कैमरा: अभिषेक रंजन
वीडियो एडिटर: पुनीत भाटिया
22 साल की तस्मिदा एक रोहिंग्या मुसलमान हैं. तस्मिदा एक बार म्यांमार से और एक बार बांग्लादेश से, यानि दो बार विस्थापित हो चुकी हैं. उनका परिवार 2005 में म्यांमार से बांग्लादेश आया था. उस समय वो केवल छह साल की थी. एक साल के अंदर थोड़े व्यवस्थित होने के बाद वहां स्कूल में तस्मिदा का दाखिला हुआ.
हालांकि 2012 में जैसे ही म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों के लिए हालात बदतर होने लगे, कई लोग बांग्लादेश चले आए, जिसके बाद बांग्लादेश सरकार ने देश में अवैध रूप से रहने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई की. इस वजह से तस्मिदा के परिवार को एक बार फिर वहां से कहीं और जाने के लिए मजबूर होना पड़ा.
तस्मिदा उन 40,000 रोहिंग्या मुसलमानों में से एक है जो अब भारत में शरणार्थी के रूप में रह रहे हैं. वो कॉलेज जाने वाली अपने समुदाय की पहली रोहिंग्या लड़की होंगी.
UNHCR और अपने भाई की मदद से तस्मिदा ने कंप्यूटर और हिंदी क्लास में दाखिला लिया. उन्होंने 10 वीं की पढ़ाई ओपन स्कूल और 11 वीं और 12वीं की पढ़ाई निजी स्कूल से की.
एक रोहिंग्या मुसलमान लड़की के लिए एक देश में शरणार्थी के रूप में रहते हुए कॉलेज में एडमिशन लेना आसान नहीं था.
उनके सामने कई तरह की समस्याएं आईं-अनिश्चितता, पढ़ाई में रुकावट, नई भाषा सीखने और अपने समुदाय की अन्य लड़कियों की तरह कम उम्र में ही शादी नहीं करने के लिए माता-पिता को समझाना.
इसके अलावा उनके सामने एक और चुनौती है. कॉलेज में दाखिले के लिए परिवार के पास पैसे नहीं हैं. फिलहाल उन लोगों ने तस्मिदा की पढ़ाई के लिए ऑनलाइन पैसे इकट्ठा करने की मुहिम शुरू की है.
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