वीडियो एडिटर: विवेक गुप्ता
बॉलीवुड एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में 19 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने CBI जांच की मंजूरी दे दी. 2 महीने से ज्यादा वक्त बीत चुका है. 14 जून को मुंबई के फ्लैट से उनका शव मिला था.
हम आपको एक क्विक रीकैप दे रहे हैं- केस का नहीं, बल्कि इस पूरे घटनाक्रम के दौरान दिखी महिला विरोधी, पितृसत्तात्मक सोच की.
अगर अपराध हुआ है तो न्याय जरूरी है लेकिन उसकी आड़ में महिला विरोधी और पितृसत्ता को अपने जड़ मजबूत करने का मौका नहीं मिलना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तुरंत बाद बिहार के DGP गुप्तेश्वर पांडे ने फैसले पर खुशी जताते हुए मीडिया के सामने कहा "बिहार के मुख्यमंत्री पर कमेंट करने की औकात रिया चक्रवर्ती की नहीं है". दरअसल, रिया ने बिहार पुलिस के इंवेस्टिगेशन में राजनीति की बात की थी.
लेकिन सवाल है कि औकात क्यों नहीं है?
हालांकि बाद में DGP ने इसके लिए बाद में न्यूज चैनलों पर माफी मांगी लेकिन दिक्कत उस माफीनामे में भी है.
उन्होंने एक चैनल पर कहा “महिला होने की लिबर्टी ये नहीं है कि आप किसी प्रांत के मुख्यमंत्री, वैसा मुख्यमंत्री जो अपनी ईमानदारी के लिए और अपनी इंसाफपसंदी के लिए जाना जाता है, उस पर आप कोई अमर्यादित, अशोभनीय टिप्पणी करे.”
लेकिन बतौर महिला रिया ने कौन सी लिबर्टी का इस्तेमाल किया है? सवाल पूछा है, सवाल तो कोई भी पूछ सकता है और किसी से भी पूछ सकता है. चाहे वो महिला हो या पुरुष. हां, आप उस सवाल से सहमत हो सकते हैं या नहीं ये आप पर निर्भर करता है?
लेकिन सवाल पूछने के लिए किसी ‘खास औकात ‘और ना ही महिला होने की लिबर्टी लेने की जरूरत है. ये हक संविधान सभी को देता है.
महिला विरोधी सोच तब भी उजागर हुई जब सुशांत के 'लॉयल फैन्स' -कुछ लोकल भोजपुरी गायकों ने रिया चक्रवर्ती पर घटिया शब्दों के साथ गाने बनाकर अपनी ‘क्रिएटिविटी’ का इजहार किया.
गानों के टाइटल में ही गालियां और सजा से पहले फांसी दिए जाने का ऐलान किया गया. यू-ट्यूब पर अलग-अलग चैनल और उन पर भद्दे गानों को लाखों व्यूज मिले. ऐसे गाने जिन्हें सुन पाना ट्रॉमा है. ये गाने किस मानसिकता को जाहिर करते हैं इसे आसानी से समझा जा सकता है. हालांकि राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) ने एक गायक विकाश गोप की गिरफ्तारी की मांग की.
राष्ट्रीय महिला आयोग की चीफ रेखा शर्मा ने कहा कि “अगर कोई दोषी है तो भी किसी को उसके खिलाफ ऐसी भाषा का इस्तेमाल करने का अधिकार नहीं है. कानून को अपना काम करने देना चाहिए.”
इस बीच रिया चक्रवर्ती पर लगाए गए आरोपों के आधार पर पूरी बंगाल की महिलाओं के बारे में स्टीरियोटाइपिंग हो रही है. जैसे-"बंगाली लड़कियां काला जादू करती हैं, लड़कों को अपने वश में करती हैं, बड़ी मछलियां फंसाती हैं” जैसे पोस्ट, ट्वीट वायरल हुए.
सुशांत सिंह राजपूत के परिवार का पक्ष संभाल रहे वकील विकास सिंह भी महिला विरोधी कमेंट करते पाए गए. रिया चक्रवर्ती ने पहला वीडियो जारी करते हुए सफाई दी थी, जिसमें उन्होंने सफेद रंग का कुर्ता और सलवार पहना था. विकास सिंह ने न्यूज एजेंसी ANI से कहा कि “वीडियो में रिया क्या कह रही हैं, उससे ज्यादा वीडियो ये बता रहा है कि वो कैसी दिख रही हैं. मुझे नहीं लगता कि उन्होंने अपने जीवन में इस तरह का सलवार सूट पहना होगा. ये खुद को एक साधारण महिला के रूप में दिखाना था.”
तो क्या रिया का दोष सिद्ध करने के लिए कपड़े तक देखे जाएंगे. याद होगा कि कई बार रेप सर्वाइवर्स से कहा जाता है कि कि ऐसे या वैसे कपड़े क्यों पहनती हैं!
जांच की शुरुआत से रिया को लगातार सोशल मीडिया पर रेप और जान से मारने की धमकी दी जा रही है.
किसी का मर्डर, आत्महत्या के लिए उकसाना अपराध है. ठीक ऐसे ही रेप, जान से मारने की धमकी भी अपराध है. किसी को इंसाफ दिलाने के लिए इसे कहीं से भी सही करार नहीं दिया जा सकता है. रिया चक्रवर्ती इसके खिलाफ शिकायत दर्ज करा चुकी हैं.
कुल मिलाकर, अगर रिया चक्रवर्ती दोषी हैं तो ये कानून तय करेगा और केस में हम न्याय की उम्मीद करते हैं. सुशांत के परिवार और कई लाखों फैन्स सभ्य तरीके से उनके लिए न्याय की मांग कर रहे हैं.
लेकिन रिया के जरिए महिलाओं को, महिला अधिकारों की लड़ाई को पीछे धकेलने, डिग्रेड करने से बचना चाहिए. वरना हम महिला विरोधी, पितृसत्ता से भरपूर मानसिकता को अप्रत्यक्ष तरीके से मजबूती देने का काम कर रहे हैं, जो कई अन्य अपराध और मुसीबतों की जड़ में होता है.
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