बताती, मैं सीखना नहीं चाहती… मुझे क्यों सीखना चाहिए? किसके लिए. मेरी मां कहती, 'तुम तब समझोगी जब मैं नहीं रहूंगी.'

अल्पा कहती हैं, “अब, जब भी मैं खाना बनाती हूं तो रोने का मन करता है. मुझे पहले पता नहीं था कि मुझे ये सच में सीखना होगा.”

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